आने वाली 5 तारीख यानी 5 जून 2025 को गंगा दशहरा का पावन पर्व मनाया जाएगा। मान्यता है कि इसी दिन मां गंगा पृथ्वी पर आईं थीं। ऐसे में इस दिन गंगा स्नान और दान का बड़ा महत्व है। माना जाता है कि इस दिन सच्चे श्रद्धा से पूजा-पाठ किया जाए तो साधक की हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है। इस दिन भगवान शिव के भी पूजन का खास महत्व है, आइए जानते हैं कैसे करनी है पूजा...
कब है गंगा दशहरा?
गंगा दशहरा ज्येष्ठ के दशमी तिथि को मनाई जाती है, ऐसे में 4 जून की रात 11.54 बजे से दशमी तिथि का आरंभ हो जाएगा, जो 5 और 6 जून की रात 02.15 बजे तक रहेगी।
गंगा दशहरा पर क्यों होती है शिव की पूजा?
गंगा दशहरा के दिन शिव पूजन का विशेष महत्व है, कहा जाता है कि राजा भागीरथ ने कड़ी तपस्या कर मां गंगा को प्रसन्न किया और उनसे अपने पूर्वजों को मोक्ष देने के लिए पृथ्वी पर आने की प्रार्थना की, जिसके बाद मां गंगा ने उन्हें पृथ्वी पर न आने की वजह बताई कि मां गंगा का वेग पृथ्वी सीधे नहीं झेल सकती थी। ऐसे में भागीरथ ने भगवान शिव की तपस्या की और उनके समक्ष रखी अपनी बात रखी तो भगवान शिव ने मां गंगा को अपने जटाओं में जगह दी, इसके बाद उनकी धारा पृथ्वी पर आई और भागीरथ के पूर्वजों को मोक्ष मिला। गंगा के जटाओं में आने के कारण ही भगवान शिव को गंगाधर भी कहा जाता है। मान्यता यह भी है कि मां गंगा ने भगवान शिव का अपना पति माना है। ऐसे में गंगा दशहरा के दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है।
स्कंद पुराण के मुताबिक, देवी गंगा भगवान कार्तिकेय की सौतेली माता हैं। ऐसी मान्यता है कि मां गंगा ने ही शिव और पार्वती के पु6 कार्तिकेय (मुरुगन) को अपने गर्भ में धारण किया था।
कैसे करनी है शिवलिंग की पूजा?
- गंगा दशहरा के दिन शिवलिंग पर गंगाजल जरूर चढ़ाएं, इससे सभी पापों का नास होता है।
- शिवलिंग पर गंगाजल के बाद दूध से अभिषेक करें, इससे साधक को रोग-दोष से मुक्ति मिलेगी।
- फिर भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाएं, इससे धन की मुश्किलें कम होंगी।
- साथ ही शिवलिंग पर सफेद चंदन का लेप भी लगाए और फिर अक्षत चढ़ाए, इससे घर में मां लक्ष्मी का वास होता है।
- इसके बाद शिवलिंग पर सफेद फूल चढ़ाएं, इससे घर में सुख-समृद्धि बनीं रहेगी।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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