Friday, April 26, 2024
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DRDO ने एसएफडीआर प्रौद्योगिकी की मदद से उड़ान का सफल परीक्षण किया

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ठोस ईंधन वाली रैमजेट (एसएफडीआर) मिसाइल प्रणोदन प्रणाली का ओडिशा के चांदीपुर परीक्षण केंद्र से शुक्रवार को सफल उड़ान परीक्षण किया।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: March 05, 2021 17:45 IST
डीआरडीओ ने एसएफडीआर प्रणोदन प्रणाली का सफल परीक्षण किया- India TV Hindi
Image Source : ANI डीआरडीओ ने एसएफडीआर प्रणोदन प्रणाली का सफल परीक्षण किया

नयी दिल्ली। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ठोस ईंधन वाली रैमजेट (एसएफडीआर) मिसाइल प्रणोदन प्रणाली का ओडिशा के चांदीपुर परीक्षण केंद्र से शुक्रवार को सफल उड़ान परीक्षण किया। डीआरडीओ ने एक बयान में कहा, ‘‘बूस्टर मोटर और नोजल-लेस मोटर सहित सभी उप प्रणालियों ने उम्मीद के अनुरूप (उड़ान परीक्षण के दौरान) प्रदर्शन किया।’’

बयान में कहा गया है कि वर्तमान में एसएफडीआर मिसाइल प्रणोदन प्रौद्योगिकी विश्व में सिर्फ गिने-चुने देशों के पास ही उपलब्ध है। बयान में कहा गया है कि एसएफडीआर प्रौद्योगिकी के सफल प्रदर्शन ने डीआरडीओ को एक प्रौद्योगिकीय लाभ उपलब्ध कराया है, जिससे लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करनी वाली मिसाइलें विकसित करने में मदद मिलेगी।

सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट (एसएफडीआर) मिसाइल भारत और रूस द्वारा संयुक्त रूप से विकसित एक मिसाइल प्रणादेन तकनीक है। डीआरडीओ अधिकारियों ने बताया कि ग्राउंड बूस्टर मोटर समेत सभी सब सिस्टम उम्मीदों पर खरे उतरे और उन्होंने बेहतर प्रदर्शन किया। यह मिसाइल भारत की सर्फेस टू एयर और एयर टू एयर दोनों ही मिसाइलों को बेहतर प्रदर्शन करने और उनकी स्ट्राइक रेंज को बढ़ाने में मदद करेगा। इसमें सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट तकनीकी भी शामिल है। 

क्या होती है रैमजेट तकनीक?

रैमजेट वायु स्वास्थ जेट इंजन का एक रूप होता है। ये घुर्णन कंप्रेस के बिना आने वाली हवा को कम प्रेस करने के लिए वाहन की आगे की गति का उपयोग करता है। एक रैमजेट संचालित वाहन को एक रॉकेट की तरह ही एक सहायक टेक ऑफ की जरूरत होती है। ये वाहन को उस गति तक ले जाने में सहायक होता है, जहां से इसमें जोर पैदा होना शुरू होता है। इस मिसाइल की मारक क्षमता 100-200 किमी है।  

 

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