Thursday, May 02, 2024
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VIDEO: मां के लिए ऐसा प्यार नहीं देखा होगा...जानकर आप भी कहेंगे-'भगवान औलाद दे तो ऐसी ही दे'

महाराष्ट्र के बीड जिले के एक गांव में तीन बेटों ने मिलकर मां का मंदिर बनवाया है। बेटों ने बताया कि इससे लगता है हमारी मां हमारे साथ ही है, दूर नहीं गई। देखें VIDEO

Reported By : Namrata Dubey Edited By : Kajal Kumari Updated on: May 23, 2023 23:07 IST
love for mother- India TV Hindi
मां के लिए ऐसा प्यार नहीं देखा होगा

महाराष्ट्र: माता पिता भगवान के रूप होते हैं, इसीलिए कहा जाता है कि माता पिता की सेवा करना ईश्वर की सेवा करने जैसा है। आज की पीढ़ी बुढापे में मां-बाप की सेवा करने के बजाय उन्हें वृद्धाश्रम में भेजना पसंद करते हैं। घर में उनसे ठीक से कोई बात भी नहीं करता। जो मां-बाप पैदा होने के बाद अपनी औलाद के लिए रातों की नींद दिन का चैन सब न्यौछावर कर देते हैं, ऐसे मां-बाप को बुढ़ापे में प्यार के बदले दुत्कार मिलती है। आधुनिक युग में विरले ही कोई सौभाग्यशाली मां-बाप ऐसे होते हैं जिन्हें औलाद का सुख, औलाद का प्यार मिलता है। 

देखें वीडियो

तीन बेटों ने मिलकर बनाया मां का मंदिर

महाराष्ट्र के बीड जिले में तीन बेटे ऐसे हैं जिन्हें अपनी मां से इतना प्यार था कि जीते जी मां की बड़े जतन से, बड़े प्यार से देखभाल की और मां की मृत्यु के बाद मां की याद में उसका मंदिर बनवाया और सुबह-शाम उस मंदिर में पूरा परिवार मां की पूजा करने जाता है। मां के लिए ऐसा प्यार देखकर आपके भी मन में आएगा कि हे भगवान, अगर औलाद देना तो ऐसी ही देना। 

बीड के सावरगांव में तीन बेटे राजेंद्र, विष्णु और छगन खाड़े ने अपनी मां का मंदिर बनवाया है।। मंदिर के अंदर बेटों ने अपनी मां राधाबाई खाड़े की प्रतिमा भी स्थापित की है। ताकि वे हमेशा उनके साथ रहें और वो उनकी सेवा कर सकें। सावरगांव में रहने वाले तीन खाड़े भाईयों ने 9 से 10 लाख रुपए खर्च कर मां का यह मंदिर बनवाया। इतना ही नही मंदिर में मां की मूर्ति स्थापित करने के लिए भव्य कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया।

 हमारी मां हमारी आंखों के सामने होती है

विष्णु खाड़े ने बताया कि 18 मई  2022 को खाड़े परिवार के लिए वह काला दिन था, इसी दिन मेरी मां का दिल का दौरा पड़ने से देहांत हो गया है। हमें बहुत दुख हुआ जिसने हमें जन्म दिया, छोटे से बड़ा किया, वो हमें छोड़कर चली गई। आने वाली पीढ़ी को हमारी मां याद रहे, इसके लिए हम तीनों भाइयों ने मिलकर मां का मंदिर बनवाया। जिनके पास मां-बाप नही हैं उन्हें उनकी कीमत का पता चलता है। जिनके पास माता-पिता होते हैं वो बच्चे उनकी कद्र नहीं करते हैं। हमने मां का मंदिर बना दिया है, ऐसे हर रोज हमारी मां आंखों के सामने रहती है। हमारा पूरा परिवार अपनी मां का दर्शन करते हैं।

बेटों ने बताया-मां से करते थे बेहद प्यार

राधाबाई खाड़े ने बड़ी मुश्किल से अपने बच्चों का पालन पोषण किया, शिक्षा दी। देहांत के बाद खाड़े परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। मृत्यु के बाद तीनों बेटों ने मंदिर बनवाने का निर्णय लिया और इसकी जिम्मेदारी उठाई। 4 से 5 महीनें के अंदर मंदिर बनकर तैयार हो गया। पुणे के एक मूर्तिकार से मां की मूर्ति तैयार करवाई। इन सबके पीछे खाड़े परिवार ने 9 से 10 लाख रुपए खर्च किए।

बेटों ने बताया कि हमारी आय का स्रोत मजदूरी है, हमलोग थोड़ी बहुत खेती भी करते हैं। हमारी मां काफी दयालु और प्रेम करने वाली थी। उसका कभी भी किसी से कोई विवाद या झगड़ा नही रहा। हमारी पीढ़ी दर पीढ़ी को मां याद रहे। इसलिए हमने मंदिर बनवाया है। हम खेती और मजदूरी कर जब घर लौटते है तब मंदिर में मां की मूर्ति के पास बैठते हैं। वहां बैठकर ऐसा लगता है कि हमारी मां हमारे साथ है, हमारी आंखों के सामने ही है।

खाड़े भाईयों ने मां का मंदिर अपने घर के पास ही बनवाया है। मां के प्रति बेटों का यह प्यार बीड जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है। बेटों द्वारा मंदिर बनाए जाने के बाद पिता शंकर खाड़े ने कहा कि अब जब भी उन्हें उनकी पत्नी की याद आती है वो जाकर मंदिर की मूर्ति के पास बैठ जाते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि वह मेरे साथ ही है, मेरे पास ही है। 

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