Friday, April 26, 2024
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Chhath Puja 2023: छठ पूजा में बांस के सूप के इस्तेमाल करने के पीछे ये है एक खास वजह, बिना इसके व्रत का फल नहीं मिलता

छठ पर्व का आज दूसरा दिन खरना है। आज के दिन से ही व्रती महिलाएं 36 घंटे के व्रत रखने का संकल्प लेती हैं। यह व्रत परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की लंबी आयु के लिए रखा जाता है। लेकिन छठ पूजा के दौरान बांस के सूप का इस्तेमाल क्यों किया जाता है, आइए जानते हैं इसकी वजह।

Aditya Mehrotra Written By: Aditya Mehrotra
Updated on: November 18, 2023 18:19 IST
Chhath Puja 2023- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Chhath Puja 2023

Chhath Puja 2023: छठ पूजा सूर्य उपासना एवं लोक आस्था का महापर्व है। यह पर्व भारत के बिहार, झारखंड और पूर्वि उत्तर प्रदेश राज्यों के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। फिलहाल छट पूजा की शुरूआत हो चुकी है आज इसका दूसरा दिन खरना है। यह पावन पर्व पूरे चार दिनों का होता है और इसमें महिलाएं कुल 36 घंटे की अवधि का निर्जला व्रत रखती हैं।

छठ का यह पावन पर्व में मुख्य रूप से भगवान सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित होता है। इस पर्व में विशेष रूप से इन दोनों की पूजा का विधान है। छठ पूजा के दौरान एक बांस के सूप का प्रयोग किया जाता है। छठ पूजा के दौरान व्रती महिलाएं उस बांस के सूप में पूजा कि सामग्रियों को रखती हैं। आखिर छठ पूजा में बांस के बने सूप को क्यों प्रयोग करते हैं? आज हम आपको इसके पीछे का महत्व बताने जा रहे हैं।

छठ पूजा में बांस के सूप से जुड़ी मान्यता

मान्यता है कि छठ पूजा का व्रत यदि निसंतान दंपत्तियां श्रद्धा के साथ रखती हैं। तो उन्हें तेजस्वी संतान की प्राप्ति होती है। यह पूजा विशेष रूप से अच्छि संतान की प्राप्ती के उद्देशय से की जाती है। छठ पूजा में बांस से बने सूप का प्रयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि लोग ऐसा मानते हैं कि, जिस तरह से बांस 8 हफ्ते में ही 60 फीट ऊंचा तेजी से बढ़ता है। इसकी घास भी एक दिन में एक मीटर तक तेजी से बढ़ती है। यदि इस बांस से बनी सूप का छठ पूजा के व्रत अनुष्ठान में प्रयोग किया जाए। तो ठीक उसी प्रकार संतान के जीवन में भी तेजी से उन्नति होती है। इसी के साथ छठ पूजा का व्रत रखने से संतान का स्वास्थ्य भी अच्छा बना रहे। छट की पूजा बांस के सूप के बिना अधूरी मानी जाती है।

 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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