Thursday, May 02, 2024
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सपा-बसपा से मिल रही चुनौती से भाजपा को इन 4 सीटों पर खतरा

लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में मंगलवार को उत्तर प्रदेश में जिन 10 सीटों पर मतदान हुआ है, उनमें से भारतीय जनता पार्टी को अपने चार सीट गंवाने का खतरा हो सकता है

IANS Reported by: IANS
Published on: April 24, 2019 9:59 IST
सपा-बसपा से मिल रही चुनौती से भाजपा को इन 4 सीटों पर खतरा- India TV Hindi
सपा-बसपा से मिल रही चुनौती से भाजपा को इन 4 सीटों पर खतरा

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में मंगलवार को उत्तर प्रदेश में जिन 10 सीटों पर मतदान हुआ है, उनमें से भारतीय जनता पार्टी को अपने चार सीट गंवाने का खतरा हो सकता है और अगर 2014 की वोटिंग का ही पैटर्न इस बार दोहराया तो वह समाजवादी पार्टी (सपा) से तीन सीट खींचने में समर्थ नहीं हो सकता है। इन 10 सीटों में से पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा सात सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही थी, जबकि तीन सीटें कद्दावर नेता मुलायम सिंह के घराने की झोली में गई थीं। 

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अगर सपा और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को 2014 में मिले मतों को जोड़ दिया जाए तो भाजपा के लिए कम से सात सीटों में से कम से कम चार सीटों पर जीत हासिल करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल, इस बार सपा और बसपा के बीच गठबंधन है। वोटों के अंकगणित को देखें तो गठबंधन से अलग चुनाव लड़ रही कांग्रेस भी भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी करेगी। 

भाजपा को जिन चार सीटों पर कड़ी चुनौती मिल रही है उनमें रामपुर, संभल, मुरादाबाद और आंवला शामिल हैं। रामपुर में नेपाल सिंह ने सपा, बसपा और कांग्रेस को शिकस्त देकर 2014 में 3,58,616 वोट हासिल किया था। उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा के नसीर अहमद खान को 3,35,181 मत मिले थे, जबकि बसपा प्रत्याशी अकबर हुसैन को 81,006 मत मिले थे। 

अगर, बसपा और सपा के मतों को जोड़ दिया जाए तो भाजपा को मिले मतों से ज्यादा हो जाता है, जबकि कांग्रेस के नवाब काजीम अली खान को 1,56,466 वोट मिले थे। इस बार रामपुर में तीनों दलों ने अपने नए उम्मीदवार उतारे हैं। भाजपा ने सपा की सांसद रह चुकी जयाप्रदा को रामपुर से अपना प्रत्याशी बनाया है जिनका मुकाबला महागठबंधन के उम्मीदवार आजम खान से है। वहीं, कांग्रेस ने इस सीट से संजय कपूर को चुनाव मैदान में उतारा है। 

संभल में भी कहानी कुछ ऐसी ही है, जहां भाजपा के सत्यपाल सिंह को 2014 में 3,60,242 मत मिले थे और वह बहुत कम अंतर से चुनाव जीते थे। दूसरे स्थान पर रहे सपा के शफीक-उर-रहमान बराक को 3,55,068 मत मिले थे, जबकि बसपा के अकील-उर-रहमान खान को 2,52,640 मत मिले थे। 

मुरादाबाद में भाजपा के कुंवर सर्वेश कुमार को 4,85,224 मत मिले थे और उन्होंने सपा के एस. टी. हसन को पराजित किया था जिनको 3,97,720 मत मिले थे। बसपा के हाजी मुहम्मद याकूब को भी 1,60,945 मत, जबकि कांग्रेस की बेगम नूर बानो उर्फ मेहताब को सिर्फ 19,732 मत मिले थे। इस बार भाजपा और सपा ने क्रमश: सर्वेश कुमार और एस.टी. हसन को दोबारा चुनाव मैदान में उतारा है। 

आंवला में भाजपा के धर्मेद्र कुमार 4,09,907 मत हासिल कर 2014 में विजयी रहे थे, जबकि सपा के कुंवर सर्वराज सिंह को 2,71,478 मत मिले थे। वहीं, बसपा की सुनीता शाक्य को 1,90,200 मत मिले थे। दोनों को मिलाने से उनके मतों की संख्या भाजपा के मुकाबले काफी अधिक हो जाती है। 

वहीं, पीलीभीत, बरेली और एटा में सपा और बसपा की एकजुट शक्ति भाजपा को शिकस्त देने में काफी प्रतीत नहीं होती है। उधर, मैनपुरी, फिरोजाबाद और बदायूं में सपा का पलड़ा भारी है। ये तीनों सीटें मुलायम सिंह परिवार के गढ़ हैं। 

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