Sunday, April 28, 2024
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दशहरे के दिन इन दो पौधों की पूजा करने से टल जाएगी हर बुरी बला, माँ लक्ष्मी करेंगी धन वर्षा

विजयदशमी के दिन अगर आप भी इन दो वृक्षों की पूजा करते हैं तो आपकी किसमत का सितारा चमक जाएगा

Written By : Acharya Indu Prakash Edited By : Poonam Yadav Updated on: October 23, 2023 16:47 IST
Dussehra 2023- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Dussehra 2023

कल जीत के प्रतीक ‘दशहरे’ का त्योहार मनाया जायेगा। पुराणों के अनुसार रावण पर भगवान श्री राम की जीत के उपलक्ष्य में विजयदशमी का ये त्योहार मनाया जाता है। विजयदशमी के दिन अपराजिता और शमी के पौधों का पूजा करने का विधान है। आज अपराजिता की पूजा से सालभर तक कार्यों में जीत हासिल होती है और किसी भी काम में रूकावट नहीं आ । आज दोपहर बाद घर के ईशान कोण, यानि उत्तर-पूर्व दिशा को अच्छे से साफ करके, उसे गोबर से लीपकर, उसके ऊपर चंदन से आठ पत्तियों वाला कमल का फूल बनाना चाहिए और संकल्प करना चाहिए- “मम सकुटुम्बस्य क्षेम सिद्धयर्थे अपराजिता पूजनं करिष्ये” अगर आप ये मंत्र न पढ़ पायें, तो आपको इस प्रकार कहना चाहिए कि हे देवी! मैं अपने परिवार के साथ अपने कार्य को सिद्ध करने के लिये और विजय पाने के लिये आपकी पूजा कर रहा हूं। इस प्रकार कहकर उस कमल की आकृति के बीच में अपराजिता का पौधा रखना चाहिए।

करें इन मंत्रों का जाप

इसके बाद अपराजिता की दाहिनी ओर जया और बायीं ओर विजया शक्ति का आह्वाहन करना चाहिए । इसके बाद तीनों को प्रणाम करते हुए क्रमशः ये कहना चाहिए- ‘अपराजितायै नमः’ ‘जयायै नमः’ ‘विजयायै नमः’। इस तरह मंत्र कहते हुए उनकी षोडशोपचार, यानि 16 उपचारों के साथ पूजा करनी चाहिए और प्रार्थना करनी चाहिए- ‘हे देवी, यथाशक्ति जो पूजा मैंने अपनी रक्षा के लिये की है, उसे स्वीकार कीजिये। इस प्रकार पूजा के बाद देवी मां से अपने स्थान पर वापस जाने का आग्रह करें। जबकि राजा के संदर्भ में अलग तरह से प्रार्थना बतायी गयी है। वर्तमान समय में राजा की जगह प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और अन्य उच्चाधिकारी ये प्रार्थना कर सकते हैं- ‘वह अपराजिता जिसने कण्ठहार पहन रखा है, जिसने चमकदार सोने की मेखला, यानि करधनी पहन रखी है, जो अच्छा करने की इच्छा रखती है, मुझे विजय दे।‘ इस प्रकार प्रार्थना के बाद देवी का विसर्जन करना चाहिए।

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ऐसे करें शमी के पौधे की पूजा

अपराजिता पूजा के बाद अब बात करेंगे शमी पूजा की - शमी पूजा के लिये गांव की सीमा पर जाकर उत्तर-पूर्व दिशा में शमी के पौधेकी पूजा करनी चाहिए। सबसे पहले शमी की जड़ में लोटे से साफ जल चढ़ाना चाहिए और घी का दीपक जलाना चाहिए।  शमी की पूजा के बाद सीमा उल्लंघन करना चाहिए, यानि अपने गांव या शहर की सीमा को लांघकर बाहर जाना चाहिये। 

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पौधे की पूजा करने से मिलता है मान-सम्मान 

इन पौधों की पूजा करने से व्यक्ति को सालभर तक यात्राओं में लाभ मिलता है, यात्रा में किसी प्रकार की बाधा नहीं आती और काम में सफलता मिलती है। शमी की पूजा के बाद जीवन में उत्साह और प्रगति बनी रहती है। अपराजिता और शमी पूजा के अलावा आज खंजन, यानि नीलकंठ पक्षी के दर्शन करना बड़ा ही शुभ माना जाता है। दशहरे के दिन इसका दर्शन करना अपनी किस्मत के दरवाजे खोलने के समान है। अगर आज आपको कहीं भी नीलकंठ के दर्शन हो जाये तो उसे देखते हुए कहना चाहिए- खंजन पक्षी, तुम इस पृथ्वी पर आये हो, तुम्हारा गला नीला एवं शुभ्र है, तुम सभी इच्छाओं को देने वाले हो, तुम्हें नमस्कार है। 

(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)

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