योजना के अंतर्गत किसानों को बेहद कम प्रीमियम देना होता है। यह योजना प्राकृतिक आपदाओं जैसे सूखा, बाढ़, ओलावृष्टि, कीट और बीमारियों से होने वाले नुकसान को कवर करती है।
भारत ने साल 2024-25 में अनाज के उत्पादन में ऐतिहासिक वृद्धि की है। कृषि मंत्री शिवराज ने इसके लिए देश के किसानों को धन्यवाद कहा है। आइए जानते हैं कि भारत में कितने अनाज का उत्पादन हुआ है।
CSE की नई स्टडी के मुताबिक भारत की 64% मिट्टी में नाइट्रोजन और 48.5% में ऑर्गेनिक कॉर्बन की कमी है। नाइट्रोजन खाद डालने के बावजूद मिट्टी की सेहत में सुधार नहीं हो रहा। यह स्थिति खेती, उत्पादकता और जलवायु परिवर्तन के लिए खतरनाक है।
भगवंत मान ने कहा, ‘‘हम किसानों को अपने खेतों से रेत निकालने की अनुमति दे रहे हैं। अगर आप रेत बेचना चाहते हैं या अपने लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो आप ऐसा कर सकते हैं।’’
फसल बीमा योजना के तहत, किसानों को खरीफ फसलों के बीमा के लिए सिर्फ 2 प्रतिशत प्रीमियम देना होता है, जबकि बाकी प्रीमियम का भुगतान केंद्र और राज्य सरकार करती हैं।
दक्षिण-पश्चिम मॉनसून 2025 सीजन के लिए सामान्य से अधिक वर्षा का पूर्वानुमान और इसकी संभावित शुरुआत आगामी खरीफ सीजन के लिए शुभ संकेत है।
बेमौसम बारिश से आम लोगों को गर्मी से राहत जरूर मिली, लेकिन किसानों को भारी नुकसान हुआ है। मंडी में रखी गेहूं, मक्का, सोयाबीन की फसलें भीगने से किसानों को लाखों का नुकसान हो गया।
मुआवजा प्रक्रिया में किसी भी तरह की लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह निर्देश 9 अप्रैल की रात को अचानक मौसम खराब होने के बाद आया।
अजीत पवार ने कहा था कि महाराष्ट्र सरकार इस हालत में नहीं है कि किसानों के लोन माफ कर सके। इस वजह से किसानों को धीरे-धीरे किश्तों में पूरा लोन भरना होगा। हालांकि, चुनाव से पहले भी राज्य में महायुति की सरकार थी और लोन माफ करने का वादा किया था।
समिति ने सरकार और राज्य सरकारों से धन जारी करने में देरी और नुकसान के लिए अपर्याप्त मुआवजे जैसे मुद्दों को जल्द से जल्द हल करने के लिए कहा है।
राजस्थान के कुछ हिस्से में हुई भारी ओलावृष्टि ने किसानों को तोड़ दिया है। किसानों का कहना है कि सरसों, चना और गेहूं की फसलें पूरी तरह से तबाह हो गई हैं।
कैबिनेट के एक और बड़े फैसले में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने डाइ-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) पर अतिरिक्त सब्सिडी को 31 दिसंबर, 2024 से आगे बढ़ा दिया, ताकि इस प्रमुख उर्वरक की खुदरा कीमतों को 50 किलोग्राम के प्रति बैग 1,350 रुपये पर बनाए रखने में मदद मिल सके।
झांसी में हुई भारी बारिश और ओलावृष्टि के कारण किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं। सीएम योगी के आदेश के बाद अधिकारी सर्वेक्षण के लिए तो पहुंचे लेकिन किसानों के फसल के कुल नुकसान का सिर्फ 32 से 33% ही देने की बात कर रहे हैं।
राजस्थान के अनेक इलाकों में हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश हुई जिससे फसलों को नुकसान पहुंचा है। जयपुर मौसम केंद्र के अनुसार पिछले 24 घंटे में राज्य के कुछ भागों में हल्के से मध्यम दर्जे की बरिश हुई।
कुछ माह से प्लांट के अदंर से काला, गंदा और ऑयल युक्त पानी निकलकर खेतों तक जा रहा है, जिससे खड़ी धान की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है।
जब भारत अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा था और भारत में अनाज का संकट और भूखमरी जैसे हालत बन रहे थे, उस दौरान एमएस स्वामीनाथन ने कृषि क्षेत्र में सुधार लाने का काम किया। एमएस स्वामीनाथन को हरित क्रांति का जनक भी कहा जाता है।
बारिश और ओलावृष्टि की वजह से फसल बर्बाद हो जाने के कारण आप सरकार से मुआवजा ले सकते हैं। इसके लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत रजिस्ट्रेशन करें। हरियाणा के किसान मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर बर्बाद हुई फसल के लिए आवेदन कर सकते हैं।
डिजिक्लेम प्लेटफॉर्म के माध्यम से राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और हरियाणा के बीमित किसानों को एक बटन क्लिक कर कुल 1,260.35 करोड़ रुपये का बीमा दावा स्थानांतरित किया
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