Thursday, May 02, 2024
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'अब मैं ज्यादा मक्खन लगाने को तैयार नहीं, वोट दो या ना दो', आखिर ऐसा क्यों बोले नितिन गडकरी?

मैंने लोगों को भी बोल दिया है अब बहुत हुआ। मैं चुनकर आया हूं, अगर सही लगता है तो मुझे वोट दो नहीं तो ना दो। मैं अब बहुत ज्यादा मक्खन लगाने को तैयार नहीं हूं। तुमको लगा तो ठीक नहीं तो कोई और आएगा।

Reported By : Yogendra Tiwari Written By : Shashi Rai Updated on: March 27, 2023 17:17 IST
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी- India TV Hindi
Image Source : PTI केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी अपनी बेबाक बोल के लिए जाने जाते हैं। एक बार फिर उन्होंने एक ऐसा बयान दिया है जिसकी काफी चर्चा हो रही है। नागपुर एक निजी संस्था के कार्यक्रम में पहुंचे गडकरी ने कहा कि अगर सही लगता है तो मुझे वोट दो, नहीं तो ना दो। मैं अब बहुत ज्यादा मक्खन लगाने को तैयार नहीं हूं। तुमको लगा तो ठीक नहीं तो कोई नया आएगा। यह कार्यक्रम नागपुर के वेस्टलैंड, वेस्टवाटर से संबंधित काम करने वाली संस्था का था जो कि नितिन गडकरी का पसंदीदा विषय है इसी पर भाषण देने के दौरान उन्होंने कहा, ''वेस्टलैंड पर होने वाले अनेक प्रयोग हैं। मैं यह काम जिद्द से करता हूं। प्यार से करता हूं या फिर ठोक के करता हूं। मैंने लोगों को भी बोल दिया है अब बहुत हुआ। मैं चुनकर आया हूं, अगर सही लगता है तो मुझे वोट दो नहीं तो ना दो। मैं अब बहुत ज्यादा मक्खन लगाने को तैयार नहीं हूं। तुमको लगा तो ठीक नहीं तो कोई और आएगा। 

'परेशान हर कोई है'

दरअसल, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी इससे पहले भी ऐसे कई बयान दे चुके हैं। कुछ महीनों पहले भी उनका एक बयान सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा था। गडकरी राजस्थान विधानसभा में संसदीय लोकतंत्र और जन अपेक्षाएं विषय पर आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा था कि 'परेशान हर कोई है। विधायक इसलिए दुखी हैं क्योंकि वो मंत्री नहीं बन पाए। मंत्री इसलिए दुखी हैं कि उन्हें अच्छा विभाग नहीं मिला। और मुख्यमंत्री इसलिए दुखी हैं क्योंकि वो कब चले जाएंगे इसका कोई भरोसा नहीं है। 

'मन करता है कि राजनीति ही छोड़ दूं'

एक बार तो उन्होंने यहां तक कह दिया था कि 'कभी-कभी मन करता है कि राजनीति ही छोड़ दूं।' समाज में और भी काम हैं, जो बिना राजनीति के किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा था कि महात्मा गांधी के समय की राजनीति और अब की राजनीति में बहुत बदलाव हुआ है। बापू के समय में राजनीति देश, समाज, विकास के लिए होती थी। लेकिन अब राजनीति सिर्फ सत्ता के लिए होती है।

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