Tuesday, April 16, 2024
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हरियाणा के मिर्चपुर में कुत्ते के भौंकने की वजह से हुई थी दलितों की हत्या

दिल्ली उच्च न्यायालय के मुताबिक दलित समुदाय के एक व्यक्ति के पालतू कुत्ते ने गांव से गुजर रहे जाट युवकों पर भौंकना शुरू कर दिया जो नशे में थे। और इसी से मिर्चपुर के दलित हत्याकांड का घटनाक्रम शुरू हुआ था।

India TV News Desk Edited by: India TV News Desk
Updated on: August 25, 2018 8:54 IST
मिर्चपुर, दलित- India TV Hindi
कुत्ते के भौंकने की वजह से हुई थी मिर्चपुर में दलितों की हत्या 

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय के मुताबिक दलित समुदाय के एक व्यक्ति के पालतू कुत्ते ने गांव से गुजर रहे जाट युवकों पर भौंकना शुरू कर दिया जो नशे में थे। और इसी से मिर्चपुर के दलित हत्याकांड का घटनाक्रम शुरू हुआ था। इस घटना का जिक्र अदालत के 209 पन्नों के आए फैसले में किया गया है। अदालत ने इस मामले में 33 जाटों को दोषी ठहराया है। अदालत ने कहा कि यह घटना 19 अप्रैल 2010 की शाम की है जब मिर्चपुर गांव से जाट युवकों का एक समूह लौट रहा था और एक ग्रामीण के कुत्ते ने उन पर भौंकना शुरू कर दिया। इस घटना से नाराज जाटों ने इस पर आपत्ति जताते हुए उसपर पत्थर फेंका।

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गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी

फैसले में कहा गया कि जब ग्रामीण और उसका भतीजा बाहर आए और इसपर आपत्ति जताई तो जाटों ने उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी। इसके बाद बहस शुरू हो गई और किसी तरह ग्रामीण ने स्थिति को संभाला जिसके बाद जाट युवक वहां से चले गए। ​इसके बाद जाट समुदाय के सदस्यों ने कुत्ते के स्वामी से कहा कि वह आगे किसी समस्या से बचने के लिए माफी मांग ले। जब वह और उसका पड़ोसी एक आरोपी के घर पहुंचे तो उन्हें बुरी तरह पीटा गया। उनमें से एक को गंभीर चोट आई और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। उसने स्थानीय पुलिस से मामले की शिकायत भी की। 

जाटों ने फैलाई पिटाई की अफवाह

अगले दिन, 20 अप्रैल 2010 को बड़ी संख्या में जाट समुदाय के युवक गांव में इकट्ठे हो गए जिससे दलित समुदाय को हमले की आशंका होने लगी। इसके बाद 21 अप्रैल 2010 को गांव के पास से गुजर रहे एक आरोपी ने कथित तौर पर दलित युवकों को उनके घर जलाने की धमकी दी जिसके बाद दोनों पक्षों में फिर बहस होने लगी। इसके बाद जाटों ने इस बात की अफवाह फैला दी कि दलितों ने आरोपी की पिटाई कर दी। फैसले में कहा गया कि इसके कुछ देर बाद बड़ी संख्या में जाट समुदाय के लोग लाठी-डंडों, पेट्रोल, मिट्टी के तेल के कनस्तर लेकर गांव पहुंचे और दलितों के घरों की तरफ पथराव करना शुरू कर दिया। शुरू में सौ से डेढ़ सौ जाट समुदाय के सदस्य थे जिनकी संख्या बाद में 300 से 400 तक हो गई। 

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