Friday, April 26, 2024
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China America: अमेरिका ने चीन को दिया एक और झटका, देखता रह गया 'ड्रेगन', जानिए क्या है मामला

China America: एक के बाद एक अमेरिकी अधिकारियों और राजनेताओं की ताइवान यात्रा ने चीन और अमेरिका के बीच एक नए सिरे से तनाव को जन्म दिया है।

Deepak Vyas Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Updated on: August 28, 2022 13:49 IST
American Warship- India TV Hindi
Image Source : FILE American Warship

Highlights

  • 'अमेरिकी अधिकारियों की ताइवान यात्रा से पनपा तनाव'
  • जलडमरूमध्य पर दावा करता रहा है चीन
  • डराने की नीति पर काम करता है चीन: व्हाइट हाउस कार्यालय

अमेरिकी संसद की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की यात्रा के बाद अमेरिका ने चीन को एक और झटका दिया है। दरअसल, अमेरिकी नौसेना ने अपने दो जंगी जहाजों को ताइवान जलडमरूमध्य से गुजारकर चीन को अपनी ताकत का एहसास करवाया है। बताया जा रहा है कि दो गाइडेड-मिसाइल क्रूजर, यूएसएस एंटियेटम और यूएसएस चांसलर्सविले, अंतरराष्ट्रीय जल के माध्यम से नेविगेशन की स्वतंत्रता का प्रदर्शन किया। 

'अमेरिकी अधिकारियों की ताइवान यात्रा से पनपा तनाव'

इस बारे में अमेरिकी नौसेना ने एक बयान जारी किया है। इस बयान में कहा कि ताइवान जलडमरूमध्य के माध्यम से होकर गुजरना अमेरिका की एक स्वतंत्र और खुले भारत—प्रशांत के प्रति प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करता है। एक के बाद एक अमेरिकी अधिकारियों और राजनेताओं की ताइवान यात्रा ने चीन और अमेरिका के बीच एक नए सिरे से तनाव को जन्म दिया है।

जलडमरूमध्य पर दावा करता रहा है चीन

यह जलडमरूमध्य 110 मील का है। जो कि ताइवान को चीन की मुख्य भूमि से अलग करता है। चीन में सत्तासीन कम्युनिस्ट पार्टी का द्वीप पर कभी नियंत्रण नहीं होने के बावजूद ताइवान पर चीन संप्रभुता का दावा करता है  और उसे अपना जलडमरूमध्य को मानता है। हालांकि, अमेरिकी नौसेना ने कहा कि अधिकांश जलडमरूमध्य अंतरराष्ट्रीय जल में है।

डराने की नीति पर काम करता है चीन: व्हाइट हाउस कार्यालय

गौरतलब है कि पिछले दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यालय व्हाइट हाउस ने कहा था कि नैंसी पेलोसी की ताइपे यात्रा के बाद ताइवान को ‘डराने और बल प्रयोग करने’ की चीन की कार्रवाई मूल रूप से शांति और स्थिरता के लक्ष्य के विपरीत है। अमेरिका स्व-शासित द्वीप का समर्थन करने के लिए ‘शांत और दृढ़’ कदम उठाएगा। चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने लंबे समय से ताइवान पर संप्रभुता का दावा करता आया है। हालांकि, बीजिंग जोर देकर कहता है कि उसका मौजूदा ‘एक-चीन सिद्धांत’ विदेशी सरकारी अधिकारियों को द्वीप पर पैर रखने से रोक लेगा। लेकिन अमेरिका के जंगी जहाज जब जलडमरुमध्य से गुजरे, तो चीन देखता रह गया।

बता दें कि पैलोसी के ताइवान के दौरे के बाद चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने चार से सात अगस्त तक ताइवान में युद्ध की घोषणा की थी। बाद में, चीन की सेना ने ताइवान के आसपास युद्ध अभ्यास को बढ़ा दिया। क्योंकि बीजिंग ताइवान को एक विद्रोही प्रांत के रूप में देखता है, जिसके लिए उसका मानना है कि युद्ध के जरिए इसे मुख्य भूमि के साथ फिर से जोड़ा जाना चाहिए। चीन ने चेतावनी दी थी कि बीजिंग अपने ‘एक-चीन सिद्धांत’ को लागू करने के लिए नियमित युद्ध अभ्यास को एक नए सामान्य के रूप में आयोजित करेगा।

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