Friday, March 29, 2024
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गुटखा-सिगरेट का सेवन करने वालों में कोरोना वायरस फैलने का खतरा ज्यादा, जानें कैसे

विशेषज्ञों का कहना है कि गुटखा और सिगरेट का सेवन करने वालों को कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा ज्यादा रहता है।

IANS Reported by: IANS
Published on: August 08, 2020 13:18 IST
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Image Source : PTI REPRESENTATIONAL विशेषज्ञों का कहना है कि गुटखा और सिगरेट का सेवन करने वालों को कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा ज्यादा रहता है।

लखनऊ: विशेषज्ञों का कहना है कि गुटखा और सिगरेट का सेवन करने वालों को कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा ज्यादा रहता है। इसके अलावा खैनी जैसी चीजें खाने वाले लोग कई गैरसंचारी रोगों के भी आसानी से शिकार बन जाते हैं। इन चीजों का सेवन करने वालों के अलावा उनके आस-पास के लोगों को भी इससे खतरा होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और शोधकर्ताओं ने भी चेतावनी दी है कि तम्बाकू से कमजोर हुए फेफड़े कोरोना को संक्रमण का दायरा बढ़ाने में मुफीद साबित हो रहे हैं।

‘तंबाकू का इस्तेमाल नुकसानदेह’

KGMU के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर अरविंद मिश्रा ने बताया, ‘तंबाकू का किसी भी रूप में उपयोग करना नुकसानदेह ही है। यह ना सिर्फ प्रयोग करने वालों को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि उनके आस-पास के लोगों को भी गंभीर रूप से प्रभावित करता है। उस पर से कोरोना वायरस चूंकि फेफड़ों को प्रभावित करता है, इसलिए सिगरेट, हुक्का या वाटरपाइप जैसी चीज का सेवन करने वालों के लिए यह और भी गंभीर खतरा हो सकता है तम्बाकू खाने के दौरान इंसान हाथ-मुंह को छूता है। यह भी संक्रमण फैलने का अहम जरिया है।’

‘कई अन्य बीमारियों का खतरा’
उन्होंने बताया कि कोरोना हाथ के जरिए मुंह तक पहुंच सकता है या हाथों में मौजूद कोरोना वायरस तम्बाकू में जाकर मुंह तक पहुंच सकता है। डॉ. अरविंद ने बताया, ‘तम्बाकू चबाने के दौरान मुंह में अतिरिक्त लार बनती है, ऐसे में जब इंसान थूकता है तो यह संक्रमण दूसरों तक पहुंच सकता है। तंबाकू सेवन करने वालों में गैरसंचारी रोग- दिल और फेफड़े की बीमारी, कैंसर और डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है। कोरोना संक्रमित होने पर ऐसे लोगों की जान जाने के मामले काफी संख्या में सामने आए हैं।’

‘तंबाकू से फेफड़ों को नुकसान’
रिपोर्ट के मुताबिक, तंबाकू में जहरीले केमिकल मिले होते हैं जो फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे सेवन करने वाले व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। टीबी के ऐसे मरीज जो तंबाकू का सेवन करते हैं उनमें मृत्यु का अंदेशा 38 प्रतिशत अधिक हो जाता है। स्मोकिंग करने से भी कोविड-19 होने का खतरा अधिक है। स्मोकिंग और किसी भी रूप में तम्बाकू लेने पर सीधा असर फेफड़े के काम करने की क्षमता पर पड़ता है। इससे सांस संबंधी बीमारियां बढ़ती हैं। संक्रमण होने पर कोरोना सबसे पहले फेफड़ों पर ही अटैक करता है, इसलिए इसका मजबूत होना बेहद जरूरी है। वायरस फेफड़े की कार्यक्षमता को घटा देता है।

‘ऐसे लोगों में कोरोना का रिस्क ज्यादा’
अब तक की रिसर्च के मुताबिक, धूम्रपान करने वाले लोगों में वायरस का संक्रमण और मौत दोनों का खतरा ज्यादा है। सिगरेट, सिगार, बीड़ी, वाटरपाइप और हुक्का पीने वालों पर कोविड-19 का रिस्क ज्यादा है। सिगरेट पीने के दौरान हाथ और होंठ का इस्तेमाल होता है और संक्रमण का खतरा रहता है। वहीं एक ही हुक्का को कई लोग इस्तेमाल करते हैं जो कोरोना का संक्रमण सीधे तौर पर एक से दूसरे इंसान में पहुंचा सकता है।

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