Monday, April 29, 2024
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Punjab News: फसल को भी लगा चीनी वायरस! बीमारी की चपेट में 34 हजार हेक्टेयर धान के खेत

Punjab News: पंजाब में 34,000 हेक्टेयर से अधिक धान की फसल में ‘बौनेपन’ का रोग देखा गया है। राज्य के कृषि विभाग ने इस बीमारी (ड्वार्फ डिजीज) से प्रभावित क्षेत्रों में औसतन पांच प्रतिशत फसल के नुकसान का अनुमान लगाया है।

Swayam Prakash Edited By: Swayam Prakash @SwayamNiranjan
Updated on: September 12, 2022 20:32 IST
Paddy crop in 34000 hectares vulnerable to dwarf disease in Punjab- India TV Hindi
Image Source : PTI Paddy crop in 34000 hectares vulnerable to dwarf disease in Punjab

Highlights

  • ‘ड्वार्फ’ बीमारी की चपेट में पंजाब में धान की फसल
  • धान की फसल में ‘बौनेपन’ का रोग देखा गया
  • औसतन पांच प्रतिशत फसल के नुकसान का अनुमान

Punjab News: पंजाब में 34,000 हेक्टेयर से अधिक धान की फसल में ‘बौनेपन’ का रोग देखा गया है। राज्य के कृषि विभाग ने इस बीमारी (ड्वार्फ डिजीज) से प्रभावित क्षेत्रों में औसतन पांच प्रतिशत फसल के नुकसान का अनुमान लगाया है। कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को कहा कि विभाग के ताजा सर्वेक्षण के अनुसार, बौना रोग का सबसे अधिक प्रभाव मोहाली (6,440 हेक्टेयर), पठानकोट (4,520 हेक्टेयर), गुरदासपुर (3,933 हेक्टेयर), लुधियाना (3,500 हेक्टेयर), पटियाला (3,500 हेक्टेयर) और होशियारपुर (2,782 हेक्टेयर) के धान के खेतों में देखा गया था। 

दक्षिणी चीन में पाया गया था ये वायरस

लुधियाना स्थित पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने पहले राज्य के कई हिस्सों में धान के पौधों के बौनेपन के पीछे दक्षिणी चावल ब्लैक-स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस (एसआरबीएसडीवी) का प्रकोप देखा था, जिसे बौना रोग भी कहा जाता है। इस वायरस को पहली बार वर्ष 2001 में दक्षिणी चीन में पाये जाने की खबर मिली थी जिसके बाद अब पंजाब में पाया गया है। कृषि विशेषज्ञों ने कहा कि इस बीमारी के हमले के कारण कुछ पौधे मर गए थे और कुछ धान के खेतों में सामान्य पौधों की तुलना में आधे से एक-तिहाई ऊंचाई के साथ कम रह गए थे। धान के पौधों की बौनेपन की रिपोर्ट के बाद, राज्य के कृषि विभाग ने पंजाब में धान के खेतों पर SRBSDV रोग के प्रभाव का आकलन करने के लिए एक सर्वेक्षण किया। सर्वे के मुताबिक, पंजाब में 34,347 हेक्टेयर धान के रकबे में बौना रोग पाया गया है। अधिकारी ने सोमवार को पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘इस बीमारी का सबसे ज्यादा असर मोहाली, पठानकोट, गुरदासपुर और लुधियाना में देखा गया है।’’ अधिकारी ने कहा, ‘‘प्रभावित क्षेत्रों में औसतन पांच प्रतिशत उपज घटने की आशंका है।’’ 

समय से पहले रोपे गये धान पर बीमारी का असर
पीएयू के निदेशक (अनुसंधान) जी एस मंगत ने कहा कि बौना रोग समयपूर्व रोपे गये धान पर दिखाई दे रहा था। उन्होंने आगे कहा, ‘‘बीमारी ने 20 जून तक बोई गई फसल को प्रभावित किया है।’’ विशेषज्ञों के अनुसार, इस रोग का सर्वाधिक प्रभाव पीआर-121 धान की किस्म में देखा गया क्योंकि इसके 20 जून के बाद बुवाई करने को कहने के बावजूद किसानों ने इसे समय से पहले बोया था। मंगत ने कहा कि विभिन्न कारकों में, उच्च तापमान इस रोग के बढ़ने के अनुकूल साबित हुआ है।

किसी भी दवा से नियंत्रित नहीं किया जा सकता रोग
अन्य देशों में प्रकाशित वैज्ञानिक रिपोर्टों के अनुसार, एसआरबीएसडीवी, सफेद पीठ वाले प्लांट हॉपर (डब्ल्यूबीपीएच) के मादा एवं वयस्क वायरस से फैलता है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि एक बार बौनेपन का शिकार होने के बाद इस रोग को किसी भी कृषि रसायन से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। पंजाब में खरीफ सत्र में धान की बुवाई 30.84 लाख हेक्टेयर में की गई है। विपक्षी दल शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने पहले ही राज्य सरकार से उन धान उत्पादकों के लिए 20,000 रुपये प्रति एकड़ का मुआवजा मांगा था, जिनके खेत इस बौनेपन वाले रोग से प्रभावित हुए थे।
 

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