Saturday, December 20, 2025
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महाराष्ट्र में 'गिलियन-बैरे सिंड्रोम' से मरने वालों की संख्या हुई 4, जानिए कुल कितने मामले, कैसे ग्रसित होते हैं लोग?

महाराष्ट्र में गिलियन-बैरे सिंड्रोम से ग्रसित लोगों की संख्या बढ़ रही है। पुणे में अब तक कई मामले सामने आ चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्थानीय लोगों को इससे बचने के लिए उपायों की गाइडलाइन भी जारी की है।

Edited By: Dhyanendra Chauhan @dhyanendraj
Published : Feb 01, 2025 09:21 am IST, Updated : Feb 01, 2025 09:31 am IST
गिलियन-बैरे सिंड्रोम से ग्रसित मरीज- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO गिलियन-बैरे सिंड्रोम से ग्रसित मरीज

महाराष्ट्र में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के कारण संदिग्ध मौतों की संख्या बढ़कर 4 हो गई है, जबकि राज्य में अब तक दर्ज मामलों की संख्या 140 है। राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों ने ये जानकारी दी है। गुरुवार को पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम सीमा के यशवंतराव चव्हाण मेमोरियल अस्पताल में निमोनिया के कारण श्वसन तंत्र में आघात के कारण 36 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत हो गई। चौथा संदिग्ध पीड़ित सिंहगढ़ रोड के धायरी इलाके का 60 वर्षीय व्यक्ति रहा, जिसकी शुक्रवार को मौत हो गई। इस व्यक्ति को दस्त और निचले अंगों में कमजोरी के बाद 27 जनवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

पुणे शहर में कुल 26 मरीज

पुणे नगर निगम (PMC) के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, कार्डियक अरेस्ट के कारण उनकी मृत्यु हो गई। स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा, 'कुल 26 मरीज पुणे शहर से हैं। 78 पीएमसी क्षेत्र में नए जोड़े गए गांवों से आए मरीज हैं। 15 पिंपरी चिंचवाड़ से, 10 पुणे ग्रामीण से और 11 अन्य जिलों से हैं।' शुक्रवार को कोई नया मामला सामने नहीं आया है। राज्य में दर्ज किए गए अधिकांश मामले पुणे और आसपास के इलाकों से हैं।

160 जगहों से लिए गए पानी के सैंपल

पुणे शहर के विभिन्न हिस्सों से कुल 160 पानी के नमूने रासायनिक और जैविक विश्लेषण के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशाला में भेजे गए। 'गिलियन-बैरे सिंड्रोम' प्रदूषित पानी पीने से होता है। पुणे में आठ जल स्रोतों के नमूने दूषित पाए गए। एक अधिकारी ने कहा कि सिंहगढ़ रोड इलाके में निजी बोरवेल से प्राप्त नमूनों में से एक में एस्चेरिचिया कोली या ई. कोली बैक्टीरिया पाया गया। 

बोरवेल और कुओं के पानी से भी लिया गया सैंपल

उन्होंने कहा कि पानी में ई. कोली मल या पशु अपशिष्ट संदूषण का संकेत है और बैक्टीरिया की व्यापकता जीबीएस संक्रमण का कारण बन सकती है। नांदेड़, किरकतवाड़ी, धायरी और सिंहगढ़ रोड पर अन्य इलाकों में जीबीएस के मामलों में वृद्धि के बाद, पुणे नगर निगम जांच के लिए बोरवेल और कुओं से पानी के नमूने एकत्र कर रहा है। 

पानी में ब्लीचिंग पाउडर डालने का निर्देश

पीएमसी जल आपूर्ति विभाग के प्रमुख नंदकिशोर जगताप ने बताया, 'हमने सिंहगढ़ रोड के जीबीएस प्रभावित इलाकों में निजी बोरवेल और कुओं से नमूने एकत्र किए हैं। इनमें से एक नमूने में ई-कोली बैक्टीरिया पाया गया।' जगताप ने बताया कि दो दिन पहले निजी ट्यूबवेल और बोरवेल के संचालकों की एक बैठक हुई थी और उन्हें बैक्टीरिया को नियंत्रित करने के लिए पीएमसी द्वारा उपलब्ध कराए गए ब्लीचिंग पाउडर का उपयोग करने का निर्देश दिया गया था। 

पीटीआई के इनपुट के साथ

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