सोमालिया
सोमालिया में करीब 80 से 98 फीसदी महिलाओं के क्लिटोरिस काटे जाते हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की 2005 की अपनी रिपोर्ट के अनुसार सोमालिया में 97.7 फीसदी महिलाएं और लड़कियां इस प्रक्रिया से गुजरीं। दूसरी तरफ यूनिसेफ ने भी अपनी रिपोर्ट में एफजीएम के मामले में सोमालिया को नंबर एक पर रखा है। अगस्त 2012 में संविधान के आर्टिकल 15 में इस परंपरा पर प्रतिबंध लगा दिया गया है लेकिन ये अब भी जारी है।
जिबूती
मुख्य रूप से मुस्लिम आबादी वाले जिबूती में 93 फीसदी से 98 फीसदी महिलाएं इस प्रक्रिया से गुज़रती हैं। यूनिसेफ की 2010 की रिपोर्ट में जिबूती को दुनिया का दूसरा ऐसा देश बताया गया था जहां तीसरे स्तर के एफजीएम की दर बहुत ज्यादा है। हालांकि, यहां के मौलवी भी इस प्रक्रिया को लेकर दो धड़ों में बंटे हैं। देश में इसके खिलाफ सख्त कानून है, जिसके तहत दोषी पाए जाने पर पांच साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान भी है।
बुर्किना फासो
आबादी डेढ़ करोड़ से आबादी वाले छोटे से देश बुर्किना फासो में एफजीएम उनकी संस्कृति में शामिल है। डब्ल्यूएचओ ने 2006 की अपनी रिपोर्ट में यहां एफजीएम की दर 72.5 फीसदी बताई थी। 1996 में देश में इसके खिलाफ कानून बनाया गया, जो फरवरी 1997 से लागू है।
सूडान
सूडान मुस्लिम बहुल देशों में से है। यहां एफजीएम की दर 90 फीसदी है। हालांकि, यहां के कुछ राज्यों में इसके खिलाफ कानून है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर इसके खिलाफ कोई कानून नहीं है। यहां सबसे खतरनाक माने जाने वाले तीसरे स्तर के एफजीएम पर 1925 की दंड संहिता के तहत प्रतिबंध है, लेकिन कम खतरनाक तरीकों को मंजूरी मिली हुई है। इसका विरोध करने वाले कुछ एनजीओ, धार्मिक संगठन और मीडिया पिछले 50 साल से इस परंपरा को खत्म करने की कोशिश कर रही है।
चाड
चाड भी एक अफ्रीकी देश है। यहां एफजीएम को लेकर पहला सर्वे 2004 में हुआ था, जिसमें इसकी दर 45 फीसदी सामने आई थी। ये देश के सभी हिस्सों में प्रचलन में है। आंकड़े बताते हैं कि यहां कम से कम 60 फीसदी महिलाएं इस प्रक्रिया से गुजरती हैं, चाहे वो मुस्लिम हों या ईसाई। देश में इसके लिए अलग से कोई कानून नहीं है।