सावन माह कई मायनों में खास होता है, इस माह में मुख्यत: शिवपरिवार की पूजा का विधान है। मान्यता है कि सावन माह में ही शिव-शक्ति का मिलन हुआ था। यह अब जल्द अपने समापन की ओर बढ़ रहा है। इससे पहले सावन माह का आखिरी प्रदोष व्रत आएगा, जो शिव पूजा के लिए बेहद खास माना जाता है। बता दें कि सावन माह का आखिरी प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाएगी। आइए जानते हैं कि प्रदोष व्रत कब मनाया जाएगा...
कब है बुध प्रदोष व्रत 2025?
हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर शिव और देवी पार्वती की पूजा का विधान है। हिंदू पंचांग की मानें तो सावन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 06 अगस्त की दोपहर 02.08 बजे आरंभ होगी। वहीं, 07 अगस्त की दोपहर 02.24 बजे समाप्त होगी। चूंकि भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में करने का विधान है। ऐसे में प्रदोष व्रत 06 अगस्त को मनाया जाएगा। प्रदोष व्रत बुधवार के दिन पड़ रहा है, ऐसे में इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जा रहा है।
शुभ योग
06 अगस्त को यानी सावन शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर शिववास योग का निर्माण हो रहा है। जो शिव पूजा के लिए बेहद शुभ माना जा रहा है। इस दिन शिव जी की पूजा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही हर परेशानी दूर हो जाती है।
प्रदोष व्रत पूजा विधि
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान आदि कर्म से निवृत्ति होकर साफ कपड़ें पहनें। फिर घर के मंदिर की सफाई करें या फिर शिव मंदिर जाएं।
इसके बाद शिवलिंग पर पंचामृत यानी जल, गंगाजल, दूध, दही, शहद आदि से अभिषेक करें। अभिषेक के दौरान ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः मंत्र का जप करते रहें।
फिर शिव जी को सफेद चंदन, धतूरा, शमी के पत्ती, फूल, फल और भस्म अर्पित करें।
इसके बाद घी का दीपक जलाएं और भगवान शिव की आरती करें। फिर पूजा के दौरान की गई गलती के लिए क्षमा मांगें।
यह पूजा सुबह और शाम करनी चाहिए।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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