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समय से पहले मॉनसून देगा दस्तक, मौसम विभाग ने दिया अपडेट, बताई तारीख

मौसम विभाग ने इस साल समय से पहले मॉनसून आने की संभावना जताई है। यदि यह पूर्वानुमान सही साबित होता है, तो 2009 के बाद यह पहला मौका होगा जब मॉनसून भारतीय भूमि पर समय से पहले दस्तक देगा।

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published : May 13, 2025 02:41 pm IST, Updated : May 13, 2025 02:45 pm IST
प्रतीकात्मक फोटो- India TV Hindi
Image Source : REPRESENTATIVE IMAGE प्रतीकात्मक फोटो

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने मंगलवार को मौसम को लेकर अपडेट जारी करते हुए बताया कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून, बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी भाग, अंडमान सागर के दक्षिणी भाग, निकोबार द्वीप समूह और अंडमान सागर के उत्तरी भाग के कुछ क्षेत्रों में आगे बढ़ रहा है। मौसम विभाग ने पिछले दो दिनों में निकोबार द्वीपसमूह में हुई मध्यम से भारी वर्षा का हवाला देते हुए बताया कि इस अवधि में बंगाल की खाड़ी के दक्षिण, निकोबार द्वीप समूह और अंडमान सागर के ऊपर पश्चिमी हवाओं का प्रभाव बढ़ा है। इसके अलावा इस क्षेत्र में ‘आउटगोइंग लांगवेव रेडिएशन’ (ओएलआर) में भी कमी दर्ज की गई है, जो बादल छाए रहने का संकेत देता है। आईएमडी ने स्पष्ट किया कि ये सभी स्थितियां इस क्षेत्र में मॉनसून के आगमन के लिए अनुकूल मानकों को पूरा करती हैं।

मौसम विभाग ने आगे जानकारी दी कि अगले तीन से चार दिनों में दक्षिण अरब सागर, मालदीव और कोमोरिन क्षेत्र के अधिकतर भाग, दक्षिण बंगाल की खाड़ी के अधिकतर क्षेत्रों, संपूर्ण अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, अंडमान सागर के शेष भागों और मध्य बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों में मॉनसून के और आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं।

कब दस्तक देगा मॉनसून?

प्राथमिक वर्षा प्रणाली के सामान्य तिथि 01 जून से पहले, 27 मई को केरल पहुंचने की संभावना जताई गई है। यदि यह पूर्वानुमान सही साबित होता है, तो 2009 के बाद यह पहला मौका होगा जब मॉनसून भारतीय भूमि पर समय से पहले दस्तक देगा। 2009 में मॉनसून 23 मई को केरल में शुरू हुआ था।

आमतौर पर दक्षिण-पश्चिम मॉनसून 01 जून तक केरल में प्रवेश करता है और लगभग एक महीने बाद 08 जुलाई तक पूरे देश में छा जाता है। यह 17 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम भारत से लौटना शुरू होता है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह से वापस चला जाता है।

सामान्य से अधिक वर्षा की संभावना

अप्रैल में आईएमडी ने 2025 के मॉनसून के मौसम में सामान्य से अधिक वर्षा का पूर्वानुमान जारी किया था। साथ ही, मौसम विभाग ने ‘अल नीनो’ की स्थिति की संभावना को भी खारिज कर दिया था, जो आमतौर पर भारतीय उपमहाद्वीप में सामान्य से कम वर्षा का कारण बनती है। ‘अल नीनो’ एक प्राकृतिक जलवायु घटना है, जो तब होती है जब पूर्वी प्रशांत महासागर में भूमध्य रेखा के पास समुद्र का तापमान सामान्य से अधिक गर्म हो जाता है। 

मॉनसून भारत के कृषि क्षेत्र के लिए जीवन रेखा की तरह है, जो लगभग 42 प्रतिशत आबादी की आजीविका का आधार है और देश के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 18 प्रतिशत का योगदान देता है। इसके अतिरिक्त, यह देश भर में पीने के पानी और बिजली उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण जलाशयों को फिर से भरने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। (इनपुट- भााषा)

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