NASA DART Mission: ‘डबल एस्टेरॉयड रीडायरेक्शन टेस्ट’ (डार्ट) के अंतरिक्षयान ने इरादतन डाइमॉरफोस नाम के उल्कापिंड को 26 सितंबर को टक्कर मारी थी। डाइमॉरफोस वास्तव में डिडिमोस नाम के उल्कापिंड का पत्थर था।
Space News: तारा और ग्रह निर्माण के क्षेत्र में साल 2014 के अंत में एक क्रांति हुई, जब सितारों के चारों ओर ग्रह-निर्माण डिस्क की पहली तस्वीरों को चिली के रेगिस्तान में अटाकामा लार्ज मिलिमीटर एरे (अल्मा) टेलीस्कोप से देखा गया। अल्मा की पहली और बाद की तस्वीरें शानदार थीं।
NASA James Webb Telescope: फैंटम गैलेक्सी को आधिकारिक तौर पर M74 भी कहा जाता है। इस गैलेक्सी में बेहद खूबसूरत स्पाइरल दिखाई देते हैं। इसका मतलब है कि इसमें स्पाइरल आर्म्स हैं, जिन्हें नई जारी की गई तस्वीरों में घूमते हुए देखा जा सकता है।
Universe Sound: जब हम टेलीस्कोप के साथ यूनिवर्स का पता लगाते हैं, तो हम पाते हैं कि यह सितारों की सुपरनोवा मौतों, ब्लैक होल और न्यूट्रॉन सितारों के विलय सहित प्रलयकारी विस्फोटों से भरा है, जो गुरुत्वाकर्षण तरंगें पैदा करते हैं, और तीव्र विस्फोट करते हैं।
Space Debris:अंतरिक्ष की कक्षाओं में छूट जाने वाले रॉकेट के टुकड़ों से अगले दशक में किसी मनुष्य के गंभीर रूप से घायल होने या उसकी मृत्यु होने की छह से 10 प्रतिशत आशंका है।
आज तक, सैटेलाइट और रॉकेटों के मलबे से पृथ्वी की सतह (या वायुमंडल में हवाई यातायात) को नुकसान पहुंचने की संभावना को नगण्य माना गया है। ऐसे अंतरिक्ष मलबे के अधिकांश अध्ययनों ने निष्क्रिय सैटेलाइट द्वारा कक्षा में उत्पन्न जोखिम पर ध्यान केंद्रित किया है, जो कार्यशील सैटेलाइट के सुरक्षित संचालन में बाधा डाल सकता है।
वैज्ञानिक गैलेक्सी की तस्वीर में इसलिए दिलचस्पी नहीं ले रहे कि यह बहुत खूबसूरत है। बल्कि इसलिए दिलचस्पी ले रहे हैं क्योंकि उनका मानना है कि इसके केंद्र में ब्लैक होल मौजूद है।
वैज्ञानिक का कहना है कि जिस गैलेक्सी की खोज की गई है, वह 13.5 बिलियन साल पहले मौजूद थी। इसका मतलब है कि जिस भी चीज की यूनिवर्स में पहचान की गई है, यह उससे लगभग 100 मिलियन साल पहले की है।
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप हमें यूनिवर्स के कोने-कोने तक का सफर कर रहा है। उन जगहों का भी, जो इससे पहले हमने कभी नहीं देखी हैं। आपको बता दें ये तस्वीरें क्लिक होने के बाद आपको सीधे नहीं दिखाई जाती हैं।
यहां चट्टानों के सैंपल लेने के बाद नील और बज अपने अंतरिक्षयान की तरफ बढ़ गए थे। उन्हें अगले एक घंटे में वापस धरती के लिए रवाना होना था। जब नील को अपने अंतरिक्षयान की तरफ जाना था, तभी उन्हें एक और काम याद आया।
जब आप चंद्रमा को देखते हैं, तो आप वास्तव में उसे वैसे ही देखते हैं जैसा वह 1.3 सेकेंड पहले था। यह समय में केवल एक छोटी सी झलक है, लेकिन यह अब भी अतीत है।
यूरेनस का केवल एक हिस्सा सूर्य की ओर रहता है। यह सूर्य से अधिक दूर नहीं है, फिर भी यह एक ठंडा ग्रह है। हालांकि 1986 में मानव निर्मित मशीन वोयागर-2 अंतरिक्ष यान इसके करीब से गुजरा था।
ये अध्ययन एस्ट्रोफिजिकल जरनल में प्रकाशित किया गया है। हमारी गैलेक्सी में ब्लैक होल के केंद्र में सितारों की बड़ी आबादी है। सितारों की अधिकतरा को क्लस्टर कहा जाता है। वहीं इस क्लस्टर का नाम क्लस्टर-एस रखा गया है।
अनुसंधान ने स्पेस में भी युवाओं के लिए करियर के रास्ते खुल गए हैं।
इसरो के सफल रॉकेट लॉन्चिंग की तस्वीरें आप टीवी या इंटरनेट पर देखते रहे होंगे। लेकिन अब आप क्रिकेट स्टेडियम की तरह बैठ कर इसरो के रॉकेट की लॉन्चिंग को देख सकेंगे।
भारत से फ्यूस्टल का एक बेहद ही खास रिश्ता है। वह नासा के एक स्पेस मिशन का हिस्सा थे और स्पेस में 197 दिन बिताने के बाद 5 अक्टूबर 2018 को पृथ्वी पर वापस आए थे।
जाने माने अंतरिक्ष वैज्ञानिक एवं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो के पूर्व अध्यक्ष उडुपी रामचंद्र राव का उम्र संबंधी बीमारियों के चलते आज यहां निधन हो गया। वह 85 वर्ष थे।
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