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डीपफेक पर लगाम लगाने की तैयारी, लोकसभा में पेश हुआ रेगुलेशन बिल

डीपफेक पर लगाम लगाने के लिए लोकसभा में रेगुलेशन बिल पेश किया गया है। इस बिल का मकसद लोगों के चेहरे का इस्तेमाल एआई जेनरेटेड कंटेंट में रोकने के लिए है।

Edited By: Harshit Harsh @HarshitKHarsh
Published : Dec 06, 2025 01:48 pm IST, Updated : Dec 06, 2025 02:08 pm IST
deepfake regulation bill- India TV Hindi
Image Source : UNSPLASH डीपफेक रेगुलेशन बिल

डीपफेक और एआई जेनरेटेड कंटेंट पर लगाम लगाने की तैयारी शुरू हो गई है। इसे लेकर प्राइवेट मेंबर बिल लोकसभा में पेश किया गया है। शिवसेना के सांसद श्रीकांत शिंदे ने इस बिल को लोकसभा में टेबल किया है। इस बिल का मकसद लोगों के चेहरे का गलत तरीके से इस्तेमाल को रोकना है ताकि उनकी साख खराब न हो। इस बिल में कहा गया है कि ऐसे किसी भी एआई जेनरेटेड कंटेंट को इंटरनेट पर डालने से पहले उस व्यक्ति की अनुमति लेनी जरूरी होगी।

डीपफेक रेगुलेशन बिल

लोकसभा के शीतकालीन सत्र में इस बिल को टेबल करते हुए शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे ने कहा, 'उत्पीड़न, धोखे और गलत सूचना के लिए डीपफेक का दुरुपयोग बढ़ गया है, जिससे नियामक सुरक्षा उपायों की तत्काल आवश्यकता पैदा हो गई है।' इस बिल में एआई जेनरेटेड कंटेंट के गलत इस्तेमाल को लेकर सजा का भी प्रावधान रखा गया है।

शिवसेना सांसद ने आगे कहा,'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डीप लर्निंग टेक्नोलॉजी में एडवांसमेंट के साथ, डीपफेक तकनीक मीडिया हेरफेर के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण के तौर पर उभरी है। हालांकि टेक्नोलॉजी के शिक्षा, मनोरंजन और रचनात्मक क्षेत्रों में संभावित अनुप्रयोग हैं, लेकिन दुरुपयोग होने पर यह गंभीर जोखिम भी पैदा करता है, जिससे व्यक्तिगत गोपनीयता, राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक विश्वास को खतरा होता है।'

कानूनी दायरे में होंगे डीपफेक कंटेंट

इस बिल के संसद से पारित होने के बाद भारत में डीपफेक को लेकर जरूरी कानून बन जाएगा और इसके दुरुपयोग पर कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी। पिछले दिनों कई सेलिब्रिटीज ने डीपफेक को लेकर सवाल उठाए थे। बॉलीवुड और साउथ की एक्ट्रेस रश्मिका मंधाना से लेकर सचिन तेंदुलकर की बेटी सारा तेंदुलकर की डीपफेक तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी, जिसका काफी विरोध हुआ था।

इस रेगुलेशन बिल का मकसत नागरिकों के हितों की रक्षा करना है। उनकी मर्जी के बिना कोई भी उनके चेहरे का इस्तेमाल एआई जेनरेटेड कंटेंट के लिए नहीं कर पाएंगे। साथ ही, इस बिल में लोगों की निजता की रक्षा करने के लिए एक टास्क फोर्स बनाने का भी प्रावधान किया गया है। इसमें पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी आवश्यक होगी, ताकि इस तरह के डीपफेक तस्वीरों, वीडियो आदि की जांच की जा सके। इस बिल में डीपफेक से दुष्प्रभाव को हाईलाइट करते हुए कानूनी फ्रेमवर्क बनाने पर फोकस किया गया है। पीएम मोदी भी डीपफेक के दुष्प्रभाव को लेकर कई बार चिंता जता चुके हैं।

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