Sunday, December 03, 2023

जज ने 4 साल में एक भी केस नहीं निपटाया, 1.35 करोड़ रुपये का भारी वेतन लेकर हुए रिटायर

जस्टिस पाराशर को जुलाई 2019 में हरियाणा के राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण (SAT) के अध्यक्ष के रूप में पांच साल की अवधि में 65 वर्ष की आयु तक के लिए नियुक्त किया गया था।

Khushbu Rawal Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published on: August 14, 2023 8:12 IST
judge- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO केस निपटाए बिना रिटायर हो गए जज

चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के न्यायाधीश रहे जस्टिस स्नेह पाराशर अपने चार साल के कार्यकाल में एक भी मामले का निपटारा नहीं कर पाए। पिछले महीने वह हरियाणा राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण के अध्यक्ष के रूप में रिटायर हो गए। जस्टिस पाराशर को 1.35 करोड़ रुपये का भारी वेतन मिला, इसके अलावा आधिकारिक वाहन और कार्यालय कर्मचारी और प्रोटोकॉल के अनुसार अतिरिक्त सुविधाएं भी मिलीं।

बता दें कि पिछले चार साल से अर्धन्यायिक संस्था विवाद में फंस गई है और मामला पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में विचाराधीन है।

जुलाई 2019 में बने थे हरियाणा SAT चीफ

जस्टिस पाराशर को जुलाई 2019 में हरियाणा के राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण (SAT) के अध्यक्ष के रूप में पांच साल की अवधि में 65 वर्ष की आयु तक के लिए नियुक्त किया गया था। नियुक्ति पर प्रतिक्रिया देते हुए महाधिवक्ता बलदेव राज महाजन ने कहा कि उनके पूरे कार्यकाल के दौरान कोई काम नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि लंबे समय से मामला उच्च न्यायालय में लंबित होने के कारण काम शुरू नहीं कर सका।  उन्होंने कहा, "ट्रिब्यूनल के कामकाज के संबंध में उच्च न्यायालय के निर्देशों पर नियुक्त समिति पहले ही अपनी रिपोर्ट उच्च न्यायालय को सौंप चुकी है।"

राष्ट्रपति द्वारा की जाती है नियुक्ति
बिना काम के अध्यक्ष को वेतन और भत्ते के रूप में इतनी बड़ी राशि के भुगतान के संबंध में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और राज्य कुछ नहीं कर सकता है।

हरियाणा प्रशासनिक न्यायाधिकरण के गठन को लेकर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के वकीलों की करीब दो सप्ताह तक हड़ताल के बावजूद राज्य सरकार ने अधिसूचना वापस लेने से इनकार कर दिया था। वकील ट्रिब्यूनल के खिलाफ थे, उनका कहना था कि इससे मुकदमेबाजी की प्रक्रिया लंबी हो जाएगी और अंततः सरकार को फायदा हो सकता है। कर्मचारियों की शिकायतों का तुरंत समाधान प्रदान करने और हाई कोर्ट में सेवा मामलों की लंबितता को कम करने के लिए हरियाणा के अनुरोध पर केंद्र सरकार द्वारा ट्रिब्यूनल की स्थापना की गई थी। (इनपुट- IANS)

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