India TV News Desk Published : Jun 27, 2016 01:50 pm IST, Updated : Jun 27, 2016 01:50 pm IST
महाभारत दुनिया का वो एकमात्र ग्रंथ है जिसमे वो सब है जो इस संसार में और संसार में ऐसा कुछ नही है जो महाभारत में न हो। इस ग्रंथ में ऐसे ऐसे चरित्र हैं जिनमें हम अपना अक़्स देख सकते हैं। महाभारत युद्ध के लिए भी जाना जाता है ऐसा भीषण युद्ध जो मानव जाति के इतिहास में फिर कभी नहीं देखा गया। ये युद्ध था कुरुक्षेत्र का। ये युद्ध चला तो सिर्फ 18 दिन था लेकिन भारतीय पुरुषों की लगभग 80 फ़ीसद आबादी हलाक हो गई थी। इस युद्ध में पांडवों की जीत हुई थी और कौरवों की हार। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि पांडवों की जीत के बाद क्या हुआ? कौन बचे? पांडवों ने कितने समय तक हस्तिनापुर पर शासन किया? उनकी मृत्यु कैसे हुई या फिर क्या उनकी हत्या हुई थी? और सबसे महत्वपूर्ण बात है कि भगवान कृष्ण का क्या हुआ? यहां हम इन सवालों के संभावित जवाब देने जा रहे हैं।
कुरुक्षेत्र का युद्ध जीतने के बाद पांडवों का शासन हो गया और युधिष्ठिर बन गए राजा। कौरवों की मृत्यु से दुखी गांधारी ने कृष्ण को ख़ूब कोसा और अपने पुत्रों की तरह उनके और यदुवंश के नाश की कामना की।
पांडवों ने हस्तिनापुर पर 36 साल शासन किया। इस बीच गांधारी का कृष्ण को दिया श्रृाप असर दिखाने लगा। कृष्ण यदु वंशियों को लेकर प्रभासा चले गए। प्रभासा में यदु वंशियों में बग़ावत हो गई और उन्होंने इतना ख़ूनख़राबा किया कि यादव वंश का वजूद लगभग ख़त्म ही हो गया।
बग़ावत रोकने की कोशिश में एक शिकारी का तीर ग़लती से भगवान कृष्ण को लग गया जिससे उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद कृष्ण ने विष्णु के अवतार में समाहित हो गए और शरीर त्याग दिया। कृष्ण के बाद वेद व्यास ने अर्जुन से कहा कि उनके और उनके भाईयों के जीवन का उद्देश्य पूरा हो गया है।
उसी समय द्वापारा युग समाप्त होने को था और कल युग शुरु होने वाला था। उधर हस्तिनापुर में अराजकता और अधर्म फैलने लगा था जिसे देखकर युधिष्ठिर राजपाट परीक्षित को सौंपकर पांडवों और द्रोपदी के साथ हिमालय के मार्ग से स्वर्ग जाने का फ़ैसला कर लिया। रास्ते में एक कुत्ता, जो दरअसल भगवान यम थे, भी उनके साथ हो लिया।
रास्ते में इनकी एक के बाद एक मृत्यु होती जाती है जिसकी शुरुआत होती है द्रोपदी से। भीम की सबसे आख़िर में मृत्यु होती है। इनकी मृत्यु का सबंध उनके अभिमान, अभिलाषा से जुड़ा था। लेकिन युधिष्ठिर ही अकेले थे जिनको किसी बात का अभिमान नहीं था और वह कुत्ते के साथ स्वर्ग के द्वार तक पहुंच जाते हैं।
स्वर्ग के द्वार पर पहुंचने पर कुत्ता यम के रुप में आ जाता है। यम स्वर्ग में प्रवेश के पहले युधिष्ठिर को नरक घुमाने ले जाते हैं। वहां युधिष्ठिर अपने भाईयों और द्रोपदी को पाप का पश्च्याताप करते देखते हैं। इसके बाद भगवान इंद्र युधिष्ठिर को लेकर स्वर्ग जाते हैं और वादा करते हैं कि उनके भाई और द्रोपदी बी जल्द वहां उनसे मिलेंगी।
और इस तरह भगवान कृष्ण और पांडवों ने ये संसार त्यागा। इसके बाद कल युग शुरु हुआ जिसे हम आज का संसार कहते हैं।