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उद्धव ठाकरे की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने एकनाथ शिंदे गुट को भेजा नोटिस, जानिए मामला

सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे गुट की याचिका पर विचार करते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके खेमे के 38 अन्य विधायकों को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब मांगा है।

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published : Jan 22, 2024 18:31 IST, Updated : Jan 22, 2024 18:31 IST
उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे

महाराष्ट्र की राजनीति में सालों से जारी उथल-पुथल में एक और नया मोड़ सामने आया है। दरअसल, शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट के नेता सुनील प्रभु ने महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर के फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर विचार करते हुए शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके खेमे के 38 अन्य विधायकों को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब मांगा है।

कोर्ट ने दो हफ्ते में जवाब देने को कहा

सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने नोटिस जारी किया। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पीठ से शीर्ष अदालत के समक्ष दायर विशेष अनुमति याचिका पर विचार करने का अनुरोध किया, जिसमें कहा गया था कि स्पीकर नार्वेकर के आदेश में संविधान पीठ के मई 2023 के फैसले की व्याख्या की जरूरत है। शीर्ष अदालत ने नोटिस का जवाब दो हफ्ते में देने को कहा। 

स्पीकर ने अपने दिए फैसले में क्या कहा था?

स्पीकर राहुल नार्वेकर ने 10 जनवरी को दिए फैसले में मुख्यमंत्री शिंदे समर्थक विधायकों को अयोग्य करार देने से मना कर दिया था। इसके साथ ही उन्होंने शिंदे गुट को असली शिवसेना माना था। इसके बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। शीर्ष अदालत के समक्ष दायर याचिका में सीएम शिंदे और उनके खेमे के अन्य विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं को खारिज करने पर भी सवाल उठाया गया है, जिन पर पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप था।

"शिंदे के नेतृत्व वाला समूह ही असली शिवसेना"

स्पीकर ने 10 जनवरी को फैसला सुनाते हुए कहा कि शिंदे के नेतृत्व वाला समूह ही असली शिवसेना है, क्योंकि इसके पास विधायिका और पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी बहुमत है। नार्वेकर ने 2018 में ठाकरे द्वारा नेतृत्व संरचना में बदलावों को भी खारिज कर दिया और कहा कि वे 1999 के शिवसेना संविधान के अनुरूप नहीं थे, न ही चुनाव आयोग के पास इन संशोधनों का कोई रिकॉर्ड था। इसके अलावा स्पीकर ने कहा कि तत्कालीन मुख्य सचेतक सुनील प्रभु ने पद पर बने रहने की पार्टी की इच्छा को प्रतिबिंबित नहीं किया, क्योंकि 21 जून 2022 को पार्टी में प्रतिद्वंद्वी गुट के उभरने के बाद नए मुख्य सचेतक भरत गोगावले वैध रूप से निर्वाचित मुख्य सचेतक थे।

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