Tuesday, May 20, 2025
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Kailash Mansarovar Yatra: एक ही स्थान पर होने के बावजूद मानसरोवर झील और राक्षस ताल में हैं इतने अंतर, वैज्ञानिक भी हैं चकित

Kailash Mansarovar Yatra: कैलाश पर्वत की तलहटी पर मानसरोवर झील और राक्षस ताल हैं। दोनों का स्थान और वातावरण एक जैसा होने के बावजूद भी इन दोनों में कई अंतर हैं। आज इसी के बारे में हम आपको जानकारी देंगे।

Written By: Naveen Khantwal
Published : Apr 28, 2025 13:19 IST, Updated : Apr 29, 2025 15:36 IST
Kailash Mansarovar Yatra
Image Source : SOCIAL कैलाश मानसरोवर यात्रा

Kailash Mansarovar Yatra: कैलाश मानसरोवर यात्रा इस साल 30 जून से शुरू होने वाली है। कैलाश दर्शन के साथ ही इस यात्रा के दौरान लोग मानसरोवर झील और राक्षस ताल के भी दर्शन करते हैं। यह दोनों झीलें 2-3 किलोमीटर की दूरी पर स्थिति हैं और दोनों के लिए वातावरण एक जैसा है। इसके बावजूद भी राक्षस ताल और मानसरोवर झील में कई अंतर देखने को मिलते हैं। तिब्बत के लोग राक्षस ताल को शापित झील और मानसरोवर को पवित्र झील मानते हैं। यही मान्यता हिंदू धर्म में भी। हालांकि, वैज्ञानिकों के लिए यह कौतूहल का विषय है कि आखिर क्यों एक जैसी परिस्थितियां होने के बावजूद भी ये दोनों झीलें अलग हैं। मानसरोवर झील और राक्षस ताल से जुड़े रहस्य और अंतर के बारे में आइए जानते हैं। 

मानसरोवर झील और राक्षस ताल में मुख्य अंतर

मानसरोवर झील राक्षस ताल
पविवत्रता और प्रकाश का प्रतीक अपवित्रता और अंधकार का प्रतीक
देवताओं का स्नान स्थल असुरों का निवास स्थान
मानसरोवर झील का पानी मीठा और पीने योग्य राक्षस ताल का पानी अत्यधिक खारा है, पीने योग्य नहीं
यह झील हिमालय से बहने वाली जल धाराओं से बनी है यह झील हिमपात के पिघलने और भूमिगत जल से बनी है
इस झील का रंग साफ और नीला है  राक्षस ताल का पानी गहरा नीला और बार-बार रंग बदलता है
यह झील पूजा, स्नान और ध्यान साधना के लिए प्रसिद्ध है राक्षस ताल को बस दूर से देख सकते हैं, इसके निकट जाना और यहां स्नान करना वर्जित
मानसरोवर झील में मछलियां और अन्य जलीय जीवन देखे जाते हैं राक्षस ताल में कोई भी जलीय जीव नहीं दिखता, इसके आसपास वनस्पति भी नहीं होती
इसका संबंध शिव-पार्वती, ब्रह्मा, सकारात्मकता, शांति और सूर्य से है इसका संबंध नकारात्मकता, अशुद्धता, अंधकार, चंद्रमा और रावण से है

धार्मिक मान्यताएं 

कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान लोग मानसरोवर झील के पास ध्यान लगाते हैं, यहां पूजा करते हैं। इस झील के जल को पीने के लिए कतारें लगती हैं। वहीं राक्षस ताल के ज्यादा निकट कोई नहीं जाता। राक्षस ताल का पानी बेहद अशांत और मन को विचलित करने वाला माना जाता है।  बौद्ध धर्म में मानसरोवर झील प्रकाश और राक्षस ताल अंधकार का प्रतीक है। हिंदू धर्म के अनुसार मानसरोवर झील भगवान शिव और माता पार्वती की झील है। जबकि राक्षस ताल का संबंध रावण से माना जाता है। इसलिए राक्षस ताल को रावण ताल भी कहते हैं। मानसरोवर झील के बीच कोई द्वीप नहीं हैं जबकि राक्षस ताल के पास डोला, दोशारबा, लचाटो नाम के द्वीप भी हैं।  

एक स्थान पर होने के बाद भी क्यों अलग हैं ये झीलें? 

मानसरोवर झील और राक्षस ताल एक ही वातावरण, एक जैसी ऊंचाई पर होने के बावजूद भी बिल्कुल अलग है। प्राचीन काल से ही लोग इस जानना चाहते हैं कि एक स्थान पर होने के बावजूद भी ये दोनों झीलें इतनी अलग क्यों हैं। हालांकि, इस बात का जवाब आज तक किसी के पास नहीं है, विज्ञान भी इस गुत्थी को सुलझा नहीं पाया है। बौद्ध और हिंदू धार्मिक ग्रंथों में राक्षस ताल को आसुरी शक्ति का और मानसरोवर झील को दैवीय शक्ति का प्रतीक माना जाता है लेकिन इस बात का जवाब वहां भी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि इनके बीच इतना अंतर क्यों है। हिंदू धार्मिक ग्रंथों में लिखा है कि रावण ने राक्षस ताल में डुबकी लगाकर इस ताल के पास शिव जी की आराधना की थी। रावण के इस जल में स्नान करने की वजह से ही राक्षस ताल नकारात्मक शक्तियों से भर गया। हालांकि, धार्मिक शास्त्रों में बताए गए तथ्य विज्ञान नहीं मानता, लेकिन विज्ञान भी इस बात का जवाब देने में कामयाब नहीं हो पाया है कि आखिर एक स्थान पर होने के बावजूद भी ये मानसरोवर और राक्षस ताल में इतना अंतर क्यों है।

 

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