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विस्तार से समझिए क्या है नेशनल हेराल्ड घोटाला

नई दिल्ली: नेशनल हेराल्ड मामले में आज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को दोपहर तीन बजे पटियाला हाउस कोर्ट में पेश होना है।

India TV News Desk
Published : Dec 08, 2015 05:31 pm IST, Updated : Dec 19, 2015 01:10 pm IST
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नई दिल्ली: नेशनल हेराल्ड मामले में आज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को दोपहर तीन बजे पटियाला हाउस कोर्ट में पेश होना है। वहीं मौके की नजाकत को देखते हुए कांग्रेस आलाकमान ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से अदालत के बाहर और कहीं और किसी भी प्रकार का हंगामा न करने का निर्देश दे दिया है। आज हम अपनी खबर में आपको विस्तार से बताएंगे कि आखिर ये पूरा नेशनल हेराल्ड मामला है क्या?

अखबार था नेशनल हेराल्ड-

आपको बता दें कि नेशनल हेराल्ड नामक अखबार की शुरुआत साल 1938 में लखनऊ में की गई थी। इस अखबार का हिंदी अर्थ भारत का अग्रदूत था। शुरु शुरु में अखबार में ये लाइने लिखा हुआ करती थीं Freedom is in Peril, Defend it with All Your Might यानी स्वतंत्रता खतरे में हैं और हमें इसकी रक्षा करनी है। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू इसके पहले संपादक थे। साल 1942 में अंग्रेजों ने इंडियन प्रेस पर हमला कर दिया था जिस वजह से इस अखबार को बंद करना पड़ा। साल 1942 से लेकर 1945 तक अखबार का एक भी अंक प्रकाशित नहीं हुआ। साल 1945 के खत्म होते होते इस अखबार को एक बार फिर से शुरु करने की कोशिश की गई। नेहरू के प्रधानमंत्री बनने के बाद अब के राम राव हेराल्ड के संपादक पद पर बैठे।

साल 1946 में इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी ने अखबार का प्रबंधन संभाला। ये वो दौर था जब मानिकोंडा चलापति राव अखबार का संपादन कार्य कर रहे थे और इसके दो संस्करण दिल्ली और लखनऊ से छापे जा रहे थे। साल 1977 में एक बार फिर से इस अखबार को बंद करना पड़ा। इंदिरा गांधी की चुनाव में हार हुई। अब पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को अखबार की कमान संभालनी पड़ी। लखनऊ संस्करण को मजबूरन बंद करना पड़ा, सिर्फ दिल्ली का अंक ही प्रकाशित हो पाता था। खराब प्रिंटिंग और तकनीकी खामियों का हवाला देते हुए साल 2008 में इसके दिल्ली अंक को भी बंद करने का फैसला किया गया। उस वक्त अखबार के संपादक थे टीवी वेंकेटाचल्लम।

अखबार बंद होने पर एसोसिएट जर्नल्स को मिला मालिकाना हक-

साल 2008 में इस अखबार को पूरी तरह से बंद कर दिया गया। इस अखबार का मालिकाना हर एसोसिएट जर्नल्स को दे दिया गया। इस कंपनी ने कांग्रेस से बिना ब्याज के 90 करोड़ रुपए कर्जा लिया। लेकिन अखबार फिर भी शुरु नहीं हुआ। 26 अप्रैल 2012 को एक बार फिर से मालिकाना हक का स्थानांतरण हुआ। अब नेशनल हेराल्ड का मालिकाना हक यंग इंडिया को मिला। यंग इंडिया में 76 फीसदी शेयर सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास हैं। जानकारी के मुताबिक यंग इंडिया ने हेराल्ड की संपत्ति महज 50 लाख में हासिल की जिसकी कीमत करीब 1600 करोड़ के आस पास थी। तात्कालीन जनता पार्टी नेता और मौजूदा भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया कि हेराल्ड की संपत्तियों को गलत ढंग से इस्तेमाल में लिया गया है। स्वामी इस मामले को साल 2012 में कोर्ट तक खींच ले गए।

अगली स्लाइड में पढ़ें क्या किया सुब्रमण्यम स्वामी ने

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