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इक्वाडोर में गंभीर ऊर्जा संकट से छूटे सरकार के पसीने, लोगों को सुनाया गया अजीबोगरीब फरमान

इक्वाडोर इन दिनों सूखे की चपेट में है। देश में हालात इस कदर बिगड़ गए हैं कि यहां उर्जा संकट गहरा गया है। उर्जा संकट से बाहर निकलने के लिए सरकार और स्थानीय प्रशासन ने लोगों से बड़ी अपील की है।

Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Published : Apr 18, 2024 7:34 IST, Updated : Apr 18, 2024 7:34 IST
इक्वाडोर में ऊर्जा संकट (फाइल फोटो)- India TV Hindi
Image Source : AP इक्वाडोर में ऊर्जा संकट (फाइल फोटो)

Ecuador Power Crisis: अल नीनो की वजह से इक्वाडोर में गंभीर ऊर्जा संकट खड़ा हो गया है। इक्वाडोर अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए जलविद्युत संयंत्रों पर बहुत अधिक निर्भर है। अल नीनो के प्रभाव की वजह से इक्वाडोर सूखे की मार झेल रहा है और यहां जलस्तर में भारी गिरावट आई है। खासकर उन जलाशयों में पानी का स्तर बेहद कम हो गया जहां से बिजली उत्पादन होता है। इक्वाडोर किस करह के गंभीर संकट का सामना कर रहा है इसका अंदाजा इस बात से भी लगाा जा सकता है कि यहां सरकार ने लोगों से ऊर्जा की खपत को कम करने के अपील की है। ऊर्जा संकट की वजह से इक्वाडोर में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। 

इक्वाडोर में बिजली संकट

समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, जलविद्युत संयंत्रों में पानी का स्तर गंभीर रूप से कम हो गया है। इससे देश में एक बड़ा बिजली संकट पैदा हो गया है। हालात नाजुक होने के कारण सरकार और स्थानीय प्रशासन ने बुधवार को सभी सार्वजनिक और निजी कर्मचारियों को दो दिनों के लिए घर पर रहने का आदेश दिया है।

अल नीनो है क्या? 

अल नीनो जलवायु से जुड़ी घटना है, जिसमें मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह सामान्य से 4 से 5 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म हो जाती है। इस गर्मी की वजह से समुद्र में चल रही हवाओं के रास्ते और रफ्तार में परिवर्तन होने लगता है। परिवर्तन के कारण मौसम चक्र प्रभावित होता है और पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली हवाएं कमजोर पड़ती हैं। इसके साथ ही पश्चिमी प्रशांत महासागर क्षेत्र का गर्म पानी भूमध्य रेखा के साथ पूर्व की ओर बढ़ने लगता है। इसका सीधा असर जलवायु परिवर्तन पर पड़ता है। इसके कारण कई देशों में भीषण बारिश तो कई जगहों में सूखा पड़ सकता है। साल 1982-83 और साल 1997-98 में अल नीनो ने दुनिया को सबसे ज्यादा प्रभावित किया था। 1982-83 की अल नीनो के कारण पूर्वी उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में समुद्र सतह का तापमान सामान्य से 9-18 डिग्री सेल्सियस ज्यादा हो गया था। जबकि साल 1997-98 में इसके कारण इंडोनेशिया, मलेशिया और फिलीपींस में सूखा पड़ गया था। इतना ही नहीं पेरू और कैलिफोर्निया में भारी बारिश और बाढ़ ने तबाही मचाई थी। 

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