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किसान आंदोलन के पक्ष में नहीं हैं अनुपम खेर, बोले- हर किसी को विरोध करने का अधिकार है लेकिन...

अनुपम खेर ने किसान आंदोलन पर अपना पक्ष जाहिर किया था। इसे लेकर उन्होंने साफ किया कि वो किसी भी ऐसे विरोध प्रदर्शन का सपोर्ट नहीं करते जो लोगों के लिए परेशानी खड़ी करे। उन्होंने इस मामले पर विस्तार से बातचीत की।

Written By: Jaya Dwivedie @JDwivedie
Published : Feb 26, 2024 15:11 IST, Updated : Feb 26, 2024 15:25 IST
anupam kher- India TV Hindi
Image Source : X अनुपम खेर।

प्रदर्शनों और रैलियों का नकारात्मक प्रभाव अनुपम खेर की अगली फिल्म 'कागज 2' का मूल विषय है। वीके प्रकाश द्वारा निर्देशित यह फिल्म विरोध प्रदर्शनों और रैलियों के कारण आम लोगों की कठिनाइयों पर प्रकाश डालती है। अनुपम खेर ने अपनी फिल्म पर बात करते हुए किसान आंदोलन का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि वो इसे सहमत नहीं है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि इस तरह के आंदोलन लोगों की लाइफ पर प्रभाव डालते हैं। 

'नहीं पड़ता कोई फर्क'

अभिनेता अनुपम खेर का कहना है कि वो अपनी व्यक्तिगत क्षमता के अनुरूप विरोध कर रहे हैं, लेकिन उनका मानना है कि कलाकारों को कार्यकर्ता के रूप में काम नहीं करना चाहिए। अनुपम खेर ने पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा, 'अभिनेताओं और मनोरंजनकर्ताओं को धर्मयुद्ध करने वाला नहीं माना जाता है। व्यक्तिगत क्षमता में मैंने उस चीज के बारे में आवाज उठाई है जिसने मुझे परेशान किया है और इसके परिणाम भुगते हैं। मैं बहुत सारे लोगों के बीच अलोकप्रिय हो गया, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। अंत में मुझे अपने विचारों के साथ शांति से सोना है'

'आम लोगों के जीवन पर नहीं पड़ना चाहिए असर'

साल 2011 में इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन में भाग लेने वाले अभिनेता ने कहा कि मुद्दों को हल करने का आदर्श तरीका 'बातचीत' है। उन्होंने चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन के बारे में बोलते हुए कहा कि हर किसी को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन इसका असर आम लोगों के जीवन पर नहीं पड़ना चाहिए। उन्होंने आगे कहा, 'हम एक स्वतंत्र देश हैं, (महात्मा) गांधी जी द्वारा किए गए 'आंदोलन' के लिए धन्यवाद। हम भारत छोड़ो आंदोलन, असहयोग आंदोलन का परिणाम हैं, लेकिन भारत के लोग एक साथ थे, यह कुछ ऐसा नहीं था जो सिर्फ किसी एक की मदद कर रहा था।'

दूसरों को परेशान करने की आजादी नहीं है

इसी बातचीत के दौरान अनुपम कहते हैं, 'हर किसी को घूमने-फिरने की आजादी, अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार है, लेकिन दूसरे लोगों को असुविधा पहुंचाने का अधिकार नहीं है। यह हमारे देश में वर्तमान परिदृश्य है, विरोध प्रदर्शन सिर्फ किसानों के नाम पर हो रहा है। मुझे नहीं लगता कि किसान पूरे देश में ऐसा सोचते हैं, किसान अन्नदाता हैं। हमें यह कहकर डिफेंसिव महसूस कराया जाता है कि हम "अन्नदाता" के बारे में बात कर रहे हैं... मुझे लगता है कि जो कर चुकाते हैं वे भी देश के विकास में योगदान दे रहे हैं। मुझे लगता है कि आम लोगों के जीवन को दयनीय बनाना ठीक नहीं है।'

जाहिर किया अपना पक्ष

साल 2021 के किसानों के विरोध का जिक्र करते हुए अनुपम खेर ने प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले पर धावा बोलने के बाद सामने आई घटनाओं की श्रृंखला पर अपना असंतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा, 'वह दृश्य मुझे हमेशा परेशान करेगा जब प्रदर्शनकारी लाल किले पर पहुंचे और उन्होंने मेरे देश का झंडा निकाल लिया और कोई दूसरा झंडा लगा दिया, मैं ऐसे लोगों के प्रति सहानुभूति नहीं रखूंगा, भले ही इसके लिए कुछ लोगों के बीच अलोकप्रिय होने की कीमत चुकानी पड़े।'

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