Friday, May 10, 2024
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केरल के मुख्यमंत्री विजयन ने कहा, हिंदी थोपने के कदम को स्वीकार नहीं किया जाएगा

पिनराई विजयन ने शनिवार को कहा कि हिंदी को थोपने के कदम को स्वीकार नहीं किया जाएगा।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: April 09, 2022 22:23 IST
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Image Source : PTI FILE Kerala CM Pinarayi Vijayan.

Highlights

  • केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि हिंदी को थोपने के कदम को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
  • भारत को विविधता में एकता के लिए जाना जाता है और संघ परिवार का एजेंडा इसे मान्यता नहीं देता: विजयन
  • केरल के स्कूलों में मलयालम, हिंदी और अंग्रेजी भाषा के साथ त्रिभाषा पाठ्यक्रमों को लागू किया गया है।

कन्नूर: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हिंदी को लेकर दिए गए बयान पर उपजे विवाद के बीच केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने शनिवार को कहा कि हिंदी को थोपने के कदम को स्वीकार नहीं किया जाएगा। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के 23वें सम्मेलन के तहत केंद्र-राज्य संबंधों पर आयोजित एक सेमिनार में विजयन ने कहा कि भारत को विविधता में एकता के लिए जाना जाता है और संघ परिवार का एजेंडा इस विविधता को मान्यता नहीं देता। संसदीय राजभाषा समिति की 37वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए शाह ने गुरुवार को कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्णय लिया है कि सरकार चलाने का माध्यम राजभाषा है और इससे निश्चित तौर पर हिंदी का महत्व बढ़ेगा।

‘संविधान ने भी भारत की कई भाषाओं को महत्व दिया’

केरल के सीएम विजयन ने कहा, ‘भारत ऐसा देश है जिसे विविधता में एकता के लिए जाना जाता है। इस विचार का अर्थ है विविधता को स्वीकार करना। हमारे संविधान ने भी भारत की कई भाषाओं को महत्व दिया है। अधिकतर राज्य लंबे संघर्ष के बाद भाषा के आधार पर बने थे। संघ परिवार का एजेंडा देश की विविधता और संघीय ढांचे को स्वीकार नहीं करता। क्षेत्रीय भाषाओं को कमजोर करना उनके एजेंडे का हिस्सा है।’ मुख्यमंत्री ने कहा कि भाषाएं हर समाज की संस्कृति और जीवन का आधार हैं और अगर भाषा की हत्या कर दी जाएगी तो यह विविधता नष्ट हो जाएगी।

‘यह देश की एकता और अखंडता को नकुसान पहुंचाएगा’
विजयन ने कहा 'इस तरह के कदम देश में खतरनाक स्थिति को जन्म देंगे। हिंदी का राष्ट्रीय आंदोलन के एक भाग के तौर पर इस्तेमाल किया गया था और इसी समझ से इसे राष्ट्रीय स्तर की भाषा के रूप में माना गया और यही कारण है कि हमने केरल में त्रिभाषा पाठ्यक्रम को लागू किया। हालांकि हिंदी को थोप क्षेत्रीय भाषाओं को नष्ट करने को स्वीकार नहीं किया जाएगा। यह देश की एकता और अखंडता को नकुसान पहुंचाएगा।' केरल के स्कूलों में मलयालम, हिंदी और अंग्रेजी भाषा के साथ त्रिभाषा पाठ्यक्रमों को लागू किया गया है।

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