Friday, April 26, 2024
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निर्भया मामला: दोषी पवन के वकील पर जज ने ठोका 25 हजार रुपये जुर्माना, बार काउंसिल से भी कार्रवाई को कहा

दिल्ली उच्च न्यायालय ने पवन कुमार गुप्ता की की याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में दावा किया गया था कि वह 2012 में अपराध के समय किशोर था इसलिए किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधानों के तहत फैसला सुनाया जाना चाहिए।

IndiaTV Hindi Desk Reported by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: December 19, 2019 20:09 IST
Nirbhaya- India TV Hindi
Image Source : FILE निर्भया की मां

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में फांसी की सजा का सामना कर रहे चार दोषियों में एक की याचिका बृहस्पतिवार को खारिज कर दी। याचिका में उसने दावा किया था कि दिसंबर 2012 में अपराध के समय वह नाबालिग था।

अदालत ने जाली दस्तावेज जमा करने और पेश नहीं होने के लिए दोषी के वकील के आचरण पर नाराजगी जतायी। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने कहा कि दोषी पवन कुमार गुप्ता ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष मामले में मृत्युदंड के खिलाफ अपनी पुनर्विचार याचिका में नाबालिग होने का दावा किया था।

शीर्ष न्यायालय ने पिछले साल नौ जुलाई को उसकी याचिका खारिज कर दी थी। पवन की ओर से याचिका दायर करने वाले वकील ए पी सिंह के आचरण से खफा उच्च न्यायालय ने उनपर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया। अदालत ने कहा कि बेसहारा महिलाओं और बच्चों के कल्याण के लिए चलने वाले ‘निर्मल छाया’ के पक्ष में एक सप्ताह के भीतर यह राशि जमा करायी जाएगी।

अदालत ने दिल्ली बार काउंसिल को दोषी की उम्र के संबंध में अदालत में जाली हलफनामा दाखिल करने के लिए वकील के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा। अदालत ने कहा कि वकील ने बिना सोचे समझे या जानबूझकर प्रक्रिया में देरी करने के लिए दस्तावेज जमा किए। सिंह सुबह साढ़े दस बजे अदालत में पेश हुए और अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने के नाम पर कार्यवाही स्थगित करने की मांग की। उनके आग्रह पर अदालत ने 24 जनवरी की तारीख तय की।

कुछ देर बाद ही दिल्ली पुलिस के लिए अतिरिक्त लोक अभियोजक संजय लाउ और पीड़िता के अभिभावकों की ओर से पेश वकील जितेंद्र झा और सीमा समृद्धि कुशवाहा ने कहा कि नाबालिग होने संबंधी दावे के मुद्दे को उच्चतम न्यायालय पहले ही सुलझा चुका है। उन्होंने कहा कि दोषी की याचिका विचार योग्य नहीं है और यह मामला में देरी करने का प्रयास है ताकि निकट भविष्य में दोषी फांसी की सजा से बच सके।

न्यायाधीश ने वकील को अदालत में पेश होने के लिए विभिन्न माध्यमों से कई बार संदेश भेजे। हालांकि दोपहर ढाई बजे के बाद दोबारा सुनवाई होने पर सिंह नहीं आए। निर्भया के अभिभावक भी सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद थे। पवन ने अपनी याचिका में दावा किया था कि अपराध के समय वह नाबालिग था और पिछले साल 21 दिसंबर को याचिका खारिज कर दी गयी थी। उसने निचली अदालत के फैसले को अब उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।

पवन के अलावा मामले में तीन अन्य दोषियों में मुकेश, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह शामिल हैं। दिल्ली में सात साल पहले 16 दिसंबर की रात को एक नाबालिग समेत छह लोगों ने चलती बस में 23 वर्षीय छात्रा से सामूहिक बलात्कार किया था और उसे बस से बाहर सड़क के किनारे फेंक दिया था। सिंगापुर में 29 दिसंबर 2012 को एक अस्पताल में पीड़िता की मौत हो गयी थी।

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