Sunday, May 05, 2024
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बिहार: चुनावी समर में विरासत संभालने उतरेंगे 'योद्धा', राजनेताओं के परिजनों से सजी टीम तैयार

राजनीति में विरासत संभालने की प्रथा कोई नई बात नहीं है। सियासी घरानों के बेटे, बेटियां और पत्नी अपनों की विरासत को संभालते रहे हैं।

IANS Written by: IANS
Updated on: March 24, 2019 11:01 IST
National Democratic Alliance's (NDA) candidates list for...- India TV Hindi
Image Source : PTI National Democratic Alliance's (NDA) candidates list for upcoming Lok Sabha election 2019

पटना: राजनीति में विरासत संभालने की प्रथा कोई नई बात नहीं है। सियासी घरानों के बेटे, बेटियां और पत्नी अपनों की विरासत को संभालते रहे हैं। ये दूसरी बात है कि कई सफल हो पाते हैं तो कई असफल भी होते देखे गए हैं। बिहार में भी इस लोकसभा चुनाव में कई चुनावी योद्धा अखाड़े में अपनी राजनीतिक विरासत संभालते या यूं कहें अपने पूर्वजों के नाम पर वोट मांगते नजर आएंगे। कई राजनेताओं की पत्नियां भी इस जंग में अपने पति की विरासत संभालते नजर आएंगी। वैसे, सबसे दिलचस्प पहलू है कि कई राजनीतिक दल बाहुबलियों की पत्नियों और उनके परिजनों के सहारे भी चुनावी नैया पार करने की जुगाड़ में नजर आ रहे हैं।

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने बिहार की सभी 40 सीटों में से 39 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। इन उम्मीदवारों में कई सियासी घरानों के भाग्यशाली बेटे भी शामिल हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री जयनारायण निषाद के बेटे अजय निषाद इस चुनाव में मुजफ्फरपुर से भाग्य आजमा रहे हैं, जबकि पूर्व सांसद मदन जायसवाल के बेटे संजय जायसवाल एक बार फिर पश्चिमी चंपारण से चुनावी मैदान में हैं।

भाजपा ने मधुबनी से सांसद हुकुमदेव नारायण यादव के बेटे अशोक कुमार यादव को भी टिकट थमा दिया है। इसी तरह केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के प्रमुख रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान जमुई क्षेत्र से, तो उनके भाई पशुपति कुमार पारस हाजीपुर से और रामचंद्र पासवान समस्तीपुर से भाग्य आजमाएंगे। 

बाहुबली नेता के रूप में पहचान बना चुके सूरजभान के भाई चंदन कुमार को लोजपा ने नवादा संसदीय क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतारने का फैसला लिया है। इसी तरह इस चुनाव में राजद ने नवादा क्षेत्र से नाबालिग के साथ दुष्कर्म के मामले में सजा काट रहे विधायक राजवल्लभ यादव की पत्नी विभा देवी को टिकट थमा दिया है। विभा इस चुनाव में नवादा में अपने पति की विरासत सहेजते नजर आएंगी। 

वैसे, विपक्षी दलों के महागठबंधन ने अब तक 40 में से मात्र चार सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की है, मगर ऐसे कई राजनेताओं के बेटे और बेटियां हैं जो चुनाव में उतरने के लिए ताल ठोक रहे हैं। राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद भले ही कानूनी बाधाओं के कारण खुद चुनाव लड़ने में सक्षम नहीं हों, लेकिन उनकी बेटी मीसा भारती पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र से फिर चुनाव लड़ने के लिए तैयार बताई जा रही हैं। 

सांसद पप्पू यादव की पत्नी और कांग्रेस सांसद रंजीता रंजन भी सुपौल से फिर ताल ठोकने की तैयारी में हैं। इसके अलावा भी कई नेताओं के रिश्तेदार भी टिकट के जुगाड़ में लगे हुए हैं। इस मामले में राजनीतिक पार्टियां भले ही एक-दूसरे पर आरोप लगा रही हैं, लेकिन शायद ही कोई दल ऐसा हो जिसमें 'विरासत' संभालने वाले उम्मीदवार न हों।

जद (यू) के प्रवक्ता नीरज कुमार ने ट्वीट करते हुए लिखा, "धन्य है सत्ता के लालची लोग। नाबालिग से दुष्कर्म के सजायाफ्ता विधायक को तो पार्टी से निकाला नहीं और अब उनकी पत्नी को उम्मीदवार बना दिए। जब पार्टी के अध्यक्ष ही जेल में सजा काट रहा हो, तो उसे अपराधी और शरीफ का अंतर कहां पता होगा? शुरू से ही उनके 'राजनीति आइकन' ही ऐसे रहे हैं।"

इधर, इस मसले को लेकर कई नेताओं से बातचीत की गई, लेकिन किसी ने भी खुलकर अपनी बात नहीं रखी। राजद के एक नेता ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर बताते हुए कहा कि विरासत के चक्कर में कार्यकर्ताओं की मेहनत पर पानी फिरता है। उन्होंने आक्रोशित होकर कहा, "किसी नेता में यह औकात नहीं की वह कार्यकर्ता के बिना चुनाव लड़ सके और जीत सके। मगर जब टिकट की दावेदाारी की बात आती है, तब शीर्ष नेतृत्व से लेकर राजनेताओं के बेटे, बेटी और उनकी पत्नियां 'भाग्यशाली' हो जाती हैं। एसे में कार्यकर्ता ठगा रह जाता है।"

बहरहाल, इस लोकसभा चुनाव में भी राजनेताओं के परिजनों से सजी टीम चुनावी मैदान में उतर चुकी है। अब देखना है कि कौन अपने परिवार की विरासत को संभाल पाता है।

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