Thursday, December 12, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. विदेश
  3. यूरोप
  4. क्या एलियन सचमुच हैं, क्या उन्होंने कभी पृथ्वी से संपर्क किया है या फिर ब्रह्मांड में छिपे हैं?

क्या एलियन सचमुच हैं, क्या उन्होंने कभी पृथ्वी से संपर्क किया है या फिर ब्रह्मांड में छिपे हैं?

एलियंस को लेकर कई तरह की भ्रांतिया हैं लेकिन ‘द डार्क फॉरेस्ट’ किताब में कहा गया है कि ब्रह्मांड में परग्रही जीवों या एलियन की कमी नहीं है और अपने अस्तित्व को बचाने के लिए खुद को छिपाते हुए वो सक्रिय हैं।

Edited By: Amit Mishra
Published : Apr 05, 2024 13:35 IST, Updated : Apr 05, 2024 13:35 IST
एलियन (प्रतीकात्मक तस्वीर)- India TV Hindi
Image Source : सोशल मीडिया एलियन (प्रतीकात्मक तस्वीर)

लंदन: क्या एलियन सचमुच हैं, क्या उन्होंने कभी पृथ्वी से संपर्क किया है? इस बारे में कोई निश्चित कारण या प्रमाण नहीं हैं। चर्चा भले ही होती है लेकिन इस बारे में कुछ भी विश्वसनीय नहीं है। भौतिक विज्ञानी एनरिको फर्मी को यह अजीब लगा। उन्होंने 1950 के दशक में एक फॉर्मूला पेश किया जिसे अब ‘‘द फर्मी पैराडॉक्स’’ कहा जाता है। यह अब भी परग्रही जीवन (सेटी) की खोज और अंतरिक्ष में सिग्नल से संदेश भेजने (मेटी) के लिए महत्वपूर्ण है। 

कितनी पुरानी है पृथ्वी

पृथ्वी लगभग 4.5 अरब वर्ष पुरानी है और जीवन कम से कम 3.5 अरब वर्ष पुराना है। ब्रह्मांड को देखते हुए जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियां कई बार घटित होने की संभावना है।

तो हर कोई कहां है? यह मुद्दा नेटफ्लिक्स के ‘3 बॉडी प्रॉब्लम’ के पहले एपिसोड में एक किरदार को उलझाता है। ये वेन्जी नाम के इस किरदार को एक रेडियो वेधशाला में काम करते हुए, एक एलियन से एक संदेश मिलता है। संदेश भेजने वाला खुद को शांतिवादी बताते हुए जवाब ना देने का आग्रह करता है और ऐसा ना होने पर पृथ्वी पर हमले की चेतावनी भी देता है। आगे की कहानी जानने के लिए श्रृंखला के दूसरे सीजन तक इंतजार करना होगा। या फिर सिक्सिन लियू की श्रृंखला की दूसरी पुस्तक, ‘द डार्क फॉरेस्ट’ को पढ़ा जा सकता है।

‘द डार्क फॉरेस्ट’ किताब देती है जवाब?

‘द डार्क फॉरेस्ट’ किताब में कहा गया है कि ब्रह्मांड में परग्रही जीवों या एलियन की कमी नहीं है और अपने अस्तित्व को बचाने के लिए खुद को छिपाते हुए वो सक्रिय हैं। इसमें कहा गया है कि तकनीकी प्रगति के अलग-अलग दरें शक्ति के निरंतर संतुलन को असंभव बना देती हैं, जिससे सबसे तेजी से प्रगति करने वाली सभ्यताएं किसी और को मिटा देने की स्थिति में आ जाती हैं। इस खतरनाक माहौल में, जो लोग जीवित रहने का खेल सबसे अच्छा खेलते हैं, वो ही सबसे लंबे समय तक जीवित रहते हैं। यह खेल हमारे आने से पहले से चल रहा था, और जो रणनीति सभी ने सीखी है वह है छिपना। खेल को जानने वाला कोई भी व्यक्ति इतना मूर्ख नहीं होगा कि किसी से संपर्क करे - या किसी संदेश का जवाब दे। 

'संपर्क के जवाब में कुछ ना करें'

प्रमुख खगोलविज्ञानी केली स्मिथ और जॉन ट्रैफैगन ने 2020 में कहा था कि संपर्क के जवाब में कुछ ना करें, क्योंकि कुछ करने से आपदा आ सकती है। उनका तर्क है कि हमें ऐसा कुछ भी करने से बचना चाहिए जिससे यह उजागर हो कि हम कौन हैं। रक्षात्मक व्यवहार संघर्ष से हमारे परिचय को दर्शाएगा, इसलिए यह ठीक नहीं होगा। संदेश लौटाने से पृथ्वी का स्थान पता चल जाएगा - यह भी खतरनाक विचार है। यह सोवियत काल के अंतरिक्ष के बारे में बहुत सारे रूसी साहित्य की धारणाओं से अलग है, जिसमें कहा गया था कि उन्नत सभ्यताएं आवश्यक रूप से संघर्ष से आगे बढ़ी होंगी, और इसलिए एक मित्रतापूर्ण रवैया साझा करेंगी। इसे अब संपर्क के लिए प्रोटोकॉल का एक विश्वसनीय मार्गदर्शक नहीं माना जाता। 

इस बात के नहीं हैं सबूत 

डार्विन की गलत व्याख्या करना दिलचस्प बात यह है कि डार्क फॉरेस्ट सिद्धांत लगभग गलत है या कम से कम, यह हमारे ब्रह्मांड में गलत है। डार्विन के सिद्धांत में अस्तित्व के लिए संघर्ष और इसमें विजेता के जीवित रहने की संभावना पर जोर है। अस्तित्व के लिए प्रतिस्पर्धा के बारे में चार्ल्स डार्विन का विवरण साक्ष्य-आधारित है। इसके विपरीत, हमारे पास विदेशी व्यवहार, या अन्य सभ्यताओं के भीतर या उनके बीच प्रतिस्पर्धा के बारे में कोई सबूत नहीं है। यह अच्छे विज्ञान के बजाय मनोरंजक अनुमान लगाता है, भले ही हम इस विचार को स्वीकार करते हैं कि प्राकृतिक चयन समूह स्तर पर, सभ्यताओं के स्तर पर काम कर सकता है। भले ही आप यह मान लें कि ब्रह्मांड डार्विन के सिद्धांत के अनुसार संचालित होता है, लेकिन यह तर्क संदिग्ध है।

एक-दूसरे पर है निर्भरता  

कोई भी वास्तविक जंगल अंधेरे जंगल यानी डार्क फारेस्ट जैसा नहीं है। वे शोर-शराबे वाली जगहें हैं जहां सह-विकास होता है। प्राणी एक साथ, परस्पर निर्भरता के साथ विकसित होते हैं, अकेले नहीं। परजीवी होस्ट पर निर्भर होते हैं, फूल परागण के लिए पक्षियों पर निर्भर होते हैं। जंगल का प्रत्येक प्राणी कीटों पर निर्भर रहता है। आपसी संबंध मुठभेड़ों को जन्म देते हैं। हमारी दुनिया में जंगल इसी तरह काम करते हैं। दिलचस्प बात यह है कि लियू इस परस्पर निर्भरता को ‘डार्क फारेस्ट’ सिद्धांत के प्रतिरूप के रूप में स्वीकार करते हैं। 

एलियंस का पक्ष लेते हैं लोग 

दर्शक और पाठक को बार-बार बताया जाता है कि ‘‘प्रकृति में, कुछ भी अकेले मौजूद नहीं है।’’ यह वास्तव में रैशेल कार्सन के ‘‘साइलेंट स्प्रिंग’’ (1962) का एक उद्धरण है। यह एक पाठ है जो हमें बताता है कि कीट हमारे दोस्त हो सकते हैं, दुश्मन नहीं। लियू की कहानी में, इसका उपयोग यह समझाने के लिए किया जाता है कि क्यों कुछ इंसान तुरंत एलियंस के पक्ष में चले जाते हैं, और सभी जोखिमों के बावजूद, संपर्क बनाने की इच्छा इतनी मजबूत क्यों है। यही वजह है कि ये वेन्जी अंततः विदेशी चेतावनी का जवाब देती है। 

 एलियंस उन्नत होंगे?

कार्सन के संकेत पुराने रूसी विचार की पुष्टि नहीं करते कि एलियंस उन्नत होंगे इसलिए मित्रतापूर्ण होंगे। लेकिन वे ‘डार्क फारेस्ट’ सिद्धांत की तुलना में अधिक विविधतापूर्ण और यथार्थवादी तस्वीर बनाने में मदद करते हैं। इस कारण से, फर्मी पैराडॉक्स का ‘डार्क फ़ॉरेस्ट’ समाधान समझ से परे है। तथ्य यह है कि हमारा किसी को नहीं सुन पाना यह संकेत दे सकता है कि वे बहुत दूर हैं, या हम सभी गलत तरीकों से सुन रहे हैं, या फिर कोई जंगल नहीं है और सुनने के लिए कुछ भी नहीं है। (द कन्वरसेशन)

यह भी पढ़ें:

इजराइल-हमास जंग के बीच सामने आई राहत पहुंचाने वाली खबर, Israel ने बदली योजना उठाया बड़ा कदम

ताइवान में आए भूकंप के बाद लापता भारतीयों का मिला सुराग, विदेश मंत्रालय ने दी अहम जानकारी

 

Latest World News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Europe News in Hindi के लिए क्लिक करें विदेश सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement