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'...तो 18 करोड़ हादी पैदा हो जाएंगे', बांग्लादेश में भारी बवाल, हिंदुओं पर जमकर हो रहा अत्याचार

बांग्लादेश में शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद देशभर में हिंसा फैल गई है। कई शहरों में तोड़फोड़, आगजनी और मीडिया संस्थानों पर हमले हुए हैं। कट्टरपंथी तत्वों ने अल्पसंख्यक हिंदुओं को भी निशाना बनाया और एक हिंदू शख्स को जलाकर मार डाला।

Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published : Dec 19, 2025 11:30 pm IST, Updated : Dec 19, 2025 11:33 pm IST
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Image Source : AP बांग्लादेश में कट्टरपंथी जमकर उत्पात मचा रहे हैं और हिंदुओं को भी निशाना बना रहे हैं।

ढाका/चटगांव/खुलना: बांग्लादेश में कट्टरपंथी युवा नेता शरीफ उस्मान हादी पर हुए हमले और बाद में उसकी मौत के बाद हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं। बॉर्डर के करीब इलाकों में तनाव बढ़ रहा है, जबकि पूरे देश में कट्टरपंथी जमात के लोग दंगे कर रहे हैं। राजधानी ढाका से लेकर पोर्ट सिटी चटगांव और इंडस्ट्रियल हब खुलना तक घमासान मचा हुआ है। कट्टरपंथी भारत के खिलाफ जंग का एलान कर रहे हैं और हिंदुओं को चुन-चुनकर निशाना बना रहे हैं। मेमनसिंह शहर में एक हिंदू को सरेआम चौराहे पर जिंदा जला दिया गया। दंगाइयों ने ढाका में दो अखबारों के दफ्तरों को आग लगा दी और पत्रकारों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। सेना की मदद से रिपोर्टरों की जान बचाई जा सकी। पूरे बांग्लादेश में दंगाइयों का बवाल जारी है, दंगाई '18 करोड़ हादियों' की बात कर रहे हैं, लेकिन सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस खामोशी से तमाशा देख रहे हैं।

उस्मान हादी की मौत के बाद भड़की हिंसा

गुरुवार देर रात बांग्लादेश के चीफ एडवाइजर मोहम्मद यूनुस ने एलान किया कि सिंगापुर में इंकलाब मंच के नेता शरीफ उस्मान हादी का निधन हो गया है। जैसे ही एलान हुआ, पूरे बांग्लादेश में कट्टरपंथी सड़कों पर उतर आए। पूरी रात अलग-अलग शहरों में तोड़फोड़, आगजनी और हिंसा होती रही। आज शाम जब हादी की डेडबॉडी ढाका पहुंची, तो इंकलाब मंच के हजारों सपोर्टर ढाका के शाह-जलाल एयरपोर्ट पर जमा हो गए। ये भीड़ पिछले साल शेख हसीना का तख्तापलट करने वाले नेताओं में से एक शरीफ उस्मान हादी की डेडबॉडी रिसीव करने के लिए आई थी। सात दिन पहले 12 दिसंबर को शरीफ उस्मान हादी को अज्ञात लोगों ने गोली मार दी थी। मोहम्मद यूनुस ने हादी को इलाज के लिए एयर एंबुलेंस से सिंगापुर भेजा था, जहां कल उसकी मौत हो गई।

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Image Source : AP
बांग्लादेश में बर्बादी का जश्न मना रहा एक प्रदर्शनकारी।

शेख हसीना और भारत का विरोधी था हादी

उस्मान हादी पिछले साल शेख हसीना की सरकार के खिलाफ बगावत का प्रमुख नेता था। उसने बांग्लादेश में इस्लामिक कानून लागू करने का वादा किया था। उस्मान हादी भारत का कट्टर विरोधी था और इंकलाब मंच का प्रवक्ता था। लेकिन यूनुस सरकार ने इंकलाब मंच को भंग कर दिया। इसके बाद उस्मान हादी ने फरवरी में इंडिपेंडेंट कैंडिडेट के तौर पर चुनाव लड़ने का एलान किया था। 12 दिसंबर को उस्मान हादी ने कैंपेन शुरू किया और उसी दिन उसे गोली मार दी गई। कल रात जैसे ही उस्मान की मौत की पुष्टि हुई, कट्टरपंथियों ने पूरे बांग्लादेश में उत्पात शुरू कर दिया। भीड़ 'हादी के हत्यारों को फांसी दो-फांसी दो' जैसे नारे लगा रही थी। दरअसल, रात में जैसे ही मोहम्मद यूनुस ने उस्मान हादी की मौत की पुष्टि की, इंकिलाब मंच ने लोगों से घरों के बाहर निकलने की अपील की, और पूरे देश में लाखों लोग सड़कों पर आ गए।

जमातियों ने ढाका में जमकर किया बवाल

हादी की मौत के बाद जमात के लोगों ने जमकर उत्पात मचाया। राजधानी ढाका में हर तरफ तोड़-फोड़, लूट-पाट और आगजनी शुरू हो गई। कट्टरपंथियों की हिंसक भीड़ ने दफ्तरों, बाजारों और शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग के नेताओं के घरों पर हमला बोल दिया। जो भी सामने आया, उसे बुरी तरह पीटा। ओल्ड ढाका, अहसान मंजिल, शाहबाग, कारवां बाजार, धानमंडी, बसुंधरा, बनानी, बाड़ीधारा समेत तमाम इलाकों पर दंगाइयों का कब्जा हो गया। कट्टरपंथियों ने खुलेआम लूट-मार की और आगजनी की, लेकिन पुलिस कहीं दिखाई नहीं दी।

हादी समर्थकों ने मीडिया को भी नहीं छोड़ा

जिस उस्मान हादी के लिए कट्टरपंथियों ने पूरे ढाका को आग में झोंक दिया, वह खुद शेख हसीना को सूली पर चढ़ाने और आवामी लीग सरकार के मंत्रियों को चौराहे पर गोली मारने के नारे लगवाता था। हैरानी की बात ये है कि उस वक्त बांग्लादेश के मीडिया का एक बड़ा वर्ग उस्मान हादी जैसे कट्टरपंथियों को सपोर्ट कर रहा था और उन्हें हीरो बता रहा था। लेकिन उस्मान हादी की मौत के बाद उसके सपोर्टर्स ने मीडिया को ही निशाना बनाया। बांग्लादेश के सबसे बड़े अंग्रेजी अखबार डेली स्टार और बांग्ला अखबार प्रथमो आलो के दफ्तरों पर धावा बोल दिया। पहले तो भीड़ ने प्रथमो आलो और डेली स्टार के दफ्तरों में तोड़-फोड़ की। जब दोनों अखबारों के कर्मचारी दफ्तर छोड़कर जान बचाकर भाग गए, इसके बाद दंगाइयों की भीड़ अखबारों के दफ्तरों से लैपटॉप, कंप्यूटर, प्रोजेक्टर समेत सारा सामान लूट ले गई, फिर डेली स्टार और प्रथमो आलो के दफ्तरों को आग के हवाले कर दिया गया।

पुलिस की भूमिका पर उठे कई सवाल

दंगाइयों की भीड़ सुबह करीब साढ़े चार बजे तक अखबारों के दफ्तर के बाहर डटी रही। जो लोग कट्टरपंथियों के गुस्से का शिकार होने से बच गए, उन्होंने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीमें जान-बूझकर देर से पहुंचीं और प्रशासन ने कट्टरपंथियों को दंगा करने की खुली छूट दी थी। लेकिन ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस के अधिकारियों ने दावा किया कि वो बिल्कुल सही समय पर पहुंचे थे और बिना देर किए हालत को कंट्रोल कर लिया था। SM नज़रुल इस्लाम, ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस के ACP ने कहा, 'हम पूरी रात पुलिस बलों की मदद से भीड़ पर काबू करने की पुरजोर कोशिश करते रहे। हमसे जो भी मुमकिन था, हमने किया। हम कार्रवाई करने में कतई नाकाम नहीं रहे। हमने अभी भी भीड़ पर काबू पाने के लिए पर्याप्त इंतजाम किए हैं। लेकिन, अभी ये कहना मुमकिन नहीं है कि अगला कदम क्या होगा?'

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Image Source : AP
बांग्लादेश में किताब की जली हुई दुकान से कुछ किताबें बचाकर लाई बच्ची।

जुमे की नमाज के बाद भड़काई गई हिंसा

जुमे की नमाज के बाद जमात-ए-इस्लामी, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी, छात्रों की नेशनलिस्ट सिटिजेंस पार्टी और आमार बांग्ला पार्टी के नेताओं ने उस्मान हादी की मौत का हवाला देकर लोगों को भड़काया। मस्जिदों के बाहर उस्मान हादी के नाम पर नारे लगवाए। हादी के हत्यारों को फांसी देने की मांग की। भीड़ नारे लगा रही थी कि 'हम हादी भाई के खून को बर्बाद नहीं जाने देंगे।'छात्र अशफकुर रहमान ने कहा, 'हमने एक सच्चे देशभक्त को खो दिया है। मुझे रात को नींद नहीं आई। मैं सुबह विरोध प्रदर्शन करने यहां आया हूं। शहीद उस्मान हादी जैसे देशभक्त और बहादुर शख्स के चले जाने से हम बेहद दुखी हैं।'

'...तो 18 करोड़ हादी पैदा हो जाएंगे'

बांग्लादेश के एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा, 'अगर सॉफ्टवेयर पुराना पड़ जाता है तो अपडेटेड वर्जन आता है। एक हादी मारा गया तो 18 करोड़ हादी जन्म लेते हैं। वो सब बेवकूफ लोग हैं। वो क्यों नहीं समझना चाहते कि एक हादी मारा गया है तो 18 करोड़ हादी पैदा हो जाएंगे। हम सभी मिलकर हादी के मिशन और विजन को बचाएंगे। मिशन एक शॉर्ट-टर्म प्लान है, उसे ही हम हकीकत में तब्दील करेंगे। आप किसी भी शब्द से कन्फ्यूज नहीं होंगे। आप मीडिया देश का चौथा खंबा हो। आपके जरिए पूरी दुनिया में हमारा संदेश फैल जाएगा। अगर गलती से हम लोगों के मुंह से कोई गलत शब्द निकल जाए तो आप उन्हें स्किप कर दीजिए। हम इंकलाब चाहते हैं।'

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Image Source : AP
बांग्लादेश में भारत विरोधी भावनाओं को जमकर भड़काया जा रहा है।

हिंदू युवक को चौराहे पर जिंदा जलाया गया

चिंता की बात ये है कि कट्टरपंथी बांग्लादेश में भारत के विरोध की आड़ में बांग्लादेशी हिंदुओं को निशाना बना रहे हैं। इस्लाम की तौहीन का इल्जाम लगाकर हिंदुओं की संपत्तियों को जलाया जा रहा है। घरों से निकाल-निकाल कर हिंदुओं को पीटा जा रहा है। ढाका से करीब सवा सौ किलोमीटर दूर मैमनसिंह शहर में तो इस्लामिक कट्टरपंथियों की भीड़ ने एक हिंदू को घर से निकाल कर बुरी तरह पीटा, फिर चौराहे पर लाकर उसे जिंदा जला दिया। जिस हिंदू की बांग्लादेश में नृशंस हत्या की गई, उसका नाम दीपू चंद्र दास था। कट्टरपंथी जमात के हैवानों ने दीपू चंद्र दास पर भी इस्लाम की तौहीन का इल्जाम लगाया था। जिस वक्त उसे जिंदा जलाया जा रहा था, उस समय सैकड़ों लोग इस हैवानियत का वीडियो बना रहे थे। दीपू की सरेआम हत्या के सैकड़ों वीडियो मौजूद हैं, लेकिन बांग्लादेश की पुलिस को कोई सबूत नहीं मिला। अब तक बांग्लादेश की पुलिस ने हत्यारों के खिलाफ FIR तक दर्ज नहीं की है।

कल्चरल सेंटर्स और हिंदू संस्कृति पर हमले

गुरुवार रात ढाका में कट्टरपंथियों ने सिर्फ मीडिया हाउसेज को ही निशाना नहीं बनाया, बल्कि उन सेंटर्स पर भी अटैक किया जिन्हें वो हिंदू संस्कृति का प्रतीक मानते हैं। कल रात ढाका में बंगाली कल्चरल सेंटर छाया-नट पर भी हमला किया गया। ढाका का ये कल्चरल सेंटर बंगाली संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए काम करता है। यहां बंगाली नववर्ष पोइला बैशाख मनाया जाता है, जो बरगद के पेड़ के नीचे आयोजित किया जाता है। छायानट कल्चरल सेंटर में रवींद्र नाथ टैगोर और काजी नजरुल इस्लाम की याद में प्रोग्राम होते हैं। यहां बसंत का त्यौहार भी मनाया जाता है। इसी वजह से बांग्लादेश के इस्लामिक कट्टरपंथी छाया-नट का विरोध करते हैं। कल रात दंगाइयों की भीड़ अल्लाहु अकबर के नारे लगाते हुए छायानट में दाखिल हो गई, वहां तोड़-फोड़ की और फिर बिल्डिंग में आग लगा दी।

हादी की मौत को कट्टरपंथियों ने भारत से जोड़ा

पिछले कई दिनों से बांग्लादेश में भारत विरोधी प्रदर्शन हो रहे थे। उस्मान हादी पर फायरिंग के बाद कट्टरपंथियों ने इस वारदात को भारत से जोड़ दिया। उन्होंने इल्जाम लगाया कि भारत ने उस्मान हादी पर हमला करवाया। हालांकि इस तरह के आरोपों पर भारत सरकार ने आपत्ति जताई, बांग्लादेश सरकार से सबूत देने को कहा और कट्टरपंथियों पर लगाम लगाने की हिदायत दी। लेकिन मोहम्मद यूनुस खामोशी से तमाशा देखते रहे। कल उस्मान हादी की मौत के बाद हालात और ज्यादा बिगड़ गए। कट्टरपंथियों ने चटगांव में भारत के असिस्टेंट हाई कमीशन पर फिर हमला करने की कोशिश की। हालांकि एहतियात के तौर पर डिप्लोमैटिक मिशन की सिक्योरिटी बढ़ा दी गई थी, इसलिए दंगाइयों के मंसूबे कामयाब नहीं हो पाए। शेख हसीना की पार्टी ने बांग्लादेश में इस हिंसा और अराजकता के लिए चीफ एडवाइजर मुहम्मद यूनुस और उनकी सरकार के जिहादी मंत्रियों को जिम्मेदार ठहराया है।

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