अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ी खबर देते हुए आज बताया कि हमें कोरोना वायरस वैक्सीन बस कुछ हफ्तों में मिलने वाली है। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब इस वायरस के कारण मौत का आंकड़ा हर दिन बढ़ता जा रहा है।
कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने के लिए दुनिया के तमाम देशों में होड़ मची हुई। अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, रूस और भारत समेत कई देश एक असरदार वैक्सीन की खोज में जी-जान से जुटे हुए हैं।
बिल गेट्स ने उम्मीद जताई है कि अगले साल की शुरुआत तक भारत में बड़े स्तर पर कोरोना वैक्सीन का उत्पादन होगा और पूरी दुनिया को वैक्सीन की सप्लाई होगी
ब्रिटिश वैज्ञानिक यह देखने के लिए एक छोटा अध्ययन कर रहे हैं कि कोविड-19 के दो प्रायोगिक टीके क्या इंजेक्शन की जगह मुंह अथवा नाक के जरिए दिए जाने पर बेहतर काम कर सकते हैं।
कंपनी का अनुमान है कि अगर वैक्सीन दो डोज वाली होती है तो दुनिया भर के लिए 15 अरब डोज़ की जरूरत पड़ेगी। हालांकि फार्मा कंपनियों की सीमित उत्पादन क्षमता को देखते हुए शुरुआती वर्षों में वैक्सीन की कमी बनी रहने की आशंका है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने रविवार को कहा कि अगले साल की शुरुआत तक कोविड-19 का टीका उपलब्ध हो सकता है और सरकार उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों के लिए इसकी आपात स्वीकृति पर विचार कर रही है।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और औषधि कंपनी एस्ट्राजेनेका ने शनिवार को कहा कि कोरोना वायरस का टीका विकसित करने के लिए ब्रिटेन में परीक्षण को बहाल कर दिया गया है। औषधि क्षेत्र के नियामक एमएचआरए द्वारा परीक्षण को सुरक्षित बताए जाने के बाद यह परीक्षण बहाल किया गया है।
एस्ट्राजेनेका के कोविड- 19 टीके का अंतिम चरण का अध्ययन अस्थाई तौर पर रोक दिया गया है। टीका के परीक्षण में शामिल एक व्यक्ति के बीमार होने के बाद परीक्षण रोका गया है। कंपनी जांच कर रही है कि टीका लेने वाले एक व्यक्ति का बीमार होना कहीं टीके का साथ में कोई दूसरा प्रतिकूल प्रभाव तो नहीं है।
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बुधवार को कहा कि एस्ट्राजेनेका के कोविड-19 से प्रतिरक्षण के लिए विकसित किए जा रहे टीके का भारत में परीक्षण जारी है।
WHO threaten Vaccine Nationalism : इस बीच दुनिया एक नए संकट में उलझती दिख रही है। यह संकट है वैक्सीन राष्ट्रवाद यानि वैक्सीन नेशनलिज्म (Vaccine Nationalism) का।
टीकाकरण के महत्व को रेखांकित करते हुए क्वात्रा ने बताया कि बच्चे के एक साल का होने के अंदर ही सभी महत्वपूर्ण टीके लगाए जाते हैं और ये बेहद महत्वपूर्ण होते हैं, जिनमें देरी नहीं की जा सकती।
दुनिया भर के वैज्ञानिक कोरोना की वैक्सीन के निर्माण के अंतिम चरण में हैं। अब सवाल उठता है कि यह वैक्सीन विकसित देशों के अलावा गरीब देशों तक कैसे पहुंचेगी।
सीडीसी ने वितरण केंद्रों की शीघ्र मंजूरी के लिए सरकार से मदद मांगी है।
पुणे के भारती विद्यापीठ मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में ऑक्सफोर्ड कोविड-19 के टीके के दूसरे चरण के क्लिनिकल परीक्षण के तहत बृहस्पतिवार को तीन और लोगों को टीका दिया गया।
ऑक्सफोर्ड के कोविड-19 टीके का मानव पर दूसरे चरण का क्लीनिकल परीक्षण यहां बुधवार को एक मेडिकल कॉलेज अस्पताल में शुरू हो गया। इस टीके का विनिर्माण यहां स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) द्वारा किया जा रहा है।
रूस ने पहली वैक्सीन का नाम Sputnik5 रखा था। दूसरी वैक्सीन को EpiVacCorona नाम दिया गया है।
पिछले ही हफ्ते रूस ने अपनी वैक्सीन को लॉन्च करने की घोषणा की थी, इसी बीच चीन ने भी कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार करने का दावा कर दिया है।
आज नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑन वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन ने भारत में दवा बनाने वाली कंपनियों के साथ बैठक की।
राष्ट्रपति पुतिन ने इस वैक्सीन के बारे में ऐलान करते हुए कहा कि रूस में बनी पहली कोविड-19 वैक्सीन को हेल्थ मिनिस्ट्री से अप्रूवल मिल गया है। इसके साथ ही उनकी बेटियों को यह टीका लगाया जा चुका है।
कोरोना वायरस से जंग में एक अच्छी खबर आ रही है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने कोरोना वैक्सीन के निर्माण और वितरण में तेजी लाने के Gavi, द वैक्सीन अलायंस और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन से हाथ मिलाया है।
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