रोजमर्रा के कामों में आ रही है दिक्कत
उन्होंने बताया कि अभी 15 दिन में वेश्यालय मालिकों से मिलने वाले अपने मेहनताने को या तो वह छोटे मूल्य के नोटों में ले रही हैं या उसे बाद में लेने के वादे पर छोड़ दे रही हैं। लेकिन ग्राहकों से मिलने वाली बख्शीश का इस्तेमाल जो वह रोजमर्रा के कामकाजों, दवाओं इत्यादि को खरीदने में करती थीं, उसमें उन्हें काफी दिक्कत आ रही है।
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दस्तावेज ना होने के चलते बैंक खाते खुलवाने में आती है समस्या
इसके अलावा एक और समस्या नए बैंक खाते नहीं खुलवा पाने की है क्योंकि उन जैसी अधिकतर सेक्स वर्कर्स के पास खाता खुलवाने के लिए लगने वाले मान्य दस्तावेज ही नहीं है।
छोटे कामकाज वाले ग्राहक अधिक आते हैं जो आजकल कम हो गए हैं
इसी के साथ नोटबंदी से रेडलाइट एरिया में ग्राहकों की आवक कम होने से भी सेक्सवर्करों की आजीविका पर फर्क पड़ा है। AINSW की कुसुम ने बताया कि दिल्ली के रेडलाइट एरिया में आने वाले अधिकतर ग्राहक हरियाणा, उत्तर प्रदेश के नजदीकी जिलों से आने वाले छोटे-मोटे काम करने वाले लोग हैं। अब नोटबंदी के बाद उनके स्वयं के रोजमर्रा के खर्च की दिक्कतें हैं तो वे यहां क्यों आएंगे?