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चीन अब श्रीलंका में बनाने जा रहा Strategic Seaport, भारत के लिए बढ़ेगी चुनौती

चालबाच चीन ने श्रीलंका में रणनीतिक समुद्री हवाई अड्डा बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। इससे भारत की सुरक्षा चिंताएं बढ़ने लगी हैं। श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणावर्धने ने चीन की ओर से कोलंबो में स्ट्रैटेजिक सीपोर्ट और इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाए जाने की पुष्टि की है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Mar 27, 2024 17:03 IST, Updated : Mar 27, 2024 17:03 IST
श्रीलंका में रणनीतिक पोर्ट बना रहा चीन (प्रतीकात्मक फोटो)- India TV Hindi
Image Source : AP श्रीलंका में रणनीतिक पोर्ट बना रहा चीन (प्रतीकात्मक फोटो)

भारत का कट्टर दुश्मन चीन अब श्रीलंका में रणनीतिक बंदरगाह बनाने जा रहा है। समुद्र में चीन की ओर से विकसित किए जाने वाले यह हवाईअड्डा भारत के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है। चीन की ओर से रणनीतिक हवाई अड्डा बनाए जाने की पुष्टि खुद श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणावर्धने ने की है। गुणावर्धने ने कहा कि बीजिंग ने कोलंबो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और हंबनटोटा बंदरगाह को "विकसित करने के लिए सहायता" की पेशकश की है। श्रीलंका के प्रधान मंत्री ने बुधवार को कहा बताया कि चीन ने बीजिंग में अपने समकक्ष के साथ बातचीत के बाद द्वीप राष्ट्र के रणनीतिक गहरे समुद्री बंदरगाह और राजधानी के हवाई अड्डे को विकसित करने का वादा किया है।

प्रधान मंत्री ने कहा कि चीन हमारा सबसे बड़ा द्विपक्षीय ऋणदाता है। श्रीलंका के विदेशी ऋण 2.9 बिलियन डॉलर के आईएमएफ बेलआउट को बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण शर्त में भी चीन सहायता करेगा। हालांकि ऋण पुनर्गठन पर बीजिंग की स्थिति सार्वजनिक नहीं की गई है। मगर श्रीलंकाई अधिकारियों ने कहा है कि चीन अपने ऋणों पर कटौती करने के लिए अनिच्छुक था, लेकिन वह अब कार्यकाल बढ़ा सकता है और ब्याज दरों को समायोजित कर सकता है। बता दें कि 2022 में श्रीलंका के पास आवश्यक आयातों के वित्तपोषण के लिए विदेशी मुद्रा खत्म हो गई और उसने अपने 46 बिलियन डॉलर के विदेशी ऋण पर संप्रभु डिफ़ॉल्ट की घोषणा कर दी।

भारत की मदद को भूला श्रीलंका

बता दें कि श्रीलंका में वर्ष 2022 में आर्थिक हालत खस्ता होने के बाद महीनों के विरोध प्रदर्शन के कारण तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को राष्ट्रपति भवन से बाहर होना पड़ा था। इसके बाद आइएमएफ से बेलआउट पैकेज दिलाने से लेकर विदेशी सहायता देने में भारत सबसे आगे रहा। भारत ने श्रीलंका की अब तक 4 से 5 बिलियन डॉलर तक की मदद की है, लेकिन वह अब चीन के गुण गा रहा है। गुणावर्धने के कार्यालय ने कहा कि चीन के प्रधान मंत्री ली कियांग ने वादा किया था कि चीन "श्रीलंका की ऋण पुनर्गठन प्रक्रिया में लगातार सहायता करेगा और श्रीलंका को अपनी अर्थव्यवस्था विकसित करने में मदद करेगा"। अब वह मदद कर रहा है। 

श्रीलंका ने 99 साल के लिए चीन को दिया था हंबनटोटा बंदरगाह

श्रीलंका के पूरी तरह दिवालिया हो जाने के बाद से कोलंबो हवाई अड्डे का जापानी-वित्त पोषित विस्तार रुक गया था। बता दें कि श्रीलंका ने हंबनटोटा का दक्षिणी समुद्री बंदरगाह 2017 में एक चीनी राज्य के स्वामित्व वाली कंपनी को 1.12 बिलियन डॉलर में 99 साल के पट्टे पर सौंप दिया गया था, जिससे बीजिंग के क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी भारत में सुरक्षा चिंताएं पैदा हो गईं। भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों चिंतित हैं कि द्वीप के दक्षिणी तट पर हंबनटोटा में चीनी पैर जमाने से हिंद महासागर में उसकी नौसैनिक ताकत बढ़ सकती है। हालांकि श्रीलंका ने जोर देकर कहा है कि उसके बंदरगाहों का उपयोग किसी भी सैन्य उद्देश्य के लिए नहीं किया जाएगा, लेकिन नई दिल्ली ने हंबनटोटा में चीनी अनुसंधान जहाजों को बुलाने पर आपत्ति जताई है, उसे डर है कि उनका इस्तेमाल जासूसी के लिए किया जा सकता है।

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