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क्या हिंदी के ये महान लेखक याद हैं आपको? आज भी धूम मचाती हैं इनकी कहानियां

हर साल 10 जनवरी को हम विश्व हिंदी दिवस मनाते हैं। वैसे तो दुनिया के कई देशों में लोग हिंदी बोलते हैं मगर पूरे विश्व में हिंदी का विस्तार हो सके, इसलिए विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है।

Written By: Adarsh Pandey
Published : Jan 09, 2024 12:34 IST, Updated : Jan 09, 2024 13:20 IST
हिंदी साहित्य के महान...- India TV Hindi
Image Source : SOCIAL MEDIA हिंदी साहित्य के महान लेखक

हर साल की तरह इस साल भी 10 जनवरी को हम विश्व हिंदी दिवस मनाएंगे। विश्व हिंदी दिवस की शुरूआत करने के पीछे का उद्देश्य पूरे विश्व में हिंदी भाषा का विस्तार करना है। अब बात जब हिंदी की हो रही है तो हम अपने उन लेखकों को कैसे भूल सकते हैं जिन्होंने अपनी कहानियों के जरिए हिंदी भाषा को एक ताकत देने का काम किया है। आज हम आपको ऐसे कुछ लेखकों के बारे में बताएंगे, जिनकी कहानियां आज भी धूम मचा रही हैं।

मुंशी प्रेमचंद के बारे में जानें

सादा और सरल जीवन जीने वाले मुंशी प्रेमचंद का नाम हिंदी और उर्दू के महान लेखकों में बड़े ही अदब के साथ लिया जाता है। 31 जुलाई 1880 को वाराणसी से लगभग चार मील दूर लमही नाम के गांव में जन्मे प्रेमचंद को उपन्यास पढ़ने का बड़ा शौक था। प्रेमचंद का मूल नाम धनपतराय था। प्रेमचंद ने 300 से अधिक कहानियां, 3 नाटक, 15 उपन्यास, 10 अनुवाद और 7 बाल पुस्तकें लिखी। प्रेमचंद आज भी अपने उपन्यास और कहानियों के कारण जाने जाते हैं।

अब हम मुंशी प्रेमचंद की कहानियों के बारे में बात करते हैं। वैसे तो मुंशी प्रेमचंद ने कई कहानियां लिखी है मगर कुछ कहानियां ऐसी रही जो आज भी लोगों की जुबान पर है। इन कहानियों में पूस की रात, कफन, बूढ़ी काकी, पंच पर्मेश्वर, दो बैलों की कथा और बड़े घर की बेटी शामिल हैं। मुंशी प्रेमचंद का निधन 8 अक्टूबर 1936 में हो गया।

मुंशी प्रेमचंद

Image Source : SOCIAL MEDIA
मुंशी प्रेमचंद

अज्ञेय के बारे में जानें

सच्चिदानंद हीरनांद वातस्यायन 'अज्ञेय' का जन्म उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में 7 मार्च 1911 को हुआ था। तब कुशीनगर को कसया के नाम से जानते थे। अज्ञेय ने संस्कृत, फारसी, अंग्रेजी, बांग्ला के साथ ही साथ साहित्य की भी शिक्षा ली। हिंदी साहित्य की दुनिया में लोग उन्हें, कवि, संपादक, निंबधकार और उपन्यासकार के रूप में देखते और जानते हैं। आपको बता दें कि उनके नाम में लगने वाला 'अज्ञेय' उपनाम के पीछे भी रोचक कहानी है। जब वे जेल में थे तब उन्होंने अपनी 'साढ़े सात कहानियां' प्रकाशन के लिए भेजी। जब ये कहानियां प्रेमचंद तक पहुंची तो उन्होंने प्रकाशन के लिए दो कहानियां चुन ली। अब चुंकि लेखक का नाम उजागर नहीं किया जा सकता था, तो यह तय हुआ कि 'अज्ञेय' नाम के प्रयोग होगा। उन्होंने विपथगा, परंपरा, कोठरी की बात, शरणार्थी, जयदोल आदि कहानियां लिखी। इनमें से कई कहानियां आज भी प्रचलित हैं। अज्ञेय का निधन 4 अप्रैल 1987 में हो गया।

सच्चिदानंद हीरानंद वात्‍स्‍यायन 'अज्ञेय'

Image Source : SOCIAL MEDIA
सच्चिदानंद हीरानंद वात्‍स्‍यायन 'अज्ञेय'

फणीश्वर नाथ 'रेणु' के बारे में जानें

हिंदी भाषा के साहित्यकारों की जब भी बात होगी तो फणीश्वर नाथ 'रेणु' का नाम लिए बिना वह चर्चा पूरी नहीं हो सकती है। हिंदी साहित्य के जाने-मानें उपन्यासकार और कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु का जन्म बिहार के पूर्णिया में औराही हिंगना नामक गांव में 4 मार्च 1921 को हुआ था। उन्हें हिंदी साहित्य में एक आंचलिक युग की स्थापना का श्रेय दिया जाता है। फणीश्वरनाथ रेणु के कई उपन्यास और कहानियों पर फिल्म भी बन चुकी हैं। उपन्यास और कहानी के अलावा फणीश्वरनाथ रेणु निबंध, संस्मरण आदि गद्द विधाओं में लेखने किया। उनकी कहानियों की बात करें तो उन्होंने ठुमरी, एक आदिम रात्रि की महक, अग्निखोर, मेरी प्रिय कहानियां, अच्छे आदमी जैसी कहानियां लिखी। फणीश्वरनाथ रेणु का निधन 11 अप्रैल 1977 में हुआ।

फणीश्वर नाथ 'रेणु'

Image Source : SOCIAL MEDIA
फणीश्वर नाथ 'रेणु'

जयशंकर प्रसाद के बारे में जानें

जयशंकर प्रसाद को छायावाद के आधार स्तंभों में से एक माना जाता है। उनका जन्म काशी में 30 जनवरी 1890 को हुआ। जयशंकर प्रसाद का परिवार व्यापार करता था और उनके पिता और भाई की असामयिक मृत्यु के कारण उन्हें पढ़ाई छोड़कर व्यापार संभालना पड़ा। इनकी संरचनाओं में आपको खड़ी बोली देखने को मिलेगी। जयशंकर प्रसाद ने नाटक, कहानी संग्रह, उपन्यास, काव्य और निबंध संग्रह लिखे हैं। उनकी कुछ कहानियों की बात करें तो, छाया, प्रतिध्वनि, इन्द्रजाल सफल कहानियों के संग्रह हैं। जयशंकर प्रसाद का निधन 25 नवंबर 1937 में हो गया।

जयशंकर प्रसाद

Image Source : SOCIAL MEDIA
जयशंकर प्रसाद

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