Saturday, May 18, 2024
Advertisement

Rabindranath Tagore Jayanti 2024: रवीन्द्रनाथ टैगोर की 163वीं जयंती आज, जानें उन्होंने ' नाइट हुड' की उपाधि के सम्मान को अंग्रेजों को क्यों लौटाया था वापस

Rabindranath Tagore Jayanti 2024: रवीन्द्रनाथ टैगोर की आज 163वीं जयंती मनाई जा रही है। टैगोर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्हें नोबेल पुरुस्कार से सम्मानित किया गया था। उनको 'नाइट हुड' की उपाधि से भी सम्मानित किया गया था, लकिन उन्होंने इस वजह से उस सम्मान को वापस लौटा दिया था।

Edited By: Akash Mishra @Akash25100607
Updated on: May 07, 2024 12:08 IST
रवीन्द्रनाथ टैगोर जयंती 2024- India TV Hindi
रवीन्द्रनाथ टैगोर जयंती 2024

Rabindranath Tagore Jayanti 2024: भारत के पहले नोबेल पुरस्कार विजेता और महान कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर की आज 163वीं जयंती मनाई जा रही है। रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई, 1861 को कोलकाता में हुआ था। साल 1913 में रवीन्द्रनाथ टैगोर को साहित्य में नोबेल पुरस्कार मिला था। 1913 में रवीन्द्रनाथ टैगोर साहित्य में नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले नॉन-यूरोपियन और पहले भारतीय थे। टैगोर को नोबेल पुरस्कार उनकी सबसे प्रसिद्ध कविता संग्रह गीतांजलि के लिए दिया गया था। वह एक कवि, लेखक, नाटककार, संगीतकार, दार्शनिक, समाज सुधारक थे। 

किन उपाधियों से किया गया सम्मानित 

रवीन्द्रनाथ टैगोर को'गुरुदेव', 'कबीगुरु' और 'बिस्वकाबी' जैसी उपाधियों से सम्मानित किया गया है। साहित्य, संगीत और कला में अपने उल्लेखनीय योगदान के लिए दुनिया भर में सम्मानित, पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध बंगाली कवि, लेखक, चित्रकार, समाज सुधारक और दार्शनिक, टैगोर ने भारत के सांस्कृतिक और राजनीतिक इतिहास को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है।

दो देशों के लिए लिखा था राष्ट्रगान 

टैगोर के नाम एक एतिहासिक रिकॉर्ड दर्ज है, जिसके मुतबिक उन्हें दो देशों के राष्ट्रगान लिखने का अनूठा गौरव प्राप्त है। उन्होंने भारत के लिए जन गण मन और दूसरा बांग्लादेश के लिए  अमर सोनार बांग्ला लिखा। 

नाइटहुड की उपाधि को क्यों लौटाया वापस 

रवीन्द्रनाथ टैगोर को 1915 में नाइट हुड की उपाधि से सम्मानित किया गया था। लेकिन उन्होंने वर्ष 1919 में अमृतसर (जलियांवाला बाग) नरसंहार के विरोध में ये सम्मान अंग्रेजों को वापस लौटाया दिया था।  

रवींद्रनाथ टैगोर बंगाल के बेहद अच्छे घराने से आते थे। उनका जंम कोलकाता में जाने माने समाज सुधारक देवेन्द्रनाथ टैगोर के यहां हुआ था। उनका माता का नाम सारदा देवीवास था। गुरुदेव का मानना था कि अध्ययन के लिए प्रकृति का सानिध्य ही सबसे बेहतर है. उनकी यही सोच 1901 में उन्हें शांति निकेतन ले आई। उन्होंने खुले वातावरण में पेड़ों के नीचे शिक्षा देनी शुरू की। रवींद्रनाथ टैगोर के पिता ने 1863 में एक आश्रम की स्थापना की थी, जिसे बाद रवींद्रनाथ टैगोर ने शांतिनिकेतन (Shanti Niketan) में बदला। 

ये भी पढ़ें- 'जज्बा हो तो ऐसा,' दो साल पहले हादसे में गंवा दिया था अपना एक हाथ, अब ICSE रिजल्ट में 92% लाकर बनी टॉप स्कोरर

HP Board 10th Result: हिमाचल प्रदेश बोर्ड 10वीं के नतीजे जारी, जानें कैसे करें चेक
 

 

 

Latest Education News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें एजुकेशन सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement