Sunday, April 28, 2024
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याद किए गए "गलवान के बलवान", जानें कैसे Indian Army ने चकनाचूर किया था चीन का अरमान

जून 2020 में गलवान घाटी संघर्ष के बाद से ही भारत और चीन में टकराव बना है। भारत का लगातार कहना रहा है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी, तब तक चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते।

Dharmendra Kumar Mishra Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: June 15, 2023 19:45 IST
शहीदों को श्रद्धांजलि देते रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (फाइल)- India TV Hindi
Image Source : FILE शहीदों को श्रद्धांजलि देते रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (फाइल)

जून 2020 में गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के अरमानों पर अपनी वीरता से पानी फेर देने वाले भारतीय सेना के जवानों की गाथा हमेशा इतिहास के पन्नों में अमर रहेगी। भारतीय सीमा में घुसपैठ कर रहे चीन की पीएलए सेना को जवानों ने बॉर्डर पार करने से पहले ही मौत की नींद सुला दिया था। आर्मी सूत्रों के अनुसार इस दौरान चीन के करीब 60 जवान मारे गए थे। जबकि 20 भारतीय जवानों को भी शहीद होना पड़ा था। चीन के साथ झड़प में शहीद हुए सैन्यकर्मियों को बृहस्पतिवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने श्रद्धांजलि दी और उस घटना की तीसरी बरसी पर कहा कि शहीद सैनिकों का साहस, बहादुरी और बलिदान आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।

यह झड़प पिछले कई दशकों में भारत और चीन के बीच सबसे गंभीर सैन्य टकराव था। सिंह ने ट्वीट किया, "आज हम उन बहादुर जवानों को श्रद्धांजलि देते हैं जिन्होंने गलवान घाटी में हमारे देश की रक्षा करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। उनका साहस, बहादुरी और बलिदान आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।" उल्लेखनीय है कि 15 जून, 2020 को हुई झड़पों के बाद पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध काफी बढ़ गया था जिसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे। चीन ने फरवरी 2021 में आधिकारिक रूप से स्वीकार किया कि झड़पों में उसके पांच सैन्य अधिकारी और सैनिक मारे गए थे। हालांकि माना जाता है कि मारे गए चीनी सैनिकों की संख्या बहुत अधिक थी।

भारत-चीन सीमा पर कायम है तनाव

दोनों देशों की सेनाएं सीमा पर तनाव कम करने के लिए बातचीत कर रही हैं, क्योंकि अभी भी कुछ स्थानों पर दोनों पक्ष के बीच गतिरोध कायम है। हालांकि कुछ अन्य स्थानों से दोनों देशों के सैनिक पीछे हट गए हैं। पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध बढ़ने के बाद, सेना ने क्षेत्र में अपनी परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं। इस बीच दोनों देशों की सेनाओं के बीच अब तक 18 दौर की उच्च स्तरीय वार्ता हो चुकी है, जिसका मकसद टकराव वाले शेष स्थानों से सैनिकों के हटाने की प्रक्रिया में तेजी लाना और पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति बहाल करना है।

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