पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से चला आ रहा किसानों का आंदोलन जल्द ही समाप्त हो सकता है। किसान नेता सतनाम सिंह ने मंगलवार को कहा कि सरकार ने हमारी सभी मांगें मान ली हैं, और हम 4 दिसंबर को आंदोलन खत्म करने का फैसला ले सकते हैं।
जहां एक ओर राकेश टिकैत ने अपने कई बयानों से ये साफ़ कर दिया है कि किसान आंदोलन तब तक ख़त्म नहीं होगा जब तक MSP पर फैसला नहीं आ जाता, तो वहीं कई किसान नेता ऐसे भी है जो आंदोलन को ख़त्म करना चाहते हैं। किसान नेता मंजीत सिंह राय भी किसान आंदोलन को वापस लेने के पक्ष में हैं। सुनिए उन्होंने कल क्या कहा था।
कल संसद के दोनों सदनों से किसान कानून वापसी बिल पास हो गया। इसे लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने 1 दिसंबर, यानी परसों इमरजेंसी बैठक बुलाई है। पंजाब के 32 किसान संगठनों की कल बैठक है और ज़्यादातर किसानों का यह मत है अब आंदोलन ख़त्म होना चाहिए।
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने सोमवार को कहा कि तीनों कृषि कानून रद्द हो चुके हैं, लोग बड़े होते हैं, हुकूमत नहीं। हमने 1 तारीख को SKM की मीटिंग बुलाई है, ये इमरजेंसी मीटिंग है।
आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने के संबंध में तोमर ने कहा कि यह राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में है।
कृषि मंत्री ने कहा, तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद अब आंदोलन का कोई मतलब नहीं रह जाता है। बड़े मन का परिचय देते हुए पीएम मोदी की अपील को मानें और किसान घर वापस लौटें।
दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा किसान आंदोलन अभी जारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि कानून वापस लिए जाने की घोषणा के बाद भी प्रदर्शनकारी किसान दिल्ली की सीमा से हटने को राजी नहीं है। किसान आंदोलन का 1 साल पूरा होने पर इंडिया टीवी ने बात की किसान नेता राकेश टिकैत से।
सोनिया गांधी की अगुवाई में हुई इस बैठक में इस बात पर जोर दिया कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक सत्र के पहले ही दिन लाया जाए।
समाजवादी पार्टी प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने वादा किया कि सत्ता में वापसी होने पर वह किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों को 25 लाख की सम्मान राशि देंगे। यह एक ऐसा चुनावी दांव है जो अगर कामयाब रहा तो उन्हें विधानसभा चुनावों में बड़ा फायदा हो सकता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस ले लिए लेकिन किसान आंदोलन खत्म नहीं हुआ। अब लोगों के मन में सवाल है कि आखिर अब संयुक्त किसान मोर्चे के नेताओं को क्या चाहिए? अब आंदोलन खत्म क्यों नहीं हो रहा है? लेकिन किसान नेता अब MSP को इश्यू बनाकर दिल्ली के बॉर्डर्स का घेराव कर रहे हैं। क्या किसान अपने आंदोलन से यूपी पर दांव लगाना चाह रहे हैं? देखिए आज की बात रजत शर्मा के साथ।
प्रधानमंत्री को लिखे खुले पत्र में एसकेएम ने कहा कि आपके संबोधन में किसानों की प्रमुख मांगों पर ठोस घोषणा की कमी के कारण किसान निराश हैं। कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामले तुरंत वापस लिए जाने चाहिए। कृषि कानून विरोधी आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मौत हुई, उनके परिवार को पुनर्वास सहायता, मुआवजा मिलना चाहिए।
कृषि कानूनों की वापसी के बाद किसान घर वापसी के लिए तैयार नहीं हैं। किसान फिलहाल दिल्ली के बॉर्डर्स से नहीं हटेंगे। आज सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में इस फैसले पर मुहर लगी। क्या है किसानों का नया प्लान? देखिए मुक़ाबला सुरभि शर्मा के साथ।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने ट्वीट कर कहा है कि- 'आंदोलन को यह मुकाम 700 किसानों की शहीदी देकर मिला है। किसान न इस बात को भूलेगा और न ही हुकूमत को भूलने देगा।'
PM मोदी को Man Of Action क्यों कहा जाता है ? इसका सबूत आज खुद प्रधानमंत्री ने दे दिया है। तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला आसान नहीं था। लेकिन..मोदी ने ये निडर फैसला लिया। अब दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलनकारी किसान मोदी को Thank You कह रहे हैं। लेकिन मोदी विरोधी इसमें भी अपनी सियासी ज़मीन तलाश रहे हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा है कि उन्होंने किसानों के हित में ये तीनों कृषि कानून परित किये थे लेकिन वह लोगों को इस संबंध में समझा नहीं पाए और इसलिए इन कानूनों को वापस लिया जा रहा है।
शनिवार को कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों से मुलाकात करने के लिए कहा गया है।
बता दें कि कैप्टन अमरिंदर सिंह किसान आंदोलन की शुरुआत से ही इसके समर्थन में खड़े रहे हैं। अमरिंदर सिंह ने तीन कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए कई बार पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की।
गुरु नानक जयंती के अवसर पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि तीन कृषि कानून किसानों के फायदे के लिए थे लेकिन हमारे सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के बावजूद हम किसानों के एक वर्ग को मना नहीं पाए।
संयुक्त किसान मोर्चा की मंगलवार को सिंघु बॉर्डर के पास एक बैठक हुई है और किसान आंदोलन को आगे ले जाने को लेकर रणनीति तैयार की गई है। इसी बैठक में फैसला किया गया है कि 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान रोजाना 500 किसान ट्रैक्टर लेकर संसद भवन की तरफ मार्च करेंगे।
पुलिस ने हालात पर काबू पाने के लिए किसानों पर लाठीचार्ज कर दिया। लाठीचार्ज में कई किसानों के घायल होने की खबर है। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए कई किसानों को हिरासत में भी लिया है।
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