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'बीच मझधार में नहीं छोड़ सकते, IIT-धनबाद में ही पढ़ेगा मजदूर का बेटा', सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, कैंसिल हुआ था एडमिशन

सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने ये फैसला किया है। सीजेआई की पीठ ने कहा कि प्रतिभाशाली युवक को अवसर से वंचित नहीं किया जा सकता है।

Edited By: Dhyanendra Chauhan @dhyanendraj
Published : Oct 01, 2024 7:57 IST, Updated : Oct 01, 2024 7:59 IST
सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आईआईटी-धनबाद से फीस जमा न करने के कारण सीट गंवाने वाले मजदूर के बेटे को प्रवेश देने को कहा है। दलित युवक अतुल कुमार फीस जमा करने की समय सीमा चूकने के कारण आईआईटी -धनबाद में प्रवेश नहीं ले पाया था। अब कोर्ट ने संस्थान से उसे बीटेक पाठ्यक्रम में प्रवेश देने को कहा है। 

नहीं छोड़ा जा सकता मझधार में- सुप्रीम कोर्ट

इस मामले पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, जज जेबी पारदीवाला और जज मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, 'हम ऐसे प्रतिभाशाली युवक को अवसर से वंचित नहीं कर सकते। उसे मझधार में नहीं छोड़ा जा सकता है।' 

IIT-धनबाद में दिया जाए प्रवेश- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए आईआईटी-धनबाद को अतुल कुमार को संस्थान के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग बीटेक पाठ्यक्रम में दाखिला देने का निर्देश दिया। पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'हमारा मानना ​​है कि याचिकाकर्ता जैसे प्रतिभाशाली छात्र को वंचित नहीं किया जाना चाहिए, जो हाशिए पर पड़े समूह से ताल्लुक रखता है और जिसने प्रवेश पाने के लिए हरसंभव प्रयास किया। हम निर्देश देते हैं कि अभ्यर्थी को आईआईटी-धनबाद में प्रवेश दिया जाए तथा उसे उसी बैच में रहने दिया जाए, जिसमें फीस का भुगतान करने की सूरत में उसे प्रवेश दिया गया होता।' 

छात्र के पिता नहीं जमा कर पाए 17,500 रुपये

संविधान का अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट को न्याय के हित में कोई भी आदेश पारित करने का अधिकार देता है। 18 वर्षीय अतुल कुमार के माता-पिता 24 जून तक फीस के रूप में 17,500 रुपये जमा करने में विफल रहे, जो आवश्यक शुल्क जमा करने की अंतिम तिथि थी। कुमार के माता-पिता ने आईआईटी की सीट बचाने के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, झारखंड विधिक सेवा प्राधिकरण और मद्रास उच्च न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाया था। 

छात्र के पिता करते हैं दिहाड़ी मजदूरी

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के टिटोरा गांव में रहने वाले अतुल कुमार एक दिहाड़ी मजदूर का बेटे हैं। उनका परिवार गरीबी रेखा से नीचे (BPL) की श्रेणी में है। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने भी उनकी मदद करने में असमर्थता जताई। चूंकि, कुमार ने झारखंड के एक केंद्र से जेईई की परीक्षा दी थी। इसलिए उन्होंने झारखंड राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण का भी रुख किया, जिसने उन्हें मद्रास उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का सुझाव दिया, क्योंकि परीक्षा का आयोजन आईआईटी-मद्रास ने किया था। हाई कोर्ट ने कुमार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने को कहा था।

भाषा के इनपुट के साथ

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