Railway Interesting Facts: भारतीय रेलवे ट्रेनों के आधुनिकीकरण के क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन उत्कृष्ट कार्य कर रहा है। इसके तहत ट्रेनों को तेज, सुरक्षित, आरामदायक और कुशल यात्रा के अनुकूल बनाया जा रहा है। भारतीय रेलवे ट्रेनों के बुनियादी ढांचे और संचालन प्रणालियों में भी व्यापक बदलाव कर रहा है। इन बदलावों में बढ़ती सेमी हाईपीड ट्रेनों की संख्सा, तेज विद्युतीकरण और डिजिटल सिग्नलिंग (जैसे कवच), LHB कोचों का बढ़ता उपयोग, और स्टेशनों का पुनर्विकास शामिल है। इन सभी कार्यों से मेक इन इंडिया की संकल्पना को भी साकार किया जा रहा है भारतीय रेलवे एक विश्व स्तरीय, टिकाऊ और यात्री-केंद्रित रेलवे प्रणाली बन सके। बहरहाल, ट्रेनों से रोजाना करोड़ों लोग सफर करते हैं और कई बार यात्री ट्रेनों से कुछ ऐसी चीजें दिख जाती हैं जिनके जवाब खुद रेलकर्मी भी देने से भी हिचकिचाते हैं। ऐसा ही सवाल है ट्रेन के इंजन को जंजीरों से क्यों बांधा जाता है ? आज हम आपको इसी का जवाब देने जा रहे हैं।
ट्रेन के इंजन की रोचक बातें
ट्रेन के इंजन में कई दिलचस्प और रोचक बातें होती हैं। जैसे कि इनमें टॉयलेट न होना, डबल इंजन का एक ही पायलट से कंट्रोल होना, शक्तिशाली हॉर्सपावर, अक्षरों और नंबरों से इनका प्रकार जानना और ये खुद को और पूरी ट्रेन को खींचने की अविश्वसनीय शक्ति रखते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत के पास WAG-12B जैसा दुनिया का सबसे शक्तिशाली इंजन भी है, जो भारी मालगाड़ियों को खींचता है।
ट्रेन के इंजन में टॉयलेट क्यों नहीं होता
दावा किया जाता है कि, इंजन में लोको पायलट के बैठने के लिए सिर्फ एक सीट होती है। इंजन में टॉयलेट इसलिए नहीं होता क्योंकि जगह की कमी होती है और इंजन सिर्फ तकनीकी उपकरणों और कंट्रोल पैनल से भरा होता है। सुरक्षा कारणों से भी ट्रेन में टॉयलेट का होना संभव नहीं है। बता दें कि, इंजन बेहद संवेदनशील होता है और टॉयलेट जैसी व्यवस्था सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती है, इसलिए केवल जरूरी उपकरण ही होते हैं।

ट्रेन में दो इंजन क्यों होते हैं
दरअसल, दो इंजन वाली ट्रेनों को मल्टीपल यूनिट ऑपरेशन कहा जाता है। ट्रेनें ज्यादा वजन खींचने की क्षमता रखें इसलिए दो इंजन लगे होते हैं। मालगाड़ियां, कोयला, सीमेंट, तेल और भारी कंटेनरों से लदी ट्रेनों में एक इंजन पर्याप्त नहीं होता है यही वजह है कि, डबल इंजन इस्तेमाल होता है।
इंजनों को चेन से क्यों बांधा जाता है
ऐसा दावा किया जाता है कि, ट्रेन के इंजन को जंजीरों से इसलिए बांधा जाता है ताकि वे ढलान या कंपन के कारण अपने आप आगे-पीछे न खिसकें और किसी दुर्घटना से बचें। यह सुरक्षा के लिए एक पुराना और जरूरी नियम है खासकर जब ट्रेन खड़ी हो, ताकि पहियों के नीचे लकड़ी के गुटके लगाकर उन्हें स्थिर किया जा सके। ब्रिटिश काल से चला आ रहा ये नियम सुरक्षा के लिए है।

ब्रिटिश काल का नियम
ट्रेन के इंजन को जंजीरों से बांधने का ये नियम ब्रिटिश काल से चला आ रहा है। जब किसी ट्रेन या मालगाड़ी को लंबे समय तक लूप लाइन पर खड़ा करना होता है, तो उसके आगे और पीछे के पहियों को चेन और ताले से बांध दिया जाता है। इसके बाद पहिए के नीचे लकड़ी का टुकड़ा भी लगाया जाता है ताकि वह स्थिर रहे।
डिस्क्लेमर: इस खबर में दी गई जानकारी सोशल मीडिया और रिपोर्ट्स में किए गए दावों पर आधारित है। इंडिया टीवी किसी भी प्रकार के दावे की प्रमाणिकता की पुष्टि नहीं करता है।
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