मुंबई: मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे एक बार फिर से हड़ताल पर बैठे हुए हैं। वहीं सरकार की ओर से एक प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को जरांगे से मुलाकात की। हालांकि इस मुंबई में हुई इस बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकल सका। जरांगे ने रिटायर्ड न्यायाधीश संदीप शिंदे को बातचीत के लिए भेजने पर सीएम देवेंद्र फडणवीस की भी आलोचना की। बता दें कि रिटायर्ड न्यायाधीश शिंदे, मराठों को आरक्षण देने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित समिति के अध्यक्ष हैं।
जारी रहेगी भूख हड़ताल
आजाद मैदान में दो दिनों से जारी भूख हड़ताल को जारी रखने का संकल्प लेते हुए जरांगे ने कहा, ‘‘मराठों को आरक्षण देने की घोषणा करने वाला सरकारी प्रस्ताव (जीआर) जारी करना न्यायमूर्ति शिंदे का काम नहीं है।’’ सरकार ने मराठा नेता से बातचीत के लिए दिन में ही प्रतिनिधिमंडल भेजा था। जरांगे ओबीसी श्रेणी के तहत मराठों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की मांग कर रहे हैं। वह चाहते हैं कि सभी मराठों को ओबीसी के तहत आने वाली कृषि प्रधान जाति कुनबी के रूप में मान्यता दी जाए ताकि समुदाय के लोगों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण मिल सके।
'आरक्षण पाने की अंतिम लड़ाई'
जरांगे ने कहा कि यह विरोध प्रदर्शन आरक्षण पाने के लिए समुदाय की ‘अंतिम लड़ाई’ है। सरकारी प्रतिनिधिमंडल ने दोपहर में जरांगे से मुलाकात की। जरांगे ने कहा कि सेवानिवृत्त न्यायाधीश शिंदे की अध्यक्षता वाली समिति ने पिछले 13 महीनों से इस मुद्दे से संबंधित राजपत्रों का अध्ययन किया और अब समय आ गया है कि समिति अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करे ताकि मराठों को कुनबी का दर्जा मिलने का मार्ग प्रशस्त हो। जरांगे ने कहा, ‘‘मराठवाड़ा में मराठों को कुनबी घोषित किया जाना चाहिए और उन्हें आरक्षण दिया जाना चाहिए। इसके लिए हैदराबाद और सतारा राजपत्रों को कानून का स्वरूप दिया जाना चाहिए।’’
बैठक के बाद क्या बोले जरांगे
बैठक के बाद जरांगे ने कहा, ‘‘मराठा और कुनबी को एक समान घोषित करने वाला सरकारी प्रस्ताव (जीआर) जारी करना न्यायमूर्ति शिंदे का काम नहीं है। न्यायमूर्ति शिंदे को यहां भेजना सरकार, राजभवन और राज्य का अपमान है।’’ वहीं शिंदे ने बताया कि कैबिनेट ने हैदराबाद राजपत्र को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं जरांगे के साथ अपनी बातचीत का विवरण मंत्रिमंडल की उपसमिति के पास भेजूंगा।’’
'हम केवल आरक्षण चाहते हैं'
जरांगे ने कहा, ‘‘हम सिर्फ यह मांग कर रहे हैं कि हमें कुनबी श्रेणी के तहत पात्रता के आधार पर कोटे में हमारा वाजिब हिस्सा मिले, हम राजनीति में नहीं पड़ना चाहते। हम केवल आरक्षण चाहते हैं। सरकार को मराठा समुदाय के धैर्य की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम ओबीसी कोटा कम करने की मांग नहीं कर रहे हैं। गलतफहमी नहीं फैलाएं।’’ उन्होंने मुख्यमंत्री फडणवीस से गरीब मराठों का अपमान न करने का आग्रह किया और उन पर राज्य में अस्थिरता उत्पन्न करने और माहौल बिगाड़ने की कोशिश करने का आरोप लगाया। (इनपुट- पीटीआई)