Wednesday, December 17, 2025
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फाइटर जेट में 4th, 4.5th, 5th जनरेशन होता क्या है? भारत के पास जो राफेल है वो किस जनरेशन का है? आसान भाषा में यहां समझिए

फाइटर जेट्स का इस्तेमाल पहली बार प्रथम विश्व युद्ध के दौरान हुआ था। इसके बाद से यह किसी भी देश के एयरफोर्स का अहम हिस्सा रहा है। समय के साथ फाइटर जेट्स में तकनीकी बदलाव होते रहे हैं। आइए, जानते हैं अलग-अलग जेनरेशन के फाइटर जेट्स के बारे में...

Written By: Harshit Harsh @HarshitKHarsh
Published : May 28, 2025 02:30 pm IST, Updated : May 28, 2025 02:30 pm IST
Fighter Jets- India TV Hindi
Image Source : FILE फाइटर जेट्स

फाइटर जेट्स यानी लड़ाकू विमान किसी भी देश की एयरफोर्स की ताकत का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होते है। ये न सिर्फ दुश्मन के हवाई हमलों को रोकने का काम करते हैं, बल्कि युद्ध के मैदान में ताबड़-तोड़ आक्रमण करने में सक्षम होते हैं। इन विमानों की क्षमता केवल गति और हथियारों को लॉन्च करने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ये अत्याधुनिक तकनीकों, स्टील्थ यानी छिपने की क्षमताओं, रडार को चकमा देने और एआई इंटिग्रेशन तक पहुंच गया है। पिछले दिनों हुए भारत द्वारा लॉन्च किए गए ऑपरेशन सिंदूर की सफलता में भी फाइटर जेट्स का अहम योगदान रहा है।

हाल ही में सोशल मीडिया पर कावेरी इंजन को लेकर ट्रेंड देखा गया है। यह एक एडवांस गैस टर्बाइन इंजन है, जिसे फाइटर जेट्स में इस्तेमाल किया जा सकता है। इस इंजन के जरिए भारत 5th जेनरेशन के फाइटर जेट्स बनाने की तैयारी में है। फिलहाल दुनिया के सैन्य शक्तियों वाले देशों की वायुसेना के बेड़े में 4th, 4.5th और 5th जेनरेशन के फाइटर जेट्स शामिल हैं। वहीं, 6th जेनरेशन के फाइटर जेट्स को लेकर भी कुछ देश तैयारी कर रहे हैं।

फाइटर जेट्स की कैटेगरी

फाइटर जेट्स को उनकी भूमिका के आधार पर अलग-अलग कैटेगरी में बांटा जाता है। उदाहरण के तौर पर हवाई क्षेत्र में नियंत्रण के लिए एयर सुपीरियोटी फाइटर जेट्स का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, हवा और जमीन दोनों पर हमला करने की क्षमता वाले लड़ाकू विमानों को मल्टी-रोल फाइटर जेट्स कहा जाता है। इसके अलावा दुश्मन के विमानों को रोकने वाले फाइटर जेट्स को इंटरसेप्टर कहा जाता है। वहीं, जमीनी ठिकानों पर हमला करने वाले ग्राउंड अटैक फाइटर जेट्स कहलाते हैं।

  1. एयर सुपीरियोटी फाइटर जेट्स
  2. मल्टी-रोल फाइटर जेट्स
  3. इंटरसेप्टर
  4. ग्राउंड अटैक फाइटर जेट्स

प्रथम विश्व युद्ध में पहली बार इस्तेमाल

फाइटर जेट्स को सबसे पहले प्रथम विश्व युद्ध के दौरान इस्तेमाल किया गया था। इसके बाद से नए हवाई युद्ध की अवधारणा ने जन्म ले लिया, जिसे आज हम डॉगफाइट के नाम से जानते हैं। दुनिया का पहला जेट इंजन वाला लड़ाकू विमान जर्मनी ने बनाया था, जिसका नाम Messerschmitt Me 262 है। इसके बाद ब्रिटेन, अमेरिका और रूस ने भी एडवांस फाइटर जेट्स तैयार किए। आइए, जानते हैं 4th, 4.5th और 5th जेनरेशन के फाइटर जेट्स के बारे में...

Fighter Jets

Image Source : FILE
फाइटर जेट्स

4th जेनरेशन

ये फाइटर जेट्स आमतौर पर कम वजन वाले होते हैं और इनमें एयर-टू-एयर मिसाइल और रडार के साथ पारंपरिक एयर-टू-एयर युद्ध की क्षमता होती है। ये फाइटर जेट्स 0.9 से 1.1 के बीच थ्रस्ट-टू-वेट रेशियो वाले होते हैं। आसान भाषा में समझा जाए तो ये जेट्स तेजी से उड़ने के साथ-साथ कम वजनी मिसाइलों को दागने में भी सक्षम होते हैं।

4.5th जनरेशन

ये फाइटर जेट्स चौथी जेनरेशन की तुलना में अधिक एडवांस होते हैं। इनमें बेहतर इंजन के साथ-साथ उन्नत किस्म के सेंसर लगे होते हैं। इस जेनरेशन के विमान छिपने की क्षमता वाले होते हैं। इन विमानों को रडार से बचने के लिए डिजाइन किया गया है।  

5th जनरेशन

ये मौजूदा दौर के सबसे एडवांस फाइटर जेट्स हैं। इनमें रडार से न पकड़े जाने की क्षमता के साथ-साथ सुपरसोनिक क्रूजिंग और सुपरसोनिक टर्न जैसी क्षमताएं होती हैं। ये AI इंटिग्रेशन, डेटा लिंकिंग और मल्टी-सेंसर से लैस होते हैं।

राफेल

भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल राफेल 4.5th जेनरेशन का फाइटर जेट है। इसे भारत ने फ्रांस से खरीदा है। इसें फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट एविएशन (Dassault Aviation) ने डिजाइन और निर्माण किया है। यह फाइटर जेट स्टील्थ यानी छिपने की तकनीक, सेंसर और मिसाइल सिस्टम के अच्छे संयोजन से लैस है। राफेल की मैक्सिमम स्पीड 1,912 किमी/घंटा है, जबकि इसकी रेंज 3,700 किमी तक है। यह एयर-टू-एयर में हमला करने के साथ-साथ एयर रिफ्यूलिंग फीचर से भी लैस है।

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