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'शोबाजी' के चक्कर में खरीद रहें हैं iPhone, तो इन बातों का रखें ध्यान, नहीं तो पड़ेगा पछताना

iPhone की डिमांड पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ी है। ऐसे में अगर आप भी आईफोन खरीदने का मन बना रहे हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, नहीं तो आपको बाद में पछताना पड़ सकता है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : Feb 06, 2025 06:08 pm IST, Updated : Feb 06, 2025 06:16 pm IST
iPhone- India TV Hindi
Image Source : FILE आईफोन

iPhone हर साल दुनिया के सबसे ज्यादा बिकने वाले स्मार्टफोन की लिस्ट में शामिल रहता है। हाल में आई मार्केट रिसर्च रिपोर्ट में दुनिया के 10 सबसे ज्यादा बिकने वाले स्मार्टफोन में से 7 आईफोन शामिल हैं। पिछले साल भारत में भी आईफोन की जबरदस्त डिमांड देखी गई है। यूजर्स के बीच भारी डिमांड की वजह से साल की आखिरी तिमाही में एप्पल पहली बार भारत के टॉप-5 स्मार्टफोन ब्रांड में शामिल हुआ है। भारत में iPhone की बढ़ती डिमांड की मुख्य वजह युवाओं की बीच इसकी लोकप्रियता है।

प्रीमियम प्राइस रेंज में आने वाले आईफोन खरीदने वाले ज्यादातर यूजर्स शोबाजी के चक्कर में इसे खरीद रहे हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और स्टेटस सिंबल की वजह से यूजर्स का रूझान आईफोन की तरफ बढ़ा है। अगर, आप भी आईफोन खरीदने के लिए मोटी रकम खर्च करना चाहते हैं तो आपको इन तीन बातों का ध्यान रखना चाहिए। नहीं, तो बाद में आपको पछताना पड़ सकता है।

बैटरी और चार्जिंग

Android स्मार्टफोन के मुकाबले एप्पल आईफोन में कम कैपेसिटी वाली बैटरी दी जाती है, जिसकी वजह से फोन की बैटरी लंबे समय तक लास्ट नहीं करती है। हालांकि, आईफोन में सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर ऑप्टिमाइजेशन की वजह से एंड्रॉइड के मुकाबले बैटरी की खपत कम होती है। इसके बावजूद आपको अपने iPhone को दिन में दो बार चार्ज करना पड़ता है। इसके अलावा आईफोन में कोई फास्ट चार्जिंग का सपोर्ट नहीं मिलेगा। आप एंड्रॉइड फोन को 30 मिनट में फास्ट चार्जिंग की वजह से फुल चार्ज कर सकते हैं, वहीं आपको आईफोन चार्ज करने में कम से कम डेढ़ घंटे का समय लगेगा।

डिस्प्ले

इन दिनों मार्केट में आने वाले मिड बजट के स्मार्टफोन में भी आपको LTPO AMOLED डिस्प्ले मिल जाते हैं, जो 120Hz हाई रिफ्रेश रेट को सपोर्ट करते हैं। वहीं, आईफोन के प्रो और प्रो मैक्स मॉडल में आपको हाई रिफ्रेश रेट वाला डिस्प्ले मिलेगा। इसके लिए आपको एंड्रॉइड के मुकाबले चार गुना पैसा खर्च करना पड़ेगा।

रैम

Android स्मार्टफोन में आपको 24GB तक रैम का ऑप्शन कम बजट में मिल जाता है। यही नहीं, फिजिकल के साथ-साथ वर्चुअल रैम एक्सपेंशन का भी ऑप्शन मिलता है। Apple कभी भी अपने आईफोन के रैम की डिटेल रिवील नहीं करता है। हालांकि, रिपोर्ट्स की मानें तो पिछले साल लॉन्च हुए लेटेस्ट iPhone 16 सीरीज में आपको 12GB तक रैम मिलेगा, जिसे आप एक्सपेंड भी नहीं कर सकते हैं।

कस्टमाइजेशन

एप्पल अपने आईफोन में Android की तरह कस्टमाइजेशन के ऑप्शन नहीं देता है। एंड्ऱॉइड यूजर्स को कई तरह के कस्टमाइजेशन ऑप्शन मिलते हैं। वे अपने फोन में थर्ड पार्टी ऐप्स भी डाउनलोड करके यूज कर सकते हैं, जो आप आईफोन में नहीं कर सकते हैं। हालांकि, ये थर्ड पार्टी ऐप्स यूजर्स के डेटा प्राइवेसी के लिए खतरा भी हो सकते हैं।

महंगा इकोसिस्टम

आईफोन यूजर्स के लिए एप्पल ने iOS का महंगा इकोसिस्टम बनाया है। गूगल के एंड्रॉइड इकोसिस्टम के मुकाबले यह काफी खर्चीला है। यहां आपको ऐसी सर्विसेज के लिए पैसे खर्च करने पड़ेंगे, जो आप एंड्रॉइड में फ्री में यूज करते हैं। यही नहीं, एप्पल ऐप स्टोर पर गूगल प्ले स्टोर के मुकाबले ऐप्स की संख्यां भी काफी कम है। अगर, आप महंगा आईफोन खरीदने के बाद भी अन्य सर्विस के लिए हर महीने पैसे खर्च करने के लिए तैयार हैं, तो ही आप आईफोन खरीदें।

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