नई दिल्ली: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को समाप्त किए जाने के फैसले को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी को महात्मा गांधी के विचारों से और गरीबों के अधिकारों से पक्की नफरत है।
मनरेगा को बताया सुरक्षा कवच
राहुल गांधी ने मनरेगा को महात्मा गांधी के ग्राम-स्वराज के सपने का जीवंत रूप बताया और कहा कि यह करोड़ों ग्रामीणों की जिंदगी का सहारा है। उन्होंने कहा कि यह योजना कोविड काल के दौरान ग्रामीण आबादी के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक सुरक्षा कवच साबित हुई थी।
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी को यह योजना हमेशा खटकती रही है और पिछले दस सालों से इसे कमजोर करने की कोशिशें चल रही हैं। उनका दावा है कि अब प्रधानमंत्री मनरेगा का नामो-निशान मिटाने पर आमादा हैं।
राहुल गांधी ने मनरेगा की मूल बुनियाद में निहित तीन विचारों का जिक्र किया-
- रोज़गार का अधिकार: जो भी काम मांगेगा, उसे काम मिलेगा।
- गांव को स्वतंत्रता: गांव को प्रगति कार्य खुद तय करने की स्वतंत्रता।
- वित्तीय मॉडल: केंद्र सरकार मज़दूरी का पूरा खर्च और सामान की लागत का 75% देगी।
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी अब इसी मनरेगा को बदलकर सारी ताकत सिर्फ़ अपने हाथों में केंद्रित करना चाहते हैं। उनके अनुसार प्रस्तावित बदलावों में ये शामिल हैं-
- केंद्रीय नियंत्रण: बजट, योजनाएं और नियम अब केंद्र तय करेगा।
- राज्यों पर बोझ: राज्यों को 40% खर्च उठाने के लिए मजबूर किया जाएगा।
- काम की कटौती: बजट खत्म होते ही या फसल कटाई के मौसम में दो महीने तक किसी को काम नहीं मिलेगा।
जनविरोधी बिल का विरोध
राहुल गांधी ने नए बिल को महात्मा गांधी के आदर्शों का अपमान करार दिया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने पहले ही भयंकर बेरोजगारी से भारत के युवाओं का भविष्य तबाह कर दिया है और अब यह बिल ग्रामीण गरीबों की सुरक्षित रोज़ी-रोटी को भी खत्म करने का जरिया है।
बता दें कि केंद्र की बीजेपी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को समाप्त करने का फैसला लिया है। इसकी जगह सरकार अब विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी वीबी जी राम जी नाम से एक नई रोजगार योजना शुरू करने की तैयारी में है।
ये भी पढ़ें-