आणंद जिले के महिसागर नदी पर बने गांभीरा ब्रिज पर लटकी हुई 12 टन की रासायनिक टैंकर को हटाने का ऑपरेशन अब अपने अंतिम चरण में है। यह पूरी प्रक्रिया शनिवार तक पूरी किए जाने की संभावना है। इस खतरनाक स्थिति से निपटने के लिए बेहद आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। टैंकर को पुल के समतल स्तर तक लाने के लिए एयर लिफ्टिंग रोलर बैग और स्ट्रेन जैक जैसी तकनीकों का सहारा लिया गया है। रोलर बैग को टैंकर के नीचे फिट किया गया है, जिससे उसे धीरे-धीरे ऊपर उठाकर ब्रिज के स्तर तक लाया जाएगा, और फिर 900 मीटर लंबी केबल के ज़रिए ब्रिज के किनारे तक खींचा जाएगा।
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इस ऑपरेशन में करीब 50 विशेषज्ञों और टेक्निकल स्टाफ की टीम लगातार काम में जुटी हुई है। सुरक्षा और पारदर्शिता के तहत इस पूरी प्रक्रिया की रिकॉर्डिंग चार ड्रोन कैमरों से की जा रही है। ऑपरेशन के दौरान ब्रिज पर किसी भी व्यक्ति को मौजूद नहीं रहने दिया जाएगा, ताकि किसी प्रकार की दुर्घटना की संभावना न रहे। खास बात यह है कि इस पूरे अभियान में विदेशी इंजीनियरों की कोई मदद नहीं ली गई है, सारा काम स्वदेशी तकनीक और टीम के द्वारा किया जा रहा है।
महिसागर नदी पर बना गंभीरा ब्रिज, वडोदरा और आणंद जिलों को जोड़ता था और 1985 में बनाया गया था। 9 जुलाई को यह अचानक टूट गया, जिससे 20 लोगों की जान चली गई और कई घायल हो गए। पीटीआई के मुताबिक वडोदरा के डीएम अनिल धमेलिया ने 11 जुलाई को जानकारी देते हुए बताया, ‘‘पहले दिन हमें 12 शव और दूसरे दिन छह शव बरामद हुए, दुर्भाग्यवश एक पीड़ित की अस्पताल में मौत हो गई जबकि एक और शव बरामद किया गया।’’ गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल ने गुरुवार (10 जुलाई) को कार्रवाई करते हुए राज्य के सड़क और भवन विभाग के चार इंजीनियर को निलंबित कर दिया था।
(आणंद से नचिकेत मेहता की रिपोर्ट)