सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि सरकार ने जरूरी वस्तु अधिनियम (Essential Commodity Act) में बदलाव किया है और दलहन, तेल तथा तिलहन, आलू और प्याज जैसी वस्तुओं को इस एक्ट से बाहर किया गया है
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के मुताबिक 3 जुलाई तक देशभर में कुल 432.97 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की खेती दर्ज की गई है जबकि पिछले साल इस दौरान सिर्फ 230.03 लाख हेक्टेयर में खेती हो पायी थी।
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक अबतक जो खेती हुई है उसमें तिलहन का रकबा पिछले साल के मुकाबले 6 गुना से भी ज्यादा आगे चल रहा है जबकि दलहन का रकबा 3 गुना आगे है।
चीन में कोरोना वायरस का प्रकोप गहराने से दुनियाभर के बाजारों में मंदी का माहौल है, जिससे कृषि उत्पाद बाजार भी प्रभावित हुआ है।
केंद्र सरकार ने इस साल किसानों की कमाई बढ़ाने के लिए खरीफ फसलों का समर्थन मूल्य तो बढ़ा दिया है लेकिन मौसम की बेरुखी की वजह से कहीं किसान इसका लाभ उठाने से वंचित न रह जाएं। देशभर में अबतक औसत के मुकाबले कम बरसात दर्ज की गई है जिस वजह से खरीफ बुआई बुरी तरह प्रभावित हुई है, ऐसे में खरीफ उत्पादन प्रभावित होगा और किसानों को बढ़े हुए समर्थन मूल्य का ज्यादा लाभ नहीं मिल सकेगा
केंद्र सरकार ने किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए वनस्पति तेल और तिलहन पर स्टॉक लिमिट खत्म कर दी है जिससे खाने के तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका जताई जा रही है। स्टॉक लिमिट खत्म होने के बाद अब व्यापारी अपनी मर्जी के मुताबिक तेल और तिलहन का स्टॉक रख सकेंगे और ज्यादा स्टॉक रखने पर उनके खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं होगी
कृषि मंत्रालय के अनुसार सरकार के द्वारा रबी दलहन और तिलहन फसलों का जो एमएसपी घोषित किया गया है उसमें 100 से 150 रुपए प्रति क्विंटल की बोनस राशि भी शामिल है।
कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक खरीफ सत्र में अभी तक धान की बुवाई का रकबा 4.5 प्रतिशत बढ़कर 126 लाख हेक्टेयर हो गया है।
पासवान ने कहा कि खुदरा बाजार में चीनी की कीमत 40 रुपए प्रति किलो पहुंच गई है, हम नहीं चाहते कि कीमतें आगे और बढ़ें। इसलिए वायदा वायदा पर रोक लगाना चाहिए।
कैबिनेट ने 2016-17 के खरीफ मौसम के लिए दालों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 425 रुपए बढ़ाकर 5,000-5,225 रुपए प्रति क्विंटल किए जाने को मंजूरी दे दी है।
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