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मार्केटिंग वाले कॉल्स से नहीं मिलेगा छुटकारा, TRAI और DoT में मतभेद, जानें पूरा मामला

TRAI ने दूरसंचार विभाग के टेलीमार्केटर्स को रेगुलेट करने की आग्रह को ठुकरा दिया है। दूरसंचार नियामक के इस फैसले की वजह से अनजान नंबरों से आने वाले फर्जी मार्केटिंग कॉल्स पर पूरी तरह से बंद नहीं होंगे।

Written By: Harshit Harsh @HarshitKHarsh
Published : Jul 24, 2025 06:03 pm IST, Updated : Jul 24, 2025 06:03 pm IST
unknown calls- India TV Hindi
Image Source : PIXABAY टेलीमार्केटिंग कॉल्स

मार्केटिंग वाले कॉल्स को रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में लाने वाली बात TRAI ने नहीं मानी है। दूरसंचार विभाग ने नियामक को फर्जी मार्केटिंग कॉल्स पर रोक लगाने के लिए टेलीमार्केटर्स को रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में लाने के लिए कहा था, जिसे TRAI ने नकार दिया है। दूरसंचार विभाग का कहना है कि टेलीमार्केटर्स को रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में लाने से यूजर्स को आने वाले फर्जी कॉल्स से पूरी तरह छुटकारा मिल जाएगा। हालांकि, दूरसंचार नियामक इसे लेकर असहमत है। आइए, जानते हैं क्या है पूरा मामला?

क्या है मामला?

ET Telecom की रिपोर्ट के मुताबिक, दूरसंचार विभाग यानी DoT ने यूजर्स के मोबाइल पर आने वाले अनचाहे मार्केटिंग कॉल्स पर लगाम लगाने के लिए टेलीमार्केटर्स को रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में लाने के लिए कहा था, जिसे दूरसंचार नियामक यानी TRAI ने रिजेक्ट कर दिया। दूरसंचार विभाग ने पिछले साल ट्राई को इसके लिए रेगुलेटरी मैकेनिज्म तैयार करने के लिए कहा था।

DoT ने अपने आवेदन में कहा था कि टेलीमार्केटर्स के रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में आने से ऑथिरिटीज को फर्जी कॉल्स या मैसेज पर लगाम लगाना आसान हो जाएगा। रेगुलेटरी फ्रेमवर्क आने से दूरसंचार कंपनियों और ऑथोरिटीज को फर्जी कॉल्स और मैसेज को रोकना आसान हो जाएगा। दूरसंचार नियामक ने DoT के इस लेटर का जवाब देते हुए कहा कि ऐसा करने से कई तरह की दिक्कतें पैदा हो सकती हैं। हालांकि, पिछले साल TRAI ने टेलीकॉम ऑपरेटर्स को DLT सिस्टम लागू करने के लिए कहा था, ताकि फर्जी टेलीमार्केटर्स की पहचान हो सके और अनजान नंबरो से आने वाले कॉल्स को रोका जा सके।

TRAI का जवाब

TRAI ने अपने जवाब में कहा कि नियामक ने इस मामले के हर पहलू की जांच करने के बाद DoT को यह पत्र लिखा है, जिसमें ऐसा करने में आने वाली समस्याओं से अवगत कराया गया है। दूरसंचार विभाग TRAI के इस जवाबी पत्र के मुताबिक एक्सपर्ट्स से राय लेकर इस मामले में अंतिम निर्णय लेगी। हालांकि, टेलीमार्केटर्स के रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में नहीं आने की वजह से देश के करोड़ों यूजर्स को अनचाहे मार्केटिंग कॉल्स से फिलहाल जल्द छुटकारा नहीं मिलने वाला है।

बता दें टेलीमार्केटर्स द्वारा डेली बेसिस पर 1.5 से लेकर 1.7 बिलियन और हर महीने 55 बिलियन के करीब कमर्शियल मैसेज यूजर्स को भेजे जाते हैं। इस समय टेलीमार्केटिंग सिस्टम में 2.8 लाख से ज्यादा बिजनेस एंटरप्राइज जुड़े हैं। वहीं, करीब 16,000 टेलीमार्केटर एग्रीगेटर्स और 15 टेलीमार्केटर्स इससे जु़ड़े हुए हैं। 

पिछले साल दूरसंचार नियामक और दूरसंचार विभाग ने UCC यानी अनसोलिसिटेड कम्युनिकेशन रोक लगाने के लिए टेलीकॉम ऑपरेटर्स पर जुर्माने का प्रावधान रखा था। TRAI का कहना है कि टेलीमार्केटर्स का ऑपरेटर्स के साथ कमर्शियल एग्रीमेंट है। ट्राई ये जुर्माना टेलीमार्केटर्स से वसूलने वाला था, लेकिन सिस्टम इनइफेक्टिव रहा था। हाल ही में TRAI ने टेलीकॉम ऑपरेटर्स पर 141 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने का काम किया है। हालांकि, टेलीकॉम ऑपरेटर्स जु्र्माने के फैसले को लेकर ट्रिब्यूनल में चुनौती दी है।

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