Friday, April 26, 2024
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सवाल तो बनता है | जजों की नियुक्ति के सिस्टम में और पारदर्शिता होनी चाहिए-कपिल सिब्बल

उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को छोड़कर सारे संस्थान पर सरकार का कब्जा हो चुका है। अगर सरकार न्यायपालिका पर भी कब्जा कर ले तो संविधान का क्या होगा?

IndiaTV Hindi Desk Written By: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: March 16, 2023 23:29 IST
कपिल सिब्बल, पूर्व केंद्रीय मंत्री- India TV Hindi
Image Source : इंडिया टीवी कपिल सिब्बल, पूर्व केंद्रीय मंत्री

नयी दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि जजों की नियुक्ति के मौजूदा सिस्टम में और पारदर्शिता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मौजूदा नियुक्ति सिस्टम का वे विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को छोड़कर सारे संस्थान पर सरकार का कब्जा हो चुका है। अगर सरकार न्यायपालिका पर भी कब्जा कर ले तो संविधान का क्या होगा? कपिल सिब्बल इंडिया टीवी पर प्रसारित कार्यक्रम 'सवाल तो बनता है' में अपनी बात रख रहे थे।

जजों की नियुक्ति के लिए एक सिस्टम बनाना होगा

कपिल सिब्बल ने कहा कि कानून मंत्री कहते हैं कि हाईयर ज्यूडीशियरी में नियुक्ति हम करेंगे वहीं सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम सिस्टम को अच्छा मानती है। लेकिन हम कॉलेजियम सिस्टम को भी सही नहीं मानते। कानून मंत्री जजों की नियुक्ति का अधिकार चाहते हैं, हम उसका भी विरोध करते हैं। एक सिस्टम बनाना होगा जिसके आधार पर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति होनी चाहिए और यह सिस्टम पारदर्शी होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा दौर में ज्यूडीशियरी एक आखिरी स्तंभ है जो किसी हद तक बचा हुआ है।

बेइंसाफी के खिलाफ उन्होंने यह वेबसाइट लॉन्च 

वहीं 'इंसाफ का सिपाही' वेबसाइट के बारे में उन्होंने कहा कि बेइंसाफी के खिलाफ उन्होंने यह वेबसाइट लॉन्च की है। उन्होंने कहा कि इस देश में सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक बेइंसाफी हर स्तर पर दिख रही है। कोई उसके लिए लड़ने के लिए तैयार नहीं है तो फिर मैंने सोचा कोई गैर राजनीतिक मंच बनाया जाए ताकि लोग एक साथ खड़े हों। जब-जब दुनिया में अहम बदलाव आया तो वकीलों ने उसकी अगुवाई की। अगर हमें बदलाव लाना है तो सबसे पहले वकील आगे होने चाहिए और उसमें समाज के लोग जुड़ने चाहिए। कभी पुलिस आरोपियों के साथ मिली रहती है कभी धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव हो जाता है। छात्रों के खिलाफ बेइंसाफी हो जाती है। जहां-जहां बेइंसाफी हो रही है वहां हमें कुछ करना चाहिए। इसमें जबतक आम जनता नहीं जुड़ेगी तबतक कैसे आगे बढ़ा जाएगा। 

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