Saturday, December 06, 2025
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मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी से जुड़ी बड़ी खबर, मऊ कोर्ट से मिली 2 साल की सजा पर रोक, बहाल हुई विधायकी

इलाहाबाद हाई कोर्ट से अब्बास अंसारी को मिली बड़ी राहत मिली है। हाई कोर्ट ने मऊ कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें उन्हें दो साल की सजा सुनाई थी।

Reported By : Imran Laeek Edited By : Mangal Yadav Published : Aug 20, 2025 02:37 pm IST, Updated : Aug 20, 2025 03:28 pm IST
अब्बास अंसारी - India TV Hindi
Image Source : PTI अब्बास अंसारी की फाइल फोटो

प्रयागराजः मुख्तार अंसारी के बेटे और पूर्व विधायक अब्बास अंसारी को इलाहाबाद हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाई कोर्ट ने अंसारी की याचिका स्वीकार करते हुए मऊ स्थित एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट द्वारा सुनाई गई दो साल की जेल की सजा पर रोक लगा दी है। इस आदेश के साथ ही अब उनका विधायक का दर्जा बहाल हो जाएगा और मऊ सदर विधानसभा सीट पर उपचुनाव नहीं होगा। हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद 30 जुलाई को फैसला रिजर्व कर लिया था। 

अब्बास अंसारी यूपी विधानसभा चुनाव में ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के टिकट पर विधायक चुने गए थे। हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद अब यह तय हो गया है कि मऊ सदर विधानसभा सीट पर अब चुनाव कराने की जरुरत नहीं पड़ेगी। यानी अंसारी की विधायकी अब बरकरार रहेगी।

क्या है पूरा मामला

2022 विधानसभा चुनाव के दौरान भड़काऊ भाषण के मामले में एमपी एमएलए कोर्ट मऊ ने 31 मई को 2 वर्ष की सजा और 3000 जुर्माना लगाया था। इसी आधार पर 1 जून 2025 को अब्बास अंसारी की विधायकी चली गई थी। जिला जज मऊ की अदालत ने 5 जुलाई को अपील खारिज कर दी थी। अब्बास अंसारी ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर जिला जज मऊ के आदेश को चुनौती दी थी। अब्बास अंसारी की ओर से अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय ने कोर्ट में पक्ष रखा था। जबकि यूपी सरकार की ओर से महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्रा और अपर महाधिवक्ता एम सी चतुर्वेदी ने दलीलें पेश की थीं। उन्होंने एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट मऊ के फैसले पर रोक लगाने का विरोध किया था।

इन धाराओं में दर्ज हुआ था केस

अंसारी पर बाद में भारतीय दंड संहिता की धारा 189 (लोक सेवक को नुकसान पहुंचाने की धमकी), 153-ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास और भाषा के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य बढ़ाना और सौहार्द बिगाड़ना), 171एफ (चुनाव में अनुचित प्रभाव डालना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया।

 

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