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हांगकांग में अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला, अदालत ने 14 लोकतंत्र समर्थकों को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामले में ठहराया दोषी

हांगकांग में अभिव्यक्ति की आजादी पर बड़ा आघात हुआ है। चीन और हांगकांग की सरकार ने लोकतंत्र समर्थकों के पर कतर दिए हैं। हांगकांग की अदालत ने 14 लोकतंत्र समर्थकों को राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर दोषी ठहराया दिया है। अब उन्हें उम्रकैद देने की तैयारी है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : May 30, 2024 10:28 IST, Updated : May 30, 2024 10:42 IST
हांगकांग की अदालत ने लोकतंत्र समर्थकों को ठहराया दोषी। (फाइल)- India TV Hindi
Image Source : REUTERS हांगकांग की अदालत ने लोकतंत्र समर्थकों को ठहराया दोषी। (फाइल)

हांगकांग: हांगकांग की अदालत ने 14 लोकतंत्र समर्थकों को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े एक मामले में दोषी ठहरा दिया है। बता दें कि बीजिंग द्वारा लागू कानून के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा के सबसे बड़े मामले में बृहस्पतिवार को इन 14 लोकतंत्र समर्थकों को दोषी करार दिया गया। जिन लोगों को दोषी ठहराया गया है उनमें पूर्व सांसद लेउंग वोक-हंग, लैम चेउक-टिंग, हेलेना वोंग और रेमंड चैन शामिल हैं। सरकार द्वारा गठित तीन न्यायाधीशों की समिति ने पूर्व जिला काउंसलर ली यू-शून और लॉरेंस लाउ को बरी कर दिया।

दोषी ठहराया गये लोगों को उम्रकैद की सजा का सामना करना पड़ सकता है। वर्ष 2021 में एक अनाधिकारिक प्राथमिक चुनाव में संलिप्तता के लिए 47 लोकतंत्र समर्थकों के खिलाफ मुकदमा चलाया गया था। अभियोजन पक्ष ने इन समर्थकों पर हांगकांग सरकार को पंगु बनाने और जरूरी बहुमत हासिल कर शहर के नेता को पदच्युत करने का प्रयास करने का आरोप लगाया था। पर्यवेक्षकों ने कहा कि यह मामला दर्शाता है कि वर्ष 2019 में बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद विपक्ष को कुचलने के लिए कैसे सुरक्षा कानून का इस्तेमाल किया जा रहा है।

हांगकांग में अभिव्यक्ति की आजादी सीमित

हालांकि बीजिंग और हांगकांग की सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि इस कानून ने शहर में स्थिरता वापस लाने में मदद की है और न्यायिक स्वतंत्रता की रक्षा की जा रही है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि वर्ष 2020 में इस कानून के लागू होने के बाद से हांगकांग के अधिकारियों ने राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर अभिव्यक्ति और सभाएं करने की आजादी को काफी हद तक सीमित कर दिया है। उन्होंने कहा कि इस कानून के नाम पर कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया, उन्हें चुप करा दिया गया या फिर देश छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया गया।  (एपी)

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