Tuesday, April 23, 2024
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जर्मनी ने नहीं दिया "तेंदुआ"... तो रूस ने यूक्रेन को बना दिया "बकरी", पुतिन ने पलट दी युद्ध की बाजी!

Russia-Ukraine War: यूक्रेन के पास जमीनी लड़ाई लड़ने के लिए टैंक नहीं हैं। जर्मनी ने वादा करने के बाद भी तेंदुआ 2 टैंक की अभी तक यूक्रेन को सप्लाई नहीं दी है। इससे युद्ध में यूक्रेनी सेना रूस के सामने पस्त होने लगी हैं। हालत यह है कि विभिन्न क्षेत्रों से अपनी जान बचाने के लिए यूक्रेनी सैनिक युद्ध का मैदान छोड़ रहे हैं।

Dharmendra Kumar Mishra Written By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: January 22, 2023 14:04 IST
प्रतीकात्मक फोटो- India TV Hindi
Image Source : AP प्रतीकात्मक फोटो

Russia-Ukraine War: यूक्रेन के पास जमीनी लड़ाई लड़ने के लिए टैंक नहीं हैं। जर्मनी ने वादा करने के बाद भी तेंदुआ 2 टैंक की अभी तक यूक्रेन को सप्लाई नहीं दी है। इससे युद्ध में यूक्रेनी सेना रूस के सामने पस्त होने लगी हैं। हालत यह है कि विभिन्न क्षेत्रों से अपनी जान बचाने के लिए यूक्रेनी सैनिकों को युद्ध का मैदान छोड़कर भागना पड़ रहा है। इधर रूसी सैनिक यूक्रेन में एक के बाद एक शहर पर कब्जा करते जा रहे हैं। लंबे समय बाद पुतिन की सेना ने फिर से जापोरिज्जिया पर भी लगभग नियंत्रण पा लिया है। जबकि पूर्व में यूक्रेन ने रूस से जापोरिज्जिया को मुक्त करा लिया था। रूस यूक्रेन के सबसे अहम रणनीतिक शहर सोलेडार पर पहले ही कब्जा कर चुका है। इससे यूक्रेन के हौसले टूटने लगे हैं।

जर्मनी की ओर से वादा किए जाने के बाद भी तेंदुआ 2 टैंक नहीं देने से उसकी निंदा शुरू हो गई है। पूर्व नाटो चीफ जनरल सर रिचर्ड शिर्रेफ ने भी यूक्रेन को तेंदुआ 2 टैंक अब तक नहीं दिए जाने से जर्मनी की आलोचना की है। उन्होंने इसे अति दयनीय स्थिति बताया है। जनरल सर रिचर्ड शिर्रेफ ने कहा कि बर्लिन यूक्रेन की मदद करने के लिए 'अपनी जिम्मेदारी से भाग रहा है'। वहीं अन्य आलोचकों का कहना है कि जर्मन सरकार को डर है कि यदि उसने इस टैंक को यूक्रेन भेजा तो पुतिन इसे युद्ध में सीधे जर्मनी की एंट्री मानेंगे और वह सबसे पहले उसको गैस की आपूर्ति बंद करके जवाब देंगे।

जर्मनी खो रहा विश्वसनीयता

ब्रिटेन के पूर्व नाटो प्रमुख ने बीती रात चेतावनी दी कि यूक्रेन को टैंक भेजने से जर्मनी का इनकार करना 'दयनीय' है और 'एक सहयोगी के रूप में यह उसकी विश्वसनीयता' के लिए खतरा है। जनरल सर रिचर्ड शिर्रेफ ने रविवार को अंतरराष्ट्रीय मीडिया को रूसी राष्ट्रपति की तुलना निरंकुश एडॉल्फ हिटलर से करते हुए बताया कि बर्लिन व्लादिमीर पुतिन की सेना को हराने में मदद करने के लिए 'अपनी जिम्मेदारी से भाग रहा है। उन्होंने कहा कि नाटो सहयोगी के रूप में जर्मनी का व्यवहार उसकी उसकी विश्वसनीयता पर बिल्कुल सवाल उठा रहा है।' इस निंदनीय टिप्पणी के बाद यूक्रेन को तेंदुआ 2 टैंक देने से इंकार करने वाले जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज पर फिर से दबाव बढ़ गया है। बर्लिन ने अन्य यूरोपीय देशों को भी जर्मन निर्मित टैंक यूक्रेन भेजने से रोक दिया है।

नाटो संधि को भी दरकिनार करने का आरोप
यूरोप में नाटो के डिप्टी सुप्रीम कमांडर रहे सर रिचर्ड ने कहा कि 'जर्मनी की अपने इतिहास की वजह से एक विशेष जिम्मेदारी है कि वह यूक्रेन को खून से सने एक निरंकुश (पुतिन से) के खिलाफ बचाने में मदद करे ,जो (रूस) अपने एक पड़ोसी पर अकथनीय पीड़ा देने के लिए तैयार है। जर्मनी भी पहले इसी लेबल पर रहा है। हालांकि मैं बहुत अधिक समानताएं नहीं बनाऊंगा, क्योंकि इसका हमेशा एक खतरा होता है, लेकिन पिछली बार जब किसी ने इस तरह का व्यवहार किसी के साथ किया था तो वह जर्मनी का हिटलर था। उन्होंने कहा कि नाटो संधि में अनुच्छेद 5 में भी कहा गया है कि इसके किसी भी सदस्य के खिलाफ सशस्त्र हमले को सभी के खिलाफ हमला माना जाना चाहिए। इसलिए जर्मनी की विशेष जिम्मेदारी है। इसके बावजूद अगर वह जिम्मेदारी से भाग रहा है तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वह कितना विश्वसनीय है।   

ब्रिटेन ने भी दिया है यूक्रेन को टैंक का भरोसा
तेंदुआ 2 टैंक नहीं देने से चौतरफा जर्मनी की आलोचना शुरू हो गई है। आलोचकों का कहना है कि जर्मन सरकार अपने टैंक नहीं भेजना चाहती, क्योंकि उसे डर है कि पुतिन जवाब में गैस और तेल की आपूर्ति बंद कर देंगे। हालांकि ब्रिटेन ने यूक्रेन 14 चैलेंजर 2 टैंक भेजने का वादा किया है। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मारे गए अपने गृहमंत्री समेत टॉप अधिकारियों के स्मारक सेवा और श्रद्धांजलि कार्यक्रम में कल भाग लिया था। उन्होंने इस दौरान पश्चिमी सहयोगियों से इस सप्ताह के अंत में जर्मनी में होने वाली वार्ता में भी टैंकों के लिए अपील की। अमेरिका ने भी रखरखाव जैसी विसंगतियां बताकर यूक्रेन को अब्राम टैंक देने से मना कर दिया है। ऐसे में 11 महीने की भीषण लड़ाई के बाद जेलेंस्की को रूस से हार का डर सताने लगा है।

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